एआई से बदल रही भारतीय खेती: किसान ई-मित्र, स्मार्ट तकनीक और मानसून पूर्वानुमान से फसल सुरक्षा व उत्पादन में सुधार
10 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: एआई से बदल रही भारतीय खेती: किसान ई-मित्र, स्मार्ट तकनीक और मानसून पूर्वानुमान से फसल सुरक्षा व उत्पादन में सुधार – भारत में कृषि क्षेत्र में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तकनीकें किसानों की सबसे बड़ी मदद बन रही हैं। फसल सुरक्षा, उत्पादकता और किसानों की आजीविका में सुधार के लिए सरकार ने स्मार्ट समाधान लागू किए हैं, जिनमें किसान ई-मित्र जैसे आवाज़-आधारित चैटबॉट, कीट निगरानी प्रणाली और एआई आधारित स्थानीय मानसून पूर्वानुमान शामिल हैं। इन तकनीकों से न केवल किसानों के निर्णयों में तेजी आई है, बल्कि फसल की बुवाई और सुरक्षा के मामले में भी सुधार हुआ है।
सरकार ने फसल उत्पादकता, सततता और किसानों की आजीविका में सुधार लाने तथा कृषि क्षेत्र की विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए एआई विधियों का व्यापक उपयोग किया है।
किसान ई-मित्र: आवाज़-आधारित एआई चैटबॉट
“किसान ई-मित्र” एक आवाज़-आधारित एआई आधारित चैटबॉट है, जिसे किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और किसान क्रेडिट कार्ड से संबंधित उनके प्रश्नों के उत्तर देने के लिए विकसित किया गया है। यह समाधान 11 क्षेत्रीय भाषाओं में संचालित होता है और अन्य सरकारी कार्यक्रमों में सहायता के लिए भी विकसित किया जा रहा है।
वर्तमान में, यह प्रतिदिन 8,000 से अधिक प्रश्नों का समाधान करता है और अब तक 93 लाख से अधिक प्रश्नों के उत्तर दिए जा चुके हैं।
कीट निगरानी और फसल सुरक्षा में एआई का योगदा
जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले उत्पादन के नुकसान का समाधान करने के लिए, राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली में फसलों में कीटों के संक्रमण का पता लगाने के लिए एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग किया जाता है। यह प्रणाली किसानों को कीटों की फोटो लेने और हमलों को कम करने में मदद करती है, जिससे फसल का नुकसान कम होता है।
इस टूल का उपयोग 10,000 से अधिक विस्तार कार्यकर्ता करते हैं और वर्तमान में यह 66 फसलों और 432 से अधिक कीटों के लिए उपलब्ध है। इसके अलावा, सैटेलाइट-आधारित फसल मैपिंग के लिए खेत की तस्वीरों का विश्लेषण कर बोई गई फसलों की फसल-मौसम मैचिंग मॉनीटरिंग भी की जाती है।
एआई आधारित मानसून पूर्वानुमान और किसानों की तैयारी
खरीफ 2025 के लिए भारत के 13 राज्यों में स्थानीय मानसून की शुरुआत के पूर्वानुमान के लिए डेवलपमेंट इनोवेशन लैब-इंडिया के सहयोग से एक एआई-आधारित पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया। इसमें न्यूरलजीसीएम, ईसीएमडब्ल्यूएफ एआई फोरकास्टिंग सिस्टम और भारत मौसम विज्ञान विभाग का 125 वर्षों का ऐतिहासिक वर्षा डेटा शामिल किया गया।
ये पूर्वानुमान केवल मानसून की स्थानीय शुरुआत की भविष्यवाणी करते हैं, जो फसलों की बुवाई की तारीख तय करने में मदद करते हैं। एम-किसान पोर्टल के माध्यम से 13 राज्यों के 3,88,45,214 किसानों को पांच भाषाओं- हिंदी, ओडिया, मराठी, बांग्ला और पंजाबी में एसएमएस भेजे गए। मध्य प्रदेश और बिहार में पूर्वानुमान भेजने के बाद, किसानों से टेलीफोन सर्वेक्षण करके फीडबैक लिया गया।
सर्वेक्षण में पाया गया कि 31-52% किसानों ने मुख्य रूप से भूमि की तैयारी और बुवाई के समय में बदलाव करके अपने रोपण निर्णयों में सुधार किया, जिसमें फसल और इनपुट का चयन शामिल था।
यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में दी।
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