राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

केंद्र ने गेहूं उत्पादों के निर्यात को फिर शुरू करने की प्रक्रिया तेज़ की

15 नवंबर 2025, नई दिल्ली: केंद्र ने गेहूं उत्पादों के निर्यात को फिर शुरू करने की प्रक्रिया तेज़ की – उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय गेहूं से बने उत्पादों आटा, मैदा और सूजी के निर्यात प्रतिबंधों को आंशिक रूप से हटाने पर विचार कर रहा है। मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें इन उत्पादों के लिए कुल एक मिलियन टन तक का निर्यात अनुमति देने की सिफारिश की गई है।

यह पहल ऐसे समय में हो रही है जब 2025–26 में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने की संभावना जताई जा रही है। एक उद्योग विशेषज्ञ के अनुसार, चालू सीज़न में पहले से ही बेहतर फसल मिली है और अनुकूल मानसून की वजह से अगला सीज़न भी मजबूत रहने की उम्मीद है। घरेलू उपलब्धता पर्याप्त दिखने के कारण मिलिंग सेक्टर चाहता है कि सरकार निर्यात में ढील दे ताकि भारत अपने पारंपरिक विदेशी बाज़ार फिर से हासिल कर सके।

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भारत ने 2022 में गेहूं और गेहूं आधारित उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था, जब तेज़ गर्मी की वजह से उत्पादन घट गया था और बड़े पैमाने पर हुए निर्यात के कारण भंडारण स्तर कम हो गया था, जिससे कीमतें बढ़ने लगी थीं। इसके बाद के वर्षों में भी उच्च तापमान के चलते सरकार को बाज़ार को संतुलित रखने के लिए कड़े कदम उठाने पड़े।

निर्यात प्रतिबंध के दौरान कई भारतीय कंपनियों ने मध्य पूर्व और कनाडा जैसे क्षेत्रों में यूनिटें स्थापित कीं ताकि अप्रवासी भारतीयों की मांग पूरी की जा सके। इस बीच पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से आने वाली आपूर्ति ने आंशिक रूप से भारत की खाली जगह को भर दिया।

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विशेषज्ञ का कहना है कि यदि प्रतिबंध में ढील दी जाती है, तो भारतीय गेहूं से बने आटे का स्वाद और गुणवत्ता एक बार फिर वैश्विक उपभोक्ताओं तक पहुँच सकेगी।

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सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 7 नवंबर तक गेहूं की बुवाई का क्षेत्रफल पिछले साल की तुलना में दोगुने से अधिक हो गया है। बेहतर मानसून, जिसने भूजल स्तर को पुनः भर दिया, रबी फसलों—विशेषकर गेहूं—के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करेगा।

वर्तमान में, एडवांस ऑथराइजेशन स्कीम के तहत थोड़ी मात्रा में गेहूं उत्पादों का निर्यात अभी भी संभव है, जिसमें आयातित गेहूं से बने आटा, मैदा और सूजी को निर्यात करने की अनुमति है। उद्योग का मानना है कि यदि प्रतिबंध में और ढील मिलती है, तो भारतीय मिलें वैश्विक बाज़ार में अपनी उपस्थिति फिर से मजबूत कर सकेंगी।

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