जायटॉनिक एम : अद्भुत प्रभावकारी उत्पाद
20 अक्टूबर 20220, इंदौर। जायटॉनिक एम : अद्भुत प्रभावकारी उत्पाद – रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से जमीन की उर्वराशक्ति ध्वस्त होने, उत्पादन में कमी और बढ़ते खर्चों का भार कम करने के लिए प्रतिष्ठित जाइडेक्स इंडस्ट्रीज प्रा. लि. ने एक अद्भुत प्रभावकारी उत्पाद जायटॉनिक एम. का आविष्कार किया है, जो महत्वपूर्ण जैविक फर्टिलाइजर है.इसके प्रयोग से मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्म जीवों की संख्या में वृद्धि के साथ मिट्टी भुरभुरी और हवादार बनती है.यह उत्पाद प्याज, आलू, लहसुन,अरबी, गेहूं और चने की फसल के लिए बहुत लाभदायक है।
महत्वपूर्ण खबर : फसल एवं उत्पाद विविधिकरण क्यों है आवश्यक ?
इस उत्पाद की विशेषताएं बताते हुए जाइडेक्स इंडस्ट्रीज प्रा. लि. के एसोसिएट मैनेजर श्री अनिल पटेल ने बताया कि जायटॉनिक एम ऐसा जैविक फर्टिलाइजर है, जिससे मिट्टी में लाभदायक सूक्ष्म जीवाणुओं में गुणात्मक और पोषण क्षमता में वृद्धि होती है. यह मिट्टी को मुलायम, भुरभुरी और हवादार बनाता है. जिसके फलस्वरूप अंकुरण में वृद्धि के साथ-साथ जड़ क्षेत्र को विकसित कर बड़ा और घना बनाता है. इससे पौधे को प्रचुर और संतुलित मात्रा में लगातार भोजन मिलता है.जायटॉनिक एम.प्याज, आलू, लहसुन, अरबी, गेहूं और चना फसल के लिए अद्भुत जैविक खाद सिद्ध हुआ है. मालवा-निमाड़ के किसानों ने इस पर भरोसा जताया है और इसका प्रयोग कर अधिकतम लाभ अर्जित किया है।
श्री पटेल ने कहा कि जायटॉनिक एम 15 किलो का प्रयोग कल्टीवेट/रोटोवेट/प्लाऊ के समय ऐसे प्रयोग करें कि यह मिट्टी में पूरी तरह मिल जाए और शेष मात्रा का प्रयोग दो बार में टॉप ड्रेसिंग, ड्रेंचिंग आदि विधि से करें. इस तरह पहले साल में ही रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. जायटॉनिक एम पौधों में लम्बे समय तक नमी बनाए रखता है. जिससे 30-40 प्रतिशत पानी की भी बचत होती है. कम पानी और कम खाद के बावजूद पौधों का ज्यादा और स्वस्थ विकास होता है. सिंचाई के दौरान पौधों में प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है. रसायनिक दवाइयां और स्प्रे भी कम लगते हैं. इस प्रकार जायटॉनिक एम 25 -40 प्रतिशत तक उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ उत्पाद की सुगंध, स्वाद, चमक, गुणवत्ता और संग्रह शक्ति को भी बढ़ाता है, जिससे उत्पाद का बाजार में अच्छा दाम मिलता है।
किसान का अनुभव : जायटॉनिक एम.के अनुभव साझा करते हुए ग्राम बछड़ावदा जिला धार के किसान श्री दीपक पटेल ने बताया कि इसका तीन साल से प्रयोग कर रहे हैं. डीएपी /इफको की तुलना में इसकी मात्रा 50 प्रतिशत कम लगती है. जमीन भुरभुरी और मुलायम होकर इसके स्वास्थ्य में सुधार होता है. पौधा भी स्वस्थ रहता है. सोयाबीन और गेहूं को छोड़कर उद्यानिकी फसलों लहसुन, अदरक और तरबूज में प्रयोग किया है.पानी की करीब 40 प्रतिशत बचत हुई. दवाई खर्चों में कमी के साथ उत्पादन 20 -30 प्रतिशत तक बढ़ा है।