अमेरिका ने रिजेक्ट किए भारतीय आम, एमपी-यूपी के किसानों को सस्ते में बेचना पड़ रहा फल
30 जून 2025, नई दिल्ली: अमेरिका ने रिजेक्ट किए भारतीय आम, एमपी-यूपी के किसानों को सस्ते में बेचना पड़ रहा फल – इस साल मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के आम उत्पादक किसानों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। अमेरिका ने भारतीय आम की खेप को रिजेक्ट कर दिया, जिसके चलते लंगड़ा, दशहरी, चौसा और सफेदा जैसी लोकप्रिय किस्में स्थानीय बाजारों में ही सस्ते दामों पर बिक रही हैं। बेहतर पैदावार के बावजूद निर्यात में रुकावट ने किसानों की कमाई पर असर डाला है। हालांकि, उपभोक्ताओं के लिए यह अच्छी खबर है, क्योंकि इस बार आम 3 से 7 फीसदी सस्ते मिल रहे हैं।
रिकॉर्ड पैदावार, फिर भी निर्यात में बाधा
यूपी के मलीहाबाद और सहारनपुर में दशहरी और लंगड़ा की बंपर पैदावार हुई है, वहीं महाराष्ट्र में हापुस (अल्फांसो) ने भी अच्छा उत्पादन दिया। मध्य प्रदेश में भी इस बार आम की फसल शानदार रही। लेकिन अमेरिका में पेस्टीसाइड और केमिकल के मानकों (एमआरएल) के कारण भारतीय आम की खेप रिजेक्ट होने से किसानों को निर्यात का मौका नहीं मिला। नतीजतन, ये स्वादिष्ट और मीठे आम अब स्थानीय मंडियों में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं।
निर्यात विशेषज्ञ सुविध शाह बताते हैं, “एपिडा के जरिए विदेश भेजे जाने वाले आमों की गुणवत्ता पर सख्त नजर रखी जाती है। अगर पेस्टीसाइड या केमिकल की मात्रा तय मानकों से ज्यादा होती है, तो खेप रिजेक्ट हो जाती है। इस बार यही हुआ, जिससे एमपी, यूपी, गुजरात और दक्षिण भारत के आम घरेलू बाजार में ही बिक रहे हैं।”
किसानों की लागत और कमाई में असंतुलन
किसानों के लिए यह स्थिति चिंताजनक है। भोपाल की थोक मंडी में कारोबारी संतोष गुप्ता बताते हैं, “लंगड़ा, दशहरी, चौसा और सफेदा पिछले साल की तुलना में सस्ते बिक रहे हैं। लेकिन केसर की कीमतें बढ़ीं, क्योंकि गुजरात में आंधी-तूफान ने फसल को नुकसान पहुंचाया, जिससे इसकी आवक सीमित रही।”
उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. विजय अग्रवाल कहते हैं, “किसानों को निर्यात के लिए सख्त मानकों का पालन करना पड़ता है। पेस्टीसाइड के सही उपयोग और जैविक खेती की ओर बढ़ने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी समस्याएं कम हों।”
मंडी में आम के दाम (रुपए प्रति किलो)
आम की किस्म | गत वर्ष | इस वर्ष | आवक का स्रोत |
लंगड़ा | 35-40 | 30-32 | यूपी |
दशहरी | 40-50 | 35-40 | यूपी |
चौसा | 60-65 | 50-60 | यूपी |
सफेदा | 30-35 | 25-30 | यूपी |
बादाम | 100-110 | 50-60 | दक्षिण भारत |
तोतापरी | 40-45 | 30-35 | दक्षिण भारत |
केसर | 50-60 | 90-100 | गुजरात |
आम की प्रमुख किस्में और उनकी खासियत
- हापुस (अल्फांसो): मलाईदार गूदा, रेशा-रहित बनावट और तेज मिठास के साथ सुनहरी रंगत इसकी पहचान है।
- दशहरी: मध्यम मिठास और रसीलेपन के लिए मशहूर, उपभोक्ताओं की पसंद।
- लंगड़ा: खट्टा-मीठा स्वाद, जो ग्राहकों को खूब भाता है।
- बंगनपल्ली: दक्षिण भारत का बड़ा, रेशा-रहित और रसीला आम।
किसानों के लिए सुझाव
किसानों को निर्यात के मानकों को पूरा करने के लिए जैविक खेती और पेस्टीसाइड के नियंत्रित उपयोग पर ध्यान देना होगा। साथ ही, सरकार और एपिडा से प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता लेने की जरूरत है। स्थानीय बाजार में सस्ते दामों पर बिक्री से नुकसान कम करने के लिए किसानों को वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स जैसे आम का अचार, जूस या पल्प बनाने की दिशा में भी काम करना चाहिए।
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