किसान ने सिर्फ आधे हेक्टेयर में उगाए आम, 3 वर्षों में मिला ₹12.75 लाख का शुद्ध लाभ
16 अगस्त 2025, नई दिल्ली: किसान ने सिर्फ आधे हेक्टेयर में उगाए आम, 3 वर्षों में मिला ₹12.75 लाख का शुद्ध लाभ – किसान जगदीश भाई जेराभाई चौहान, गुजरात के पंचमहल जिले के गांव मोकल (पोस्ट कानोड़, तहसील कलोल) के रहने वाले हैं। उनके पास कुल 3.5 एकड़ सिंचित जमीन है, जिसमें वे पारंपरिक खेती करते हैं। वे मक्का, अरहर, धान, मिर्च और कद्दूवर्गीय सब्जियाँ उगाते हैं। परिवार की जरूरतें पूरी करने और अतिरिक्त आमदनी के लिए उन्होंने 0.50 हेक्टेयर जमीन में आम के पेड़ लगाने का फैसला लिया। उन्होंने केसर, मल्लिका, राजापुरी, लंगड़ा और अल्फांसो जैसी किस्मों के आम लगाए। गुजरात सहित देशभर में इन किस्मों की पौध की अच्छी माँग है।
सरकारी संस्थान से मिली तकनीकी मदद और मार्गदर्शन
किसान चौहान ने केंद्रीय बागवानी प्रयोग केन्द्र (ICAR-CHES), वेजलपुर, गोधरा का दौरा किया और आम की पौध तैयार करने की तकनीकों में रुचि दिखाई। इसके बाद केंद्र के विशेषज्ञों ने उन्हें ग्राफ्टेड आम पौधों के व्यवसायिक उत्पादन की तकनीकी जानकारी दी। उन्हें आम की नर्सरी तैयार करने, बीज इकठ्ठा करने, पॉलीथीन में मिश्रण भरने, कलमों का चयन, कलम लगाने का सही समय, पत्ते झड़वाने की प्रक्रिया और पौध संरक्षण जैसी कई तकनीकें सिखाई गईं।
विशेषज्ञों ने उन्हें यह भी बताया कि वह अपने आम के पेड़ों से देशी गुठलियाँ इकट्ठा करके खुद ही रूटस्टॉक (मूलवृन्त) तैयार कर सकते हैं, जिससे उनकी लागत कम होगी। उन्होंने सोशल मीडिया के ज़रिए पौधों की बिक्री का तरीका भी सीखा।
तीन साल में ₹12.75 लाख का शुद्ध लाभ
कृषक ने 2021 से लेकर 2023 तक हर साल क्रमशः 5500, 6000 और 6500 कलमी आम के पौधे तैयार किए। उन्होंने गुजरात के पंचमहल, महिसागर, दाहोद, खेड़ा, छोटा उदयपुर और वडोदरा जिलों के किसानों को कुल 15,000 पौधे ₹100 प्रति पौधा की दर से बेचे। तीन वर्षों में उन्होंने ₹2.25 लाख लागत में ₹15 लाख की बिक्री की और ₹12.75 लाख का शुद्ध लाभ कमाया। हर साल वे सिर्फ आम की कलमों से ₹4 लाख से ज्यादा कमा रहे हैं।
अब उन्होंने बड़े पैमाने पर बेल के रूटस्टॉक तैयार करना भी शुरू कर दिया है। उनकी नर्सरी में अब 3 से 5 लोगों को मौसमी रोजगार भी मिल रहा है।
किसान से उद्यमी बने चौहान, ग्रामीण बदलाव के वाहक
आज जगदीश चौहान सिर्फ एक किसान नहीं, बल्कि एक सफल बागवानी उद्यमी बन चुके हैं। उनकी आम की नर्सरी से उन्हें न सिर्फ अच्छी आमदनी मिल रही है, बल्कि वे आसपास के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गए हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि यदि सही मार्गदर्शन और तकनीक के साथ मेहनत की जाए, तो छोटी ज़मीन से भी बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है।
उनकी यह कहानी उन हजारों किसानों के लिए एक मिसाल है, जो खेती को सिर्फ गुज़ारे का साधन नहीं, बल्कि सशक्त व्यवसाय बनाना चाहते हैं।
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