हर राज्य के लिए बनेगा कृषि रोडमैप, फसलवार रणनीति से बढ़ेगी किसानों की आय- शिवराज सिंह चौहान
27 अगस्त 2025, नई दिल्ली: हर राज्य के लिए बनेगा कृषि रोडमैप, फसलवार रणनीति से बढ़ेगी किसानों की आय- शिवराज सिंह चौहान – केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इसलिए सरकार पूरी निष्ठा के साथ खेती की लागत घटाने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने का काम कर रही है। इससे किसानों की आय में इजाफा होगा। उन्होंने बताया कि इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए सरकार फसल के अनुसार किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि उद्यमियों से चर्चा कर हर राज्य के लिए एक विशेष कृषि रोडमैप तैयार करेगी। यह रोडमैप पानी, मिट्टी और जलवायु को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा।
मंत्री चौहान ने यह बातें ग्वालियर स्थित राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में चल रही तीन दिवसीय “64वीं अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यकर्ता गोष्ठी” में कहीं।
गोष्ठी में 12 राज्यों के विशेषज्ञों की भागीदारी
इस कार्यक्रम में देश के 12 राज्यों से आए कृषि वैज्ञानिक, प्रगतिशील किसान, कृषि उद्यमी और विद्यार्थी हिस्सा ले रहे हैं। गोष्ठी के दूसरे दिन केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार चाहती है कि सिर्फ कुछ नहीं, बल्कि सभी किसानों की आय बढ़े। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री ऐदल सिंह कंषाना भी मंच पर मौजूद थे।
फसल विविधीकरण और लैब-टू-लैंड पर जोर
श्री चौहान ने कृषि वैज्ञानिकों से अपील की कि वे फसल विविधीकरण और एकीकृत खेती को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि प्रयोगशालाओं में हो रहा शोध सीधे खेतों तक पहुँचना चाहिए ताकि किसानों को उसका लाभ मिल सके। उन्होंने बताया कि इस गोष्ठी से मिलने वाले सुझावों को 14-15 सितम्बर को दिल्ली में होने वाली “रबी कॉन्फ्रेंस” में प्रस्तुत किया जाएगा। इन सुझावों को देशभर में लागू भी किया जाएगा।
उत्कृष्ट कार्य करने वालों किसानों को सम्मानित किया गया
कार्यक्रम में बेहतर किस्में विकसित करने वाले किसानों और संस्थाओं को सम्मानित किया गया। इसके साथ ही उत्कृष्ट परीक्षण और रिपोर्टिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ एआईसीआरपी केंद्र पुरस्कार भी दिया गया। इस अवसर पर उन्नत खेती पर आधारित पुस्तिकाओं का विमोचन भी किया गया।
गेहूं उत्पादन में रिकॉर्ड – 117.5 मिलियन टन
श्री चौहान ने बताया कि इस साल देश में 117.5 मिलियन टन गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। बीते 10 वर्षों में कृषि उत्पादन में 44% की वृद्धि हुई है। उन्होंने गेहूं को देश की खाद्य सुरक्षा, आर्थिक विकास और ग्रामीण आजीविका का आधार बताया। उन्होंने कहा कि आज भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर है और अब अन्य देशों की जरूरतें भी पूरी कर सकता है। सरकार की कोशिश है कि भारत दुनिया का फूड बास्केट बने।
दलहन-तिलहन पर फोकस, आयात कम करने की तैयारी
श्री चौहान ने कहा कि अब सरकार का ध्यान दलहन और तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर है, जिससे दालों के आयात की जरूरत न पड़े। उन्होंने कहा कि सरकार खासकर तुअर, मसूर, सूरजमुखी, चना और मटर जैसी फसलों को बढ़ावा देगी। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों को “वन टीम – वन टास्क” के तहत राज्यवार ज़िम्मेदारी दी जाएगी।
अच्छे उर्वरक और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित
उन्होंने बताया कि अब 642 प्रकार की प्रमाणित दवाएं और कीटनाशक ही बाजार में उपलब्ध होंगे। पहले लगभग 30,000 प्रकार की दवाएं बिकती थीं, लेकिन परीक्षण के बाद 22,000 दवाएं हटाई गई हैं। मंत्री चौहान ने प्रतिभागियों को स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग का संकल्प दिलाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह समर्पित है।
जैविक खेती को प्रोत्साहन – ऐदल सिंह कंषाना
प्रदेश के कृषि मंत्री ऐदल सिंह कंषाना ने किसानों और वैज्ञानिकों को बधाई दी और जैविक खेती को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव को देखते हुए किसानों को प्राकृतिक विकल्प अपनाने चाहिए। देश के कई प्रगतिशील किसानों और एफपीओ प्रतिनिधियों ने अपने सफलता के अनुभव साझा किए। किसी ने गेहूं की अधिक उपज हासिल की, तो किसी ने आम के बागवानी से लाखों की कमाई की।
वैज्ञानिकों ने दी अहम जानकारियाँ
आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम एल जाट ने कहा कि हमें जलवायु स्मार्ट, अधिक उत्पादक और पोषण युक्त किस्में विकसित करनी होंगी। साथ ही सटीक खेती, मशीनीकरण और डिजिटल तकनीक को अपनाना होगा।
डॉ. रतन तिवारी ने बताया कि 2030 तक 125 मिलियन टन और 2050 तक 150 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य है। प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला ने कहा कि मिट्टी में जिंक और सल्फर की कमी पर ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने पराली प्रबंधन नीति की वकालत की।
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