राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: कृषि में अत्याधुनिक तकनीकों का बढ़ता दखल

04 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: कृषि में अत्याधुनिक तकनीकों का बढ़ता दखल – भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अधीन संस्थान उत्पादन और प्रसंस्करण के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। इनमें सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), और रोबोटिक्स जैसे नवाचार शामिल हैं, जो कृषि उपकरणों और मशीनों के विकास में मददगार साबित हो रहे हैं। इसके अलावा, AI-समर्थित रोबोटिक एप्पल हार्वेस्टर, मैंगो सॉर्टिंग और ग्रेडिंग सिस्टम, ब्लॉकचेन तकनीक आधारित केला आपूर्ति श्रृंखला मॉनिटरिंग, और कोल्ड स्टोरेज के लिए IoT आधारित रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम जैसी तकनीकें विकसित की जा रही हैं।

अन्य प्रमुख नवाचारों में डिजिटल ट्विन और मशीन लर्निंग का उपयोग कर भंडारण के दौरान फलों की गुणवत्ता की निगरानी, फेज़ चेंज मैटेरियल (PCM) आधारित ऊर्जा कुशल वेंडिंग कार्ट, और ईथिलीन डिग्रेडेशन के लिए फोटोकैटलिटिक रिएक्टर शामिल हैं।

यह जानकारी कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने लोकसभा में लिखित उत्तर के रूप में दी।

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कृषि में ड्रोन का बढ़ता उपयोग

कृषि में ड्रोन का उपयोग कई लाभ प्रदान करता है। इनमें छिड़काव की लागत में कमी, उर्वरकों और कीटनाशकों की खपत में बचत, पानी की खपत में कमी और खतरनाक रसायनों से मानव संपर्क में कमी शामिल है। इसके अलावा, ड्रोन तकनीक कृषि क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी उत्पन्न कर रही है।

किसानों को “किसान ड्रोन” अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु कृषि और किसान कल्याण विभाग (DA&FW) द्वारा ‘कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन’ (SMAM) के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इस योजना के तहत किसानों के खेतों में ड्रोन का प्रदर्शन, व्यक्तिगत स्वामित्व के लिए ड्रोन की खरीद, और ड्रोन सेवा प्रदान करने वाले कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना शामिल है।

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महिलाओं के लिए विशेष ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना

महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने ‘नमो ड्रोन दीदी’ नामक योजना की शुरुआत की है। इसके तहत 2023-24 से 2025-26 तक 1261 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इस योजना के तहत चयनित महिला SHGs को ड्रोन और उससे संबंधित उपकरणों की लागत का 80% (अधिकतम 8 लाख रुपये प्रति ड्रोन) तक की वित्तीय सहायता दी जा रही है।

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योजना के तहत कुल 15,000 ड्रोन वितरित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। पहले चरण में 2023-24 के दौरान प्रमुख उर्वरक कंपनियों ने अपने आंतरिक संसाधनों का उपयोग करके 500 ड्रोन खरीदे और चयनित SHGs को वितरित किए। वित्तीय वर्ष 2024-25 में, पहले चरण के तहत 3090 SHGs को ड्रोन वितरित करने का लक्ष्य है।

हालांकि, इस योजना को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में किसानों के लिए इन योजनाओं का पहुंच बनाना अभी भी एक चुनौती है। छोटे और सीमांत किसानों को भी इस तकनीक तक समान रूप से पहुंच प्रदान करने की आवश्यकता है।

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