कृषि सचिव का संदेश: इलेक्ट्रिक और CBG ट्रैक्टर ही भविष्य
27 नवंबर 2025, नई दिल्ली: कृषि सचिव का संदेश: इलेक्ट्रिक और CBG ट्रैक्टर ही भविष्य – भारत के कृषि परिदृश्य को 2047 के विजन के अनुरूप बनाने के लिए हरित ईंधन आधारित मशीनीकरण और महिला किसानों के श्रम को कम करने वाले जेंडर-फ्रेंडली उपकरणों को प्राथमिकता देने की जरूरत है। यह संदेश कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने दिया।
नई दिल्ली में आयोजित 9वें इंटरनेशनल प्रदर्शनी और सम्मेलन “EIMA Agrimach India 2025” में बोलते हुए डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि अगले 5 से 10 वर्षों में कृषि मशीनरी को हरित ईंधनों की ओर स्थानांतरित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर और ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध कम्प्रेस्ड बायोगैस यानी CBG पर चलने वाली मशीनें किसानों के रखरखाव और परिचालन लागत को कम करेंगी। उन्होंने बताया कि मंत्रालय की योजनाएं आगे चलकर हरित ईंधन आधारित तकनीकों को और अधिक प्राथमिकता देंगी और इस क्षेत्र में भारतीय और इतालवी उद्योगों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है।
महिला किसानों के लिए जेंडर-फ्रेंडली उपकरण आवश्यक
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि महिला किसान कृषि क्षेत्र की आधारशिला हैं और 2026 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा महिला किसानों का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किए जाने के बाद, उद्योग की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जेंडर बजटिंग का अर्थ केवल महिलाओं को मशीनरी का स्वामित्व देना नहीं है क्योंकि इससे श्रम कम नहीं होता। उन्होंने कहा, “कृषि के अधिकांश कठिन कार्य महिलाएं करती हैं। इसलिए हमें ऐसे उपकरणों की जरूरत है जो वास्तव में उनका शारीरिक बोझ कम कर सकें। चाहे वह मैनुअल हों या मोटर चालित।”
भारत इटली कृषि सहयोग में नया अध्याय
भारत में इटली के राजदूत एंटोनियो बार्टोली ने कहा कि दोनों देशों के बीच कृषि सहयोग बढ़ाने के लिए जल्द ही भारतीय राजधानी में इतालवी दूतावास में कृषि अताशे नियुक्त करने की दिशा में काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लगभग 20 इतालवी कंपनियां भारत में उत्पादन कर रही हैं और इनकी संख्या बढ़ाने की योजना है। हाल ही में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की रोम में बैठक के दौरान इटली ने द्विपक्षीय व्यापार को 20 अरब यूरो तक पहुंचाने का लक्ष्य प्रस्तावित किया है।
कृषि को सेवा के रूप में विकसित करने की जरूरत
EIMA Agrimach India आयोजन समिति के चेयरमैन और TAFE के बोर्ड निदेशक टी. आर. केसवन ने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक मशीनरी, जैसे सीडर, किसानों के लिए खरीदना महंगा पड़ता है क्योंकि उनका उपयोग केवल कुछ दिनों के लिए होता है। ऐसे में कृषि को सेवा के रूप में विकसित करने से किसान आवश्यक उपकरण किराये पर ले सकेंगे और उत्पादन लागत भी कम होगी। उन्होंने बताया कि इस मॉडल पर उद्योग और मंत्रालय के बीच चर्चा आगे बढ़ रही है।
भारत यूरोप सहयोग से बढ़ेगा मशीनीकरण बाजार
फेडेरुनाकोमा की महानिदेशक सिमोना रापास्तेला ने बताया कि इटैलियन ट्रेड एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार भारत का कृषि मशीनीकरण बाजार 2023 में 13.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था जो 2033 तक बढ़कर 31.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की संभावना है। भारतीय और इतालवी उद्योगों के बीच साझेदारी इस विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
कार्यक्रम के दौरान FICCI और PwC की संयुक्त रिपोर्ट “Farm Mechanisation: The Path Towards a Future-Ready India” भी जारी की गई। PwC के पार्टनर शशि कांत सिंह ने व्यक्तिगत स्वामित्व के बजाय पे-पर-यूज मॉडल को अपनाने की सिफारिश की ताकि मशीनीकरण तेजी से बढ़ सके।
इटैलियन ट्रेड एजेंसी की डिप्टी ट्रेड कमिश्नर सबरीना मंगियालावोरी ने बताया कि भारतीय किसान जुताई, बुवाई, सिंचाई, फसल संरक्षण और थ्रेसिंग जैसे आधुनिक समाधानों को तेजी से अपना रहे हैं। FICCI राष्ट्रीय कृषि समिति के सह-अध्यक्ष और Corteva Agriscience के दक्षिण एशिया अध्यक्ष सुब्रत गीड ने कहा कि 2050 तक वैश्विक जनसंख्या 1000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है जिसमें भारत की भागीदारी सबसे अधिक होगी, इसलिए कृषि मशीनीकरण बेहद जरूरी है।
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