कृषि क्षेत्र के 9 उपायों से होगा आकांक्षी भारत का विकास
कृषि मंत्रालय को मिले 1,31,530 करोड़
8 फरवरी 2021, नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र के 9 उपायों से होगा आकांक्षी भारत का विकास- कृषि क्षेत्र की सहायता से आकांक्षी भारत के समावेशी विकास के लिए केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने गत दिनों संसद में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट पेश करते हुए 9 उपायों की घोषणा की है। इन उपायों से कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देकर विस्तार किया जाएगा, जिससे वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना किया जा सके।
कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे का मजबूत विकास और कानूनी सुधार के सहारे किसानों की माली हालत को दुरुस्त करने की दिशा में आम बजट में कारगर पहल की गई है। खेती के बुनियादी ढांचे के लिए बजट में एक लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। आम बजट पेश होने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि बजट के केन्द्र में गांव और किसान हैं।
ग्रामीण विकास के बुनियादी ढांचे के साथ एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के लिए विशेष बंदोबस्त किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में इसके लिए विशेष कृषि उपकर लगाने का प्रावधान किया है। आम बजट के तीसरे आधार स्तंभ में आकांक्षी भारत व समग्र विकास के शीर्षक तले कृषि, किसान और गांव को प्राथमिकता दी गई है। कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम पहल की गई है। आयातित सभी कृषि उत्पादों पर एग्री सेस (उपकर) लगाया गया है।
आम बजट में किसानों की आमदनी को वर्ष 2022 तक दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास किया गया है। कृषि क्षेत्र की विकास दर को रफ्तार देने के लिए कृषि सह उद्यमों पर विशेष बल देते हुए कई तरह के प्रोत्साहन की घोषणा की गई है। कृषि की लागत में कटौती करने के साथ उपज की बेहतर कीमत दिलाने का भरोसा दिलाया गया है। आयात होने वाले कृषि उत्पादों को रोकने के प्रस्ताव किए गए हैं, ताकि घरेलू किसानों को अच्छी कीमतों का लाभ मिल सके।
स्वामित्व योजना
श्रीमती सीतारमण ने सभी राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों के लिए स्वामित्व योजना के विस्तार का प्रस्ताव रखा। इस वर्ष के शुरू में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गांवों में सम्पत्ति के स्वामित्व में पारदर्शिता लाने के लिए स्वामित्व योजना की शुरूआत की थी। योजना के तहत गांवों में सम्पत्ति के मालिकों को अधिकारों का रिकॉर्ड दिया जाता है। अब तक 1,241 गांवों में करीब 1.80 लाख सम्पत्ति मालिकों को कार्ड प्रदान किए गए हैं।
कृषि ऋण बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य
किसानों को पर्याप्त ऋण प्रदान करने के लिए, वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2022 में कृषि ऋण बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि सरकार पशु पालन, डेयरी और मत्स्य पालन के लिए ऋण प्रवाह बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करेगी।
ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास कोष में 33 प्रतिशत बढ़ोतरी
वित्त मंत्री ने ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास कोष के लिए आवंटन 30,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये करने की घोषणा की।
सूक्ष्म सिंचाई कोष दोगुना किया
श्रीमती सीतारमण ने नाबार्ड के तहत 5,000 करोड़ रुपये की धनराशि के साथ शुरू किए गए, सूक्ष्म सिंचाई कोष को 5,000 करोड़ रुपये और बढ़ाकर इसे 10 हजार करोड़ किया।
सस्ता
बिजली, स्टील, सोना-चांदी, लोहा, पेंट, नायलॉन और पॉलिस्टर के कपड़े, ड्राई क्लीनिंग, सोलर लालटेन, प्लेटिनम, तांबे का सामान।
मंहगा
मोबाईल फोन, चार्जर और पार्ट, इलेक्ट्रॉनिक आयटम, फ्रिज, एसी (आयातित), आटो पार्ट्स, रत्न (जवाहरात), लेदर, सिल्क, प्लास्टिक, शराब, सोलर प्रोडक्ट्स, कॉटन और इम्पोर्टेड कपड़े, दाल, सेव, कच्चा सोयाबीन।
किसान, गांव और ग्रामीण विकास केन्द्रीय बजट के दिल में है। इस बजट में कृषि को सशक्त बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई फैसले किये गये हैं। कृषि मंडियों को मजबूत करने का भी प्रावधान है। किसानों के लिए कर्ज लेना आसान किया गया है।
– नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री
केन्द्रीय आम बजट वर्ष 2021-22
ई-नाम से जुड़ेगी 1,000 मंडियां
ऑपरेशन ग्रीन योजना में 22 और उत्पाद शामिल
कृषि और सहायक उत्पादों में मूल्य वर्धन और उनके निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, श्रीमती सीतारमण ने ‘ऑपरेशन ग्रीन योजनाÓ का दायरा बढ़ाकर 22 खराब होने वाले उत्पादों को इसमें शामिल करने का प्रस्ताव किया जो वर्तमान में टमाटर, प्याज और आलू (टॉप्स) पर लागू है।
1,000 मंडियां ई-नाम से जुडं़ेगी
वित्त मंत्री ने कहा कि करीब 1.68 करोड़ किसान पंजीकृत हैं और ई-नाम के माध्यम से 1.14 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हो रहा है। ई-नाम द्वारा कृषि बाजार में स्थापित पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए, वित्त मंत्री ने पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा कायम करने के लिए 1,000 और मंडियों को ई-नाम से जोडऩे का प्रस्ताव रखा।
एपीएमसी को कृषि बुनियादी ढांचा कोष तक पहुंच प्रदान की जाएगी
वित्त मंत्री ने एपीएमसी की बुनियादी ढांचा सुविधाओं में वृद्धि के लिए उसे कृषि बुनियादी ढांचा कोष उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा।
मछली पकडऩे के 5 प्रमुख केन्द्रों में और निवेश होगा
श्रीमती सीतारमण ने मछली पकडऩे और मछली उतारने वाले केन्द्रों के विकास में पर्याप्त निवेश का प्रस्ताव रखा। वित्त मंत्री ने कहा कि मछली पकडऩे के 5 प्रमुख केन्द्रों : कोच्चि, चेन्नई, विशाखापतनम, पारादीप, और पेटुआघाट- को आर्थिक गतिविधि केन्द्र के रूप में विकसित किया जाएगा। श्रीमती सीतारमण ने अपने जल क्षेत्र में मछली पकडऩे के केन्द्रों तथा नदी के तटों और जलक्षेत्रों में मछली उतारने के केन्द्र विकसित करने का भी प्रस्ताव रखा।
तमिलनाडु में समुद्री घास पार्क स्थापित किया जाएगा
समुद्री घास की खेती में संभावना को पहचानते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है जिसमें तटवर्ती समुदायों के लोगों का जीवन बदलने की संभावना है। यह बड़े पैमाने पर रोजगार और अतिरिक्त आमदनी प्रदान करेगा। समुद्री घास की खेती को बढ़ावा देने के लिए, श्रीमती सीतारमण ने तमिलनाडु में एक बहुउद्देश्यीय समुद्री घास पार्क विकसित करने का प्रस्ताव रखा।
पिछले कई वर्षों में किसानों के कल्याण की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा कि किसानों से गेहूं, चावल, दालें खरीदने की मात्रा में तेजी से वृद्धि हुई है। वित्त मंत्री ने कहा कि मूल्य सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जबरदस्त बदलाव से गुजरा है जो सभी जिंसों के लिए उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना है।
खरीद और पिछले कुछ वर्षों में किसानों को किए गए भुगतान का विवरण देते हुए, श्रीमती सीतारमण ने कहा कि गेहूं के मामले में, 2013-14 में किसानों को कुल 33,874 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। वर्ष 2019-20 में यह 62,802 करोड़ रुपये था और 2020-21 में और सुधार हुआ तथा किसानों को 75,060 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। गेहूं पैदा करने वाले लाभान्वित किसानों की संख्या 2020-21 में बढ़कर 43.46 लाख हो गई जो 2019-20 में 35.57 लाख थी
धान के लिए 2013-14 में 63,928 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। 2019-20 में यह वृद्धि 1,41,930 करोड़ रुपये थी। वर्ष 2020-21 में यह और सुधरकर 172,752 करोड़ रुपये हो गई। लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या जो 2019-20 में 1.24 करोड़ थी, 2020-21 में 1.54 करोड़ पर पहुंच गई।
इसी तरह दालों के मामले में 2013-14 में 236 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया। 2019-20 में यह बढ़कर 8,285 करोड़ रुपये हो गई। इस समय 2020-21 में यह 10,530 करोड़ रुपये है। 2013-14 के मुकाबले यह 40 गुना से अधिक वृद्धि है। कपास के किसानों की प्राप्तियों में तेजी से बढ़ोतरी हुई । यह 2013-14 में 90 करोड़ रुपये से बढ़कर 25,974 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
देश की अर्थव्यवस्था को गति देने वाला यह मानवीय बजट है। इसमें गरीब, किसान, महिला, नौजवान और आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। यह बजट ग्रामीण विकास पर खरा उतरेगा।
- शिवराज सिंह चौहान
मुख्यमंत्री म.प्र.
आमजन को राहत की उम्मीद थी, पर किसी वर्ग को कुछ नहीं मिला। किसानों की आय दोगुना करने और मंडी व्यवस्था को मजबूत करने का झूठा वादा करके गुमराह किया गया है, जो किसानों के साथ धोखा है।
- कमलनाथ
पूर्व मुख्यमंत्री, म.प्र.
बजट सभी वर्गों, खासतौर पर किसानों की बेहतरी के उपायों पर केन्द्रित है। सरकार किसानों के कल्याण के लिए कोई कसर नहीं रखना चाहती। कृषि के सभी सेक्टर के लिए बड़ा आवंटन किया गया है।
- नरेन्द्र सिंह तोमर
केन्द्रीय कृषि मंत्री
यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने वाला ऐतिहासिक बजट है। इससे कृषि एवं किसान तथा गांव के लोगों की तकदीर बदलेगी। नई मंडियां खुलेंगी तथा गांव का विकास होगा।
- कमल पटेल
कृषि मंत्री, म.प्र.
किसानों को भुगतान में वृद्धि
(करोड़ रुपये में)
2013-14 2019-20 2020-21
गेहूं 33,874 62,802 75,060
चावल 63,928 1,41,930 172,752
दालें 236 8,285 10,530