राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

किसान भाई अर्थ गंगा अभियान में जीरो बजट-प्राकृतिक खेती अपनाएं-एनएमसीजी डीजी की अपील

20 अगस्त 2022, नई दिल्ली: किसान भाई अर्थ गंगा अभियान में  जीरो बजट-प्राकृतिक खेती अपनाएं-एनएमसीजी डीजी की अपील – राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), 18 से 22 अगस्त 2022 तक शिरडी, महाराष्ट्र में आयोजित होने वाले सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती (एसपीएनएफ) प्रशिक्षण एवं कार्यशाला शिविर में गंगा बेसिन के लगभग 30 किसानों को एक्सपोजर यात्रा की सुविधा प्रदान कर रहा है। उन्हें इस कार्यशाला की सुविधा नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत दी जा रही है जिसके अंतर्गत प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ताकि गंगा नदी में खेतों से दूषित पानी के प्रवाह को रोकने के उद्देश्य हासिल किए जा सकें और अर्थ गंगा पहल के तहत प्राकृतिक खेती पर आधारित किसानों के लिए एक स्थायी आजीविका मॉडल बनाया जा सके। प्रधानमंत्री द्वारा दिसंबर 2019 में कानपुर में हुई पहली राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक के दौरान इस पहल को अपनाया गया था। इस पहल के तहत गंगा नदी के दोनों ओर 10 किलोमीटर के क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

एनएमसीजी के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार ने 18 अगस्त 2022 को कृषिविद् पद्मश्री सुभाष पालेकर की उपस्थिति में इस कार्यशाला में भाग लिया। पालेकर  ‘जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग’ तकनीक के सरपरस्त हैं, जिसे वर्तमान में पूरे भारत में सुभाष पालेकर खेती के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।

अर्थ गंगा के प्राथमिक उद्देश्यों में से एक जीरो बजट प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है जिसमें नदी के दोनों ओर 10 किमी दायरे में रसायन मुक्त खेती करना शामिल है, जिससे ‘प्रति बूंद ज्यादा आय’ पैदा होती है। इस कार्यशाला में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल सहित गंगा के अग्र भाग वाले राज्यों के विभिन्न जिलों के लगभग 30 किसानों ने भाग लिया।

कार्यक्रम में श्री सुभाष पालेकर और भाग लेने वाले किसानों के बीच सार्थक बातचीत देखी गई। श्री पालेकर ने चीजों को प्राकृतिक तौर पर स्वीकार करने के महत्व के बारे में बात की और पानी का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने के लिए जागरूक कृषि पद्धतियों के महत्व पर जोर दिया। कार्यशाला में ड्रैगन फ्रूट जैसे विदेशी फलों के खेतों का दौरा और प्रशिक्षण, मिश्रित फसल, केला, मसालों के खेतों का एक्सपोजर दौरा, प्राकृतिक खेती मॉडल द्वारा बंजर भूमि को खेत में बदलने का प्रशिक्षण, बिचौलियों से मुक्त मूल्य श्रृंखला विकसित करने के लिए प्राकृतिक उपज की मार्केटिंग पर अनुभव साझा करना आदि शामिल है।

सभा को संबोधित करते हुए एनएमसीजी महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार ने बीते 3-4 वर्षों से ‘मां गंगा’ के साथ अपने जुड़ाव के बारे में बात की और बताया कि कैसे नमामि गंगे कार्यक्रम की परिकल्पना प्रधानमंत्री द्वारा 2014 में गंगा नदी को निर्मल और अविरल बनाने के लिए की गई थी। उन्होंने कहा, “सीवेज और उद्योगों से बहते गंदे पानी के कारण गंगा नदी प्रदूषित हो गई और जैव विविधता, विशेष रूप से गंगा डॉल्फ़िन विलुप्त होने लगीं। 2014 में गंगा नदी को साफ करने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम शुरू किया गया था।” नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत किए गए कार्यों का सकारात्मक प्रभाव अब दिखने लगा है . उन्होंने जल-उपयोग दक्षता की अवधारणा के बारे में भी बात की और उदाहरण दिया कि कैसे चीन 700 लीटर पानी का उपयोग करता है जबकि हम उतने ही धान उत्पादन के लिए 3000 लीटर पानी बरतते हैं।

उन्होंने कहा, “हमें चीजों को पैसे के नहीं बल्कि पानी के नजरिए से देखना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ी के लिए जल की उपलब्धता वाला भविष्य सुरक्षित किया जा सके। पैसा पानी की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं करेगा, लेकिन अगर हम अपने जल संसाधनों को एकीकृत तरीके से प्रभावी ढंग से प्रबंधित करते हैं, तो जल ये सुनिश्चित करेगा कि हमारा सतह जल साफ हो और भूजल रिचार्ज हो।”

महत्वपूर्ण खबर: सोयाबीन में पीला मोज़ेक रोग के नियंत्रण के लिए सलाह

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *