हर साल बर्बाद हो रही 15% उपज! कटाई के बाद किसानों की मेहनत क्यों नहीं पहुंचती बाजार तक? जानिए कारण
26 जुलाई 2025, नई दिल्ली: हर साल बर्बाद हो रही 15% उपज! कटाई के बाद किसानों की मेहनत क्यों नहीं पहुंचती बाजार तक? जानिए कारण – खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने वर्ष 2022 में नैबकॉन्स (NABCONS) के माध्यम से “भारत में कृषि उपज के फसलोपरांत नुकसान” पर एक विस्तृत अध्ययन कराया था। यह अध्ययन देश के 292 जिलों, 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों और 54 कृषि उत्पादों पर आधारित था। अध्ययन का मकसद यह जानना था कि कटाई के बाद किन कारणों से फसलें बर्बाद हो रही हैं, और इस बर्बादी को कैसे कम किया जा सकता है।
किस फसल में कितना नुकसान? (फसलोपरांत हानि का प्रतिशत)
फसल/उत्पाद | नुकसान (%) |
अनाज | 3.89 – 5.92 |
दलहन | 5.65 – 6.74 |
तिलहन | 2.87 – 7.51 |
फल | 6.02 – 15.05 |
सब्जियाँ | 4.87 – 11.61 |
बागान फसलें और मसाले | 1.29 – 7.33 |
दूध | 0.87 |
इनलैंड मत्स्य पालन | 4.86 |
मरीन मत्स्य पालन | 8.76 |
मांस | 2.34 |
कुक्कुट पालन (पोल्ट्री) | 5.63 |
अंडा | 6.03 |
क्यों होती है उपज की बर्बादी?
रिपोर्ट में बताया गया है कि फसल कटने के बाद किसान को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वे इस प्रकार हैं:
1. कटाई में देरी या असावधानी
2. भंडारण की कमी – गोदाम, कोल्ड स्टोरेज नहीं होने से सब्जियां-फल जल्दी खराब होते हैं
3. परिवहन की असुविधा – ट्रक/वैन की उपलब्धता कम या दूरी ज़्यादा
4. प्रोसेसिंग की कमी – फलों-सब्जियों को लंबे समय तक बचाने के लिए प्रोसेसिंग प्लांट नहीं हैं
5. मार्केट लिंक न होना – किसानों की उपज मंडी या ग्राहकों तक सही समय पर नहीं पहुंचती
सरकार क्या कर रही है?
सरकार फसलोपरांत नुकसान को रोकने के लिए कई योजनाएं चला रही है:
1. समेकित बागवानी विकास मिशन (MIDH): कोल्ड स्टोरेज, पैक हाउस और राईपनिंग चैंबर जैसी सुविधाओं के लिए सब्सिडी देती है।
2. एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF): भंडारण, प्रोसेसिंग और ट्रांसपोर्ट से जुड़ी सुविधाओं के लिए आसान ऋण देता है।
3. एग्रीकल्चर मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम (AMI): भंडारण और विपणन इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में मदद करती है।
4. राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM): देश भर की मंडियों को जोड़कर किसानों को बेहतर दाम और खरीदार उपलब्ध कराता है।
5. प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY): फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को मज़बूती देने के लिए सब्सिडी और सहायता प्रदान करती है।
6. 10,000 किसान उत्पादक संगठन (FPO): किसानों को संगठित करके बाज़ार से सीधे जोड़ने की कोशिश।
यह सारी जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर के ज़रिए दी।
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