कृषि मंत्रालय ने उर्वरक गुणवत्ता सुधार के लिए नियमों में संशोधन किया
16 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: कृषि मंत्रालय ने उर्वरक गुणवत्ता सुधार के लिए नियमों में संशोधन किया – किसानों को गुणवत्तापूर्ण उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 13 दिसंबर 2024 को उर्वरक (अकार्बनिक, जैविक या मिश्रित) नियंत्रण आदेश, 1985 में संशोधन की अधिसूचना जारी की। ये संशोधन आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत किए गए हैं और उर्वरक गुणवत्ता की जांच और विवाद समाधान प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिए बनाए गए हैं।
संशोधन में उर्वरकों की सैंपलिंग और परीक्षण की प्रक्रियाओं पर विशेष जोर दिया गया है। अब निरीक्षण के दौरान उर्वरक निरीक्षकों द्वारा तीन नमूने एकत्र किए जाएंगे। इनमें से एक नमूना निर्माता, विक्रेता, आयातक, या विपणनकर्ता को दिया जाएगा, दूसरा नमूना विश्लेषण के लिए केंद्रीय कोडिंग केंद्रों के माध्यम से नामित प्रयोगशालाओं में भेजा जाएगा, और तीसरा नमूना नामित प्राधिकरण के पास रखा जाएगा।
यदि कोई नमूना मानक से कम पाया जाता है, तो संबंधित पक्ष को पुनः परीक्षण के लिए 15 दिनों के भीतर आवेदन करना होगा। इस नमूने का पुनः परीक्षण राष्ट्रीय परीक्षण गृह (एनटीएच) प्रयोगशालाओं जैसे गाजियाबाद, चेन्नई, जयपुर, कोलकाता, या मुंबई में किया जाएगा। यदि पहले और दूसरे परीक्षण में मतभेद बने रहते हैं, तो अंतिम परीक्षण के लिए नमूने को केंद्रीय उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण और प्रशिक्षण संस्थान, फरीदाबाद भेजा जाएगा।
संशोधन के तहत परीक्षण और रिपोर्टिंग प्रक्रिया को तेज किया गया है। रेफरी प्रयोगशालाओं को 15 दिनों के भीतर विश्लेषण पूरा करना होगा और परिणामों को तीन कार्य दिवसों के भीतर साझा करना होगा। ये संशोधन किसानों और अन्य हितधारकों को उर्वरक गुणवत्ता विवादों के त्वरित समाधान का लाभ प्रदान करेंगे।
सरकार के ये प्रयास पारदर्शिता और भरोसे को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हैं, ताकि किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले कृषि इनपुट्स तक समय पर पहुंच सुनिश्चित हो सके।
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