राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

पीली मटर का ड्यूटी-फ्री आयात दालों की कीमतों पर डाल रहा असर, कृषि मंत्री ने 50% शुल्क लगाने की कहीं बात

30 अगस्त 2025, नई दिल्ली: पीली मटर का ड्यूटी-फ्री आयात दालों की कीमतों पर डाल रहा असर, कृषि मंत्री ने 50% शुल्क लगाने की कहीं बात – कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह आयात घरेलू दालों की कीमतों को प्रभावित कर रहा है और इससे किसानों की आय पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। चौहान ने सरकार से पीली मटर पर 50% आयात शुल्क लगाने की मांग की है।

चौहान ने कहा कि पीली मटर का आयात घरेलू दालों जैसे तूर, मूंग और उरद की कीमतों को नीचे ला रहा है। आयातित पीली मटर का मूल्य एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से कम होने के कारण यह भारतीय उत्पादकों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। उनका कहना है कि इस सस्ते आयात के कारण किसानों को दालों के उत्पादन में विस्तार करने के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है।

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आयात का प्रभाव

चौहान ने बताया कि पीली मटर की लागत लगभग ₹3,351 प्रति क्विंटल है, जो घरेलू दालों की कीमतों से कम है। यह आयात रूस और कनाडा जैसे देशों से हो रहा है और इसका उपयोग चने के बेसन के रूप में स्नैक उद्योग में किया जा रहा है। इससे चना जैसे महत्वपूर्ण उत्पादों की कीमतों में गिरावट आ रही है, जो किसानों के लिए परेशानी का कारण बन रही है।

सरकार का रुख

चौहान ने खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी से पत्र लिखकर इस मामले में सरकार से जल्दी फैसला लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर आयात पर शुल्क नहीं लगाया जाता है, तो घरेलू बाजार में कीमतों का संतुलन बनाए रखना मुश्किल होगा। सरकार ने 2023 में पीली मटर के आयात पर शुल्क मुक्त व्यवस्था की अनुमति दी थी, जो 31 मार्च 2026 तक जारी रहेगी।

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कृषि आयोग की सिफारिश

कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) ने भी इस आयात नीति पर चिंता व्यक्त की है। आयोग ने रबी विपणन सत्र 2025-26 के लिए पीली मटर के आयात पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है, ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिले।

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आयात की स्थिति

भारत में दिसंबर 2023 से अब तक 3.5 मिलियन टन से अधिक पीली मटर आयात की जा चुकी है। व्यापारिक स्रोतों के अनुसार, आयातकों के पास अभी लगभग 1 मिलियन टन पीली मटर है, जबकि घरेलू उत्पादन केवल 0.45 मिलियन टन है, जो घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। यहां पर यह स्थिति दर्शाती है कि सस्ते आयात के कारण घरेलू दालों की कीमतें कम हो रही हैं, जिससे किसानों की आय में गिरावट आ रही है। इसलिए कृषि मंत्री ने सरकार से इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई करने की अपील की है।

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