कोयंबटूर में कपास मिशन पर हुआ मंथन, मंत्री शिवराज बोले- 5 साल में आत्मनिर्भर बनेगा भारत
14 जुलाई 2025, नई दिल्ली: कोयंबटूर में कपास मिशन पर हुआ मंथन, मंत्री शिवराज बोले- 5 साल में आत्मनिर्भर बनेगा भारत – केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में 11 जुलाई 2025 को तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित ICAR-गन्ना प्रजनन संस्थान में कपास की उत्पादकता बढ़ाने पर एक अहम बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में कपास के उत्पादन की वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ और आगे की रणनीतियों पर चर्चा की गई।
बैठक में केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह, हरियाणा और महाराष्ट्र के कृषि मंत्री, ICAR के महानिदेशक एम.एल. जाट, कई राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर, वैज्ञानिक, किसान और कपास से जुड़े हितधारक शामिल हुए।
कपास की गुणवत्ता और आत्मनिर्भरता पर जोर
कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि “रोटी के बाद इंसान के लिए सबसे जरूरी चीज कपड़ा है और कपड़ा कपास से बनता है। अगर भारत आत्मनिर्भर बन रहा है, तो कपास के मामले में भी हमें आत्मनिर्भर होना होगा।” उन्होंने कहा कि कपास उत्पादन के क्षेत्र में वायरस अटैक जैसी समस्याएं आ रही हैं, जिससे उत्पादन घट रहा है। इसके समाधान के लिए वायरस प्रतिरोधी बीज विकसित करने और उन्हें समय पर किसानों तक पहुँचाने की ज़रूरत है।
बैठक से पहले मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कपास उत्पादक किसानों से खेत में जाकर सीधी बातचीत की। किसानों की समस्याओं, बीज की गुणवत्ता, बाजार मूल्य और कपास में आने वाली चुनौतियों को उन्होंने खुद समझा और कहा कि इन बिंदुओं के आधार पर भावी रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि कपड़ा उद्योग विदेशों से सस्ता कपास मंगाने के लिए आयात शुल्क हटाने की मांग कर रहा है, जबकि किसानों को इससे नुकसान हो सकता है। इसलिए उन्होंने ज़ोर दिया कि किसान और उद्योग, दोनों के हितों को संतुलित करना होगा।
आत्मनिर्भर भारत के लिए कपास मिशन
शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया कि “टीम कॉटन” का गठन किया जाएगा, जिसमें कृषि मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, ICAR, वैज्ञानिक, बीज निर्माता, किसान और उद्योग विशेषज्ञ शामिल होंगे। यह टीम 2030 से पहले भारत को कपास उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य पर काम करेगी।
आंकड़ों में दिखी गिरावट , लेकिन सरकार का लक्ष्य आत्मनिर्भरता
कृषि मंत्रालय के आँकड़े बताते हैं कि भारत में कपास की खेती लगातार सिमटती जा रही है। 2020-21 में जहाँ कपास का क्षेत्रफल 132.86 लाख हेक्टेयर था, वो 2024-25 तक घटकर 112.30 लाख हेक्टेयर रह गया—यानी हर साल करीब 4.12% की गिरावट। इसी दौरान कपास का उत्पादन भी 352.48 लाख गांठों से घटकर 306.92 लाख गांठों पर आ गया, जिसमें 3.40% की सालाना कमी दर्ज की गई।
हालाँकि सरकार उत्पादकता बढ़ाने पर ज़ोर दे रही है और प्रति हेक्टेयर उपज में 451 किलो से बढ़कर 465 किलो तक 0.77% की मामूली वृद्धि भी दर्ज हुई है, लेकिन कुल उत्पादन में गिरावट यह साफ़ दर्शाती है कि केवल उत्पादकता से भारत को आत्मनिर्भर बनाना पर्याप्त नहीं होगा।
अब जब सरकार का लक्ष्य है कि 2029-30 से पहले भारत को कपास उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जाए, तो यह चुनौती और भी बड़ी हो जाती है। इसके लिए उन्नत बीज, वायरस प्रतिरोधी किस्में, कृषकों तक समय पर तकनीकी जानकारी और मशीनों की आसान पहुंच जैसी व्यवस्थाएं तेज़ गति से और जमीनी स्तर पर लागू करनी होंगी। सरकार ने इस दिशा में “टीम कॉटन” जैसी पहल के ज़रिए व्यापक योजना का दावा किया है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि अगर अब भी सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो आत्मनिर्भरता का लक्ष्य सिर्फ भाषणों तक सीमित रह जाएगा।
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