राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

रंग, गंध, स्वाद की त्रिवेणी मिर्च

अच्छी फसल ने तीखी मिर्च को मीठी बना दिया

मिर्च (कैप्सिकम एनम) भारत की सबसे मूल्यवान फसलों में से एक है। भारतीय मिर्च अपने दो महत्वपूर्ण व्यवसायिक गुणों, रंग और तीखेपन के लिए विश्व प्रसिद्ध मानी जाती है। भारत दुनिया में मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। भारत के बाद उत्पादन में चीन, थाईलैंड, इथियोपिया और इंडोनेशिया जैसे देश आते हैं। भारत में प्रमुख मिर्च उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक एवं मध्य प्रदेश हैं। विश्वभर में मिर्च की खेती तकरीबन 1.5 मिलियन हेक्टेयर रकबे पर की जाती है जिससे लगभग 7 मिलियन टन का उत्पादन प्राप्त होता है। मिर्च की फसल का भारत में 0.752 मिलियन हेक्टेयर भूमि से कुल 2.14 मिलियन टन उत्पादन होता है। इसकी उत्पादकता 2.86 टन प्रति हेक्टेयर है। लगभग 45 हजार टन मिर्च का निर्यात भारत द्वारा किया जाता है। म.प्र. के निमाड़ की मिर्च भी अपने तीखेपन के कारण मशहूर है।

निमाड़ मिर्ची की ब्रांडिंग को लेकर मिर्च उत्पादकों, व्यापारियों में उत्साह

इस साल मिर्च की भरपूर फसल आने से खरगोन के कसरावद के जामखेड़ा गांव के श्री संतोष अनोक चंद्र जैसे कई किसानों के लिये मिर्च तीखी नहीं मीठी साबित हुई है।

Advertisement
Advertisement

मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के सनावद के पास एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मिर्च मंडी बेडिय़ा में इस बार अब तक 2.71 लाख क्विंटल की आवक हो चुकी है। इसका मूल्य 202 करोड़ है।

chilly1निमाड़ की मिर्च रंग और तीखेपन के कारण अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकी है। देश के भीतर और कई एशियाई देशों विशेष रूप से चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका, वियतनाम, थाईलैंड और यूएई में भी भेजी जा रही हैं। खरगोन, धार, खंडवा, बड़वानी, अलीराजपुर जैसे जिलों से बड़ी मात्रा में मिर्च का उत्पादन होता है। मिर्ची उत्पाद किसान निमाड़ी मिर्च की ब्रांडिग को लेकर उत्साहित हैं और मानते हैं कि इससे मिर्च बाजार में अच्छे दाम मिलेंगे।

Advertisement8
Advertisement
  • चीन, पाकिस्तान, श्रीलंका, मलेशिया में मांग।
  • बेडिय़ा मंडी में 200 करोड़ रु. से अधिक की आवक।
  • रंग, गंध और तीखापन बनी पहचान।
  • निमाड़ की हवा, पानी, मिट्टी खास है।

श्री संतोष अनोक चंद्र ने इस बार पीली मिर्च लगाई है जो लाल मिर्च से ज्यादा दाम में बिकती है। वे बताते हैं कि जामखेड़ा के 95 प्रतिशत किसान मिर्च लगाते हैं। अच्छी फसल होने पर चार से पांच लाख प्रति एकड़ तक मिल जाते हैं। तेजा और माही ज्यादा पसंद की जाती है। पीली मिर्च का भाव ज्यादा है। वे बताते हैं कि इस बार पाँच- छह एकड़ में मिर्च लगाई है। इस बार मौसम अच्छा था। फसल बहुत अच्छी आई। मिर्च तुड़ाई मंहगी पड़ती है। कुशल कारीगर ही यह काम करता है और पांच से छह रूपये प्रति किलो तुड़ाई लेता है। निमाड़ी मिर्च के रूप में ब्रांडिंग करने के विचार का स्वागत करते हुए संतोष कहते हैं कि यह किसानों के हित में बड़ा कदम होगा।

Advertisement8
Advertisement

santosh anok chandraभीकनगांव के श्री कमलचंद रामलाल कहते हैं कि करीब 80 किसानों नेे मिर्च लगाई है। एक किसान औसत दस एकड़ में फसल लेता है। इस बार रेट अच्छे मिलने से चार लाख प्रति एकड़ से दाम मिल जायेंगे। ज्यादातर ने माही किस्म लगाई है। कुछ ने वीनस लगाई है। दोनों अच्छी हैं। इस साल अच्छी फसल हुई है। वे कहते हैं कि निमाड़ क्षेत्र के हवा, पानी और मिट्टी में ऐसी कुछ विशेषता है कि यहां उगने वाली सभी किस्म की मिर्च तीखी और सुर्ख लाल रंग की होती है। वे कहते हैं कि मिर्च तीखी होती है लेकिन अब अच्छी फसल होती है तो हमारे लिये मीठी हो जाती है।

 

एक्सपोर्ट ट्रेनिंग मिली

मुंबई के मिर्च और उद्यानिकी फसलों के निर्यात से जुड़े श्री आयुष बियानी का कहना है कि निमाड़ी मिर्ची की भौगोलिक पहचान का प्रमाण-पत्र लेना व्यापार के लिहाज से जरूरी कदम है। इससे मिर्च के व्यापार पर अच्छा असर पड़ेगा साथ ही किसानों को और भी अच्छे दाम मिलेंगे।

श्री बियानी कहते हैं कि निमाड़ के मिर्ची उत्पादक किसानों को निर्यात से जुड़ी प्रक्रियाओं और निर्यात लायक उत्पाद खुद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

तीन दशकों से खरगोन और इंदौर में मिर्ची के व्यापार

तीन दशकों से खरगोन और इंदौर में मिर्ची के व्यापार में सक्रिय फर्म एआर ट्रेडर्स के मालिक श्री अब्दुल रहीम का कहना है कि निमाड़ की मिर्च को भौगोलिक पहचान मिलने से बाजार में इसका मूल्य बढ़ेगा। वे कहते हैं कि निमाड़ में पैदा होने वाली मिर्च तीखेपन को लेकर जानी पहचानी जाती है। यह आंध्रप्रदेश की मिर्च से भी ज्यादा तीखी है। निमाड़ी मिर्च की निर्यात की संभावनाओं की चर्चा करते हुए श्री अब्दुल रहीम कहते हैं कि यहां की मिर्च चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश श्री लंका, सउदी अरेबिया और मलेशिया तक जाती है।

Advertisement8
Advertisement

खरगोन के मंडी सचिव श्री रामवीर किरार मिर्च की विशेषता के बारे में बताते हैं

खरगोन के मंडी सचिव श्री रामवीर किरार मिर्च की विशेषता के बारे में बताते हैं कि रंग, लंबाई, गंध और तीखापन से गुणवत्ता तय होती है। निमाड़ की मिर्च में रंग और तीखापन दोनों ही ज्यादा होता है। वे बताते हैं कि मिर्च उत्पादक किसानों में मिर्च उत्पादन के आधुनिक तौर तरीकों की ओर रूझान हुआ है। बड़े किसान भी कम से कम 50 प्रतिशत हिस्से में मिर्च लगा लेते हैं। छोटे रकबे वाले किसानों के लिये तो मिर्च वरदान साबित हो रही है। फिलहाल मंडी रेट 120 – 130 रूपये प्रति किलो चल रहा है।

Advertisements
Advertisement5
Advertisement