सहकारी क्षेत्र में बड़ा बदलाव, प्रधानमंत्री मोदी की हाई-लेवल मीटिंग में अहम फैसले
07 मार्च 2025, नई दिल्ली: सहकारी क्षेत्र में बड़ा बदलाव, प्रधानमंत्री मोदी की हाई-लेवल मीटिंग में अहम फैसले – सहकारी क्षेत्र को मजबूत बनाने और इसमें नई जान फूंकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में डिजिटल तकनीक, पारदर्शिता, जैविक खेती, सहकारी समितियों की मजबूती और युवाओं व महिलाओं की भागीदारी जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। सरकार सहकारी संस्थानों को और प्रभावी बनाने के लिए राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का खाका तैयार कर रही है, जिसका मकसद ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सहकारिता की हिस्सेदारी बढ़ाना है।
सहकारिता के डिजिटलीकरण पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में सहकारी संस्थानों को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर दिया। सरकार डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (एग्रीस्टैक) को बढ़ावा देकर सहकारी समितियों को मजबूत करना चाहती है, जिससे किसानों को डिजिटल सेवाओं तक आसान पहुंच मिल सके। इसके अलावा, संपत्तियों के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण करने और यूपीआई को रुपे केसीसी कार्ड से जोड़ने का भी प्रस्ताव रखा गया, ताकि सहकारी समितियों में लेन-देन और आसान हो सके।
बैठक में जैविक खेती को सहकारी समितियों के जरिए आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारी समितियां जैविक उत्पादों को बढ़ावा देकर निर्यात बाजार में भी अपनी जगह बना सकती हैं। इसके अलावा, मृदा परीक्षण मॉडल विकसित करने का भी सुझाव दिया गया, जिससे किसानों को सही जानकारी मिले और खेती की उत्पादकता बढ़ाई जा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारिता मॉडल को स्कूलों, कॉलेजों और IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाया जाना चाहिए। इसके पीछे मकसद यह है कि युवा पीढ़ी सहकारी संस्थानों के महत्व को समझे और इस क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाए। साथ ही, सफल सहकारी संगठनों की कहानियों को प्रेरणादायक उदाहरण के तौर पर पेश करने का भी सुझाव दिया गया।
राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का मसौदा तैयार
बैठक में प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी गई। इस नीति का मकसद है ग्रामीण विकास में सहकारी समितियों की भूमिका को बढ़ाना और कानूनी ढांचे को मजबूत करना। खासतौर पर महिलाओं और युवाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि सहकारिता को ज्यादा समावेशी और प्रभावी बनाया जा सके।
सरकार ने “संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण” अपनाते हुए 10 मंत्रालयों की 15 से ज्यादा योजनाओं को PACS (प्राथमिक कृषि साख समितियां) के साथ जोड़ा है। इससे ग्रामीण स्तर पर सहकारी समितियों को नए अवसर मिलेंगे, आय के स्रोत बढ़ेंगे और सरकारी योजनाओं की पहुंच तेज होगी।
बैठक में यह भी बताया गया कि देश में 8.2 लाख से अधिक सहकारी समितियां हैं, जिनकी सदस्य संख्या 30 करोड़ से ज्यादा है। ये समितियां कृषि, डेयरी, क्रेडिट, मछली पालन और ग्रामीण विकास जैसे 30 से अधिक क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
सहकारी विश्वविद्यालय की होगी स्थापना
सहकारिता क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सरकार आईआरएमए, आनंद को “त्रिभुवन सहकारिता विश्वविद्यालय” में बदलने की योजना बना रही है। इसके लिए संसद में एक नया विधेयक पेश किया गया है, जिससे यह संस्थान राष्ट्रीय महत्व का विश्वविद्यालय बन सके।
इस बैठक में गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा, प्रधान सचिव-2 शक्तिकांत दास, प्रधानमंत्री के सलाहकार अमित खरे समेत कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे।
बैठक में जो प्रस्ताव रखे गए, अगर वे जमीन पर उतरे तो सहकारी समितियों में पारदर्शिता बढ़ेगी, वित्तीय लेन-देन आसान होगा, किसानों को डिजिटल सुविधाएं मिलेंगी और जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, शिक्षा में सहकारिता को शामिल करने और युवाओं की भागीदारी बढ़ाने से इस क्षेत्र को नई दिशा मिल सकती है।
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