राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

किसानों की दोगुनी आय और आत्महत्या ?

08 जनवरी 2025, नई दिल्ली: किसानों की दोगुनी आय और आत्महत्या ? – राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2021-22 में भारत के किसान परिवारों की औसत मासिक आय 13,661 रुपये थी। हरियाणा, केरल, और पंजाब में 70 प्रतिशत से अधिक कृषि परिवारों की मासिक आय 10,000 रुपये से ज़्यादा है तो कई राज्य ऐसे भी हैं जहां 75 प्रतिशत से 90 प्रतिशत कृषि परिवारों की मासिक आय 10,000 रुपये से भी कम है। सभी राज्यों में कृषि की स्थिति अलग-अलग होने के कारण किसान परिवारों की आय में भी काफी असमानता है। हालांकि भारत में किसानों की आय का अनुमान राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) द्वारा किए गए सर्वेक्षण के माध्यम से लगाया जाता है। एनएसएसओ द्वारा सन् 2012-13 में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, अनुमानित मासिक कृषि घरेलु आय 6426 रुपये थी।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में खेती किसानी से जुड़े लोगों की आत्महत्या से होने वाली मौतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पिछले वर्ष 2024 में दिसम्बर माह में जारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में देश भर से 11,290 किसानों ने आत्महत्या की जो 2021 से 3.7 प्रतिशत अधिक है। सन् 2021 में 10,281 किसानों ने आत्महत्या की थी। 2022 के आंकड़े बताते हैं कि देश में हर घंटे कम से कम एक किसान ने आत्महत्या की है। किसानों की आत्महत्या के पीछे अनेक कारण हो सकते हैं लेकिन प्राकृतिक आपदा, कर्ज, कृषि लागत में वृद्धि और फसलों के उचित दाम नहीं मिलना भी प्रमुख कारण हो सकते हैं। हालांकि सरकार किसानों को हर साल प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत पात्र किसानों को छह हजार रूपये की आर्थिक मदद कर रही है। मध्यप्रदेश सरकार भी अपनी तरफ से भी आर्थिक सहायता दे रही है लेकिन यह मदद नाकाफी है। यदि किसानों को उनकी कृषि उपज की उचित कीमत मिल जाए तो किसानों को आर्थिक बैसाखी की जरूरत नहीं पड़ेगी।

केंद्र सरकार ने अप्रैल, 2016 में ‘किसानों की आय दोगुनी’ करने से संबंधित मुद्दों की जांच करने और इसे हासिल करने के लिए रणनीतियां सुझाने के लिए एक अंतर-मंत्रालयीन समिति का गठन किया था। समिति ने सितंबर, 2018 में सरकार को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी जिसमें विभिन्न नीतियों, सुधारों और कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करने की रणनीति शामिल थी। सरकार ने किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कई नीतियों, सुधारों, विकास कार्यक्रमों और योजनाओं को लागू किया है। कृषि राज्य का विषय है, इसलिए राज्य सरकारें राज्य में कृषि के विकास और किसानों के कल्याण के लिए उचित उपाय करती हैं। हालाँकि, भारत सरकार उचित नीतिगत उपायों और बजटीय सहायता तथा विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों के माध्यम से राज्यों के प्रयासों में सहायता करती है। भारत सरकार की विभिन्न योजनाएं/कार्यक्रम, उत्पादन में वृद्धि, किसानों को लाभकारी आय और आय समर्थन के माध्यम से किसानों का कल्याण कर रही हैं। फसल उत्पादकता में सुधार, उत्पादन लागत को कम करना, कृषि में विविधीकरण, सतत् कृषि के लिए जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनना और किसानों के नुकसान की भरपाई, किसानों की आय बढ़ाने की रणनीतियों में शामिल है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, दस हजार किसान उत्पादक संगठनों का गठन और संवर्धन, प्रति बूंद अधिक फसल, मृदा स्वास्थ्य कार्ड सहित करीब 27 योजनाएं हैं जो किसानों की आय बढ़ाने में मददगार हो सकती हैं। सरकार ने विभिन्न सुधारों और नीतियों के उपयोग को आधुनिक और तर्कसंगत बनाकर किसानों की आय बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है। आम बजट 2024-25 में कृषि और किसान कल्याण विभाग के लिए बजट आवंटन 122528 करोड़ रुपये कर दिया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने देश के 75,000 किसानों की सफलता की कहानियों का संकलन भी जारी किया है, जिन्होंने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय तथा संबद्ध मंत्रालयों/ विभागों द्वारा संचालित योजनाओं के जरिए अपनी आय में दो गुना से अधिक वृद्धि की है।

सरकार के नीतिगत निर्णय और शुरू की गई योजनाएं किसानों के हित में हैं लेकिन किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य अभी तक हासिल नहीं कर पाना इस बात को इंगित करता है कि योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यांवयन में कुछ कमी रह गई है। सरकार अभी तक किसान आंदोलन का भी कोई सर्वमान्य समाधान नहीं खोज पाई है। जिस तरह सरकार ने आयुष्मान योजना शुरू कर पात्र हितग्राहियों को साल में पांच लाख रूपये तक के इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई है, उसी तरह किसानों की सब्जियों को छोड़कर सभी फसलों का बीमा करवाना अनिवार्य करे और जो प्रीमियम होगी, उसका भुगतान सरकार कर सकती है। इसके साथ ही भंडारण की समुचित व्यवस्था और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना करने के लिए प्रयास करें तो किसानों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। यह भी सत्य है कि बिजली और उर्वरकों पर सब्सिडी देने से किसानों को काफी राहत मिलती है लेकिन यह समझना जरूरी है कि देश में 80 से 85 प्रतिशत लघु और सीमांत किसान हैं। इन योजनाओं और कार्यक्रमों का शत-प्रतिशत किसानों को लाभ सुनिश्चित करवाना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। यदि इनका लाभ किसानों को मिलने लगेगा तो निश्चित ही किसानों की आय दोगुना न सही, उनकी जरूरत के मुताबिक तो आय तो हो ही सकती है। तब किसान फसल खराब होने या कम कीमत मिलने, कर्ज का भुगतान नहीं करने जैसे कारणों से आत्महत्या करने के लिए मजबूर नहीं होंगे।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements