राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

साल 2047 तक भारत की कुल खाद्य मांग मौजूदा मांग से दोगुनी से अधिक हो जाएगी

22 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: साल 2047 तक भारत की कुल खाद्य मांग मौजूदा मांग से दोगुनी से अधिक हो जाएगी – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से संबंद्ध नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी रिसर्च (आईसीएआर-एनआईएपी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2047 तक भारत की कुल खाद्य मांग मौजूदा मांग से दोगुनी से अधिक हो जाएगी, जबकि पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे बागवानी और पशु उत्पादों की मांग तीन से चार गुना बढ़ने की संभावना है।हालांकि, इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आवश्यक कृषि भूमि घटकर 176 मिलियन हेक्टेयर रह जाएगी, जो फिलहाल लगभग 180 मिलियन हेक्टेयर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती पोषण संबंधी जरूरतों और बदलती आहार प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए फल, सब्जियां, दालें और तिलहन जैसी प्रमुख फसलों के बारे में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही, चावल व गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों से वैकल्पिक फसलों की ओर धीरे-धीरे संसाधनों का स्थानांतरण अत्यावश्यक है। भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करने के लिए अपनी अर्थव्यवस्था को लगभग 8 प्रतिशत की वार्षिक दर से विकसित करना होगा। इसी दौरान, देश की जनसंख्या बढ़कर 1.6 अरब तक पहुंच जाएगी और लगभग आधी आबादी शहरी क्षेत्रों में निवास करेगी। इस आर्थिक और जनसांख्यिकीय बदलाव के चलते भारतीय आहार पैटर्न में भी बड़ा बदलाव आएगा, विशेष रूप से पोषक तत्वों से भरपूर बागवानी और पशु उत्पादों की मांग में वृद्धि होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2047 तक फलों की मांग सालाना 3 प्रतिशत की दर से बढ़कर 233 मिलियन टन और सब्जियों की मांग 2.3 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़कर 365 मिलियन टन हो जाएगी। दालों की मांग दोगुनी होकर 49 मिलियन टन तक पहुंच सकती है, जबकि खाद्य तेलों और चीनी की मांग क्रमशः 50 प्रतिशत और 29 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है।

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