भारत-जर्मनी के बीच कृषि सहयोग पर बड़ी बैठक, डिजिटल खेती और तकनीक पर जोर
20 मार्च 2025, नई दिल्ली: भारत-जर्मनी के बीच कृषि सहयोग पर बड़ी बैठक, डिजिटल खेती और तकनीक पर जोर – भारत और जर्मनी के बीच कृषि क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने के लिए 19 मार्च 2025 को नई दिल्ली में एक अहम बैठक हुई। यह बैठक भारत-जर्मनी संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) की 8वीं बैठक थी, जो पूसा स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर में आयोजित की गई। इसमें डिजिटल कृषि, बीज उत्पादन, मशीनीकरण, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग पर गहन चर्चा हुई।
बैठक की सह-अध्यक्षता भारत के पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय और जर्मनी के संघीय खाद्य और कृषि मंत्रालय की राज्य सचिव सिल्विया बेंडर ने की। अपने शुरुआती संबोधन में अलका उपाध्याय ने कहा कि भारत और जर्मनी के बीच लंबे समय से मजबूत रिश्ते हैं, जो 2011 से अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) के जरिए और गहरे हुए हैं। उन्होंने डिजिटल तकनीक और कृषि व्यापार को सहयोग के लिए अहम बताया। वहीं, सिल्विया बेंडर ने दोनों देशों के सामने आने वाली साझा चुनौतियों का जिक्र करते हुए नए समाधानों के लिए मिलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया।
क्या-क्या हुआ चर्चा में शामिल?
बैठक में भारत की ओर से अजीत कुमार साहू ने देश की कृषि स्थिति पर बात रखी। उन्होंने डिजिटल कृषि मिशन, लखपति दीदी कार्यक्रम, और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) जैसे कदमों का जिक्र किया, जो किसानों को मजबूत करने के लिए उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा प्राकृतिक खेती, फसल बीमा और ई-एनएएम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर भी चर्चा हुई। दूसरी ओर, डॉ. प्रमोद मेहरेडा ने कीट और रोग प्रबंधन में डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया।
जर्मनी की ओर से भी कृषि में डिजिटलीकरण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), और मशीनीकरण जैसे मुद्दों पर अपने अनुभव साझा किए गए। दोनों देशों ने बीज क्षेत्र, बागवानी और मत्स्य पालन में भी सहयोग की संभावनाएं तलाशीं।
जर्मन प्रतिनिधिमंडल में उनके खाद्य और कृषि मंत्रालय (बीएमईएल) के अलावा कई संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल थे। भारत की ओर से कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्य पालन विभाग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अधिकारी मौजूद रहे।
यह बैठक दोनों देशों के बीच कृषि सहयोग को नई दिशा देने की कोशिश का हिस्सा मानी जा रही है। खास तौर पर डिजिटल तकनीक और मशीनीकरण के जरिए खेती को आधुनिक बनाने पर फोकस रहा। हालांकि, चर्चा के नतीजे कितने कारगर होंगे, यह आने वाले समय में ही पता चलेगा। फिलहाल, दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने और सहयोग बढ़ाने की बात दोहराई है।
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