1389 मंडियां और 1.78 करोड़ किसान: ई-नाम बना कृषि व्यापार का नया आधार
22 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: 1389 मंडियां और 1.78 करोड़ किसान: ई-नाम बना कृषि व्यापार का नया आधार – भारतीय कृषि क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) योजना के तहत देशभर की 1389 मंडियों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है। यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री राम नाथ ठाकुर ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से दी।
ई-नाम: किसानों के लिए एक पारदर्शी मंच
ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो किसानों को उनकी उपज के लिए पारदर्शी मूल्य निर्धारण और प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के माध्यम से उचित दाम दिलाने में मदद करता है। इस योजना का उद्देश्य कृषि और बागवानी उत्पादों के व्यापार को सरल और पारदर्शी बनाना है।
31 अक्टूबर 2024 तक, इस प्लेटफॉर्म पर 1.78 करोड़ किसान, 2.62 लाख व्यापारी और 4250 से अधिक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) पंजीकृत हो चुके हैं। ई-नाम के माध्यम से अब तक 3.79 लाख करोड़ रुपये मूल्य की कृषि उपज का व्यापार हो चुका है।
मंडियों का डिजिटलीकरण: राज्यवार आंकड़े
ई-नाम के तहत 23 राज्यों और 4 केंद्रशासित प्रदेशों की मंडियों को जोड़ा गया है। यह प्रक्रिया राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों की मांग और तत्परता के आधार पर पूरी की जाती है। नीचे दी गई तालिका में राज्यवार आंकड़े प्रस्तुत हैं:
क्र. सं. | राज्य/केंद्र शासित प्रदेश | ई-नाम से जुड़ी मंडियों की संख्या |
1 | आंध्र प्रदेश | 33 |
2 | असम | 3 |
3 | बिहार | 20 |
4 | छत्तीसगढ़ | 20 |
5 | गुजरात | 144 |
6 | गोवा | 7 |
7 | हरियाणा | 108 |
8 | हिमाचल प्रदेश | 38 |
9 | झारखंड | 19 |
10 | कर्नाटक | 5 |
11 | केरल | 6 |
12 | मध्य प्रदेश | 139 |
13 | महाराष्ट्र | 133 |
14 | नागालैंड | 19 |
15 | ओडिशा | 66 |
16 | पंजाब | 79 |
17 | राजस्थान | 145 |
18 | तमिलनाडु | 157 |
19 | तेलंगाना | 57 |
20 | त्रिपुरा | 7 |
21 | उत्तर प्रदेश | 125 |
22 | उत्तराखंड | 20 |
23 | पश्चिम बंगाल | 18 |
केंद्र शासित प्रदेश | ||
1 | अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह | 1 |
2 | चंडीगढ़ | 1 |
3 | जम्मू और कश्मीर | 17 |
4 | पुदुचेरी | 2 |
कुल | 1389 |
ई-नाम एक मांग आधारित योजना है, जहां मंडियों को प्लेटफॉर्म से जोड़ने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करना होता है। यह प्रक्रिया राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्त प्रस्तावों पर आधारित है।
ई-नाम प्लेटफॉर्म न केवल किसानों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य दिलाने में मदद करता है, बल्कि कृषि व्यापार को पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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