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क्या नई उर्वरक नीति से किसानों की परेशानी होगी कम

क्या नई उर्वरक नीति से किसानों की परेशानी होगी कम

25 लाख टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य

क्या नई उर्वरक नीति से किसानों की परेशानी होगी कम – भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने उर्वरक विक्रय नीति में बदलाव करते हुए 55 प्रतिशत सहकारी क्षेत्र तथा 45 प्रतिशत निजी क्षेत्र के माध्यम से बिक्री के निर्देश दिए हैं। नई उर्वरक नीति को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है एक और जहां विपक्षी पार्टी आरोप लगा रही है कि सत्ताधारी पार्टी ने खाद व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए उर्वरक नीति में बदलाव किया है, वहीं कृषि मंत्री श्री कमल पटेल का मानना है कि प्रतिबंध से कालाबाजारी बढ़ती है और वहीं खुले बाजार में उर्वरक की उपलब्धता से कालाबाजारी करने वाले व्यापारी हतोत्साहित होते हैं और उर्वरक किसानों को आसानी से हर जगह उपलब्ध होता है।

मध्यप्रदेश में इस खरीफ सीजन में 25 लाख मैट्रिक टन उर्वरक खपत का लक्ष्य रखा गया है। इसमें सर्वाधिक 11 लाख मैट्रिक टन यूरिया होगा। शासन द्वारा हाल ही में घोषित नई उर्वरक नीति से निजी क्षेत्र भी उर्वरकों की बिक्री में सरकारी क्षेत्र के साथ लगभग बराबर की भागीदारी करेंगे। कृषि विभाग द्वारा जारी किए गए जिलेवार टारगेट प्लान के अनुसार 25 लाख मैट्रिक टन उर्वरक में से सहकारी संस्थाओं के माध्यम से 13,50,000 मेट्रिक टन उर्वरक और 11 लाख 50 हजार मैट्रिक टन उर्वरक निजी क्षेत्र के माध्यम से किसानों तक पहुंचेगा। उल्लेखनीय होगा कि पूर्व में प्रदेश में 80 प्रतिशत उर्वरक सहकारी समितियों के माध्यम से तथा 20% उर्वरक निजी क्षेत्र के माध्यम से विक्रय किया जाता था।

खरीफ सीजन में लगने वाले प्रमुख उर्वरकों में छिंदवाड़ा जिले को सबसे अधिक 1 लाख मैट्रिक टन से ज्यादा यूरिया मिलेगा। सबसे अधिक डीएपी 37,600 मीट्रिक टन रायसेन जिले को मिलेगा। सिंगल सुपर फास्फेट के सबसे अधिक खपत वाले जिले धार में 38,600 मेट्रिक टन का लक्ष्य रखा है। पूरे प्रदेश में इसका लक्ष्य 4 लाख मैट्रिक टन रखा गया है। खरीफ की प्रमुख फसल सोयाबीन के उत्पादन में अग्रणी उज्जैन जिले को सर्वाधिक कांपलेक्स उर्वरक 22,820 मैट्रिक टन उपलब्ध कराया जा रहा है। एक लाख मैट्रिक टन म्यूरेट ऑफ पोटाश में से सबसे अधिक 15,650 मैट्रिक टन खरगोन जिले को उपलब्ध कराया जाएगा।

अभी उर्वरकों की मांग 25 लाख मैट्रिक टन के विरुद्ध मई माह के अंत तक लगभग 50त्न उर्वरक की उपलब्धता प्रदेश में हो चुकी थी। प्रमुख उर्वरकों में डीएपी, यूरिया, कांपलेक्स, पोटाश और सुपर फास्फेट में से यूरिया को छोड़कर सभी उर्वरकों की उपलब्धता लगभग 50त्न है। यूरिया की 11 लाख मैट्रिक टन की मांग है जबकि उपलब्धता 4 लाख 17 हजार मैट्रिक टन की ही है। यहां उल्लेखनीय होगा कि यूरिया कंट्रोल्ड फ़र्टिलाइजऱ के अंतर्गत आता है और इसका राज्यवार वितरण का अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है।

अपनी अपनी उर्वरक नीति के संबंध में राजनीतिक पार्टियां चाहे जो तर्क वितर्क करें किसान तो सिर्फ यह चाहता है कि उर्वरक के लिए उसे ना तो लाइन लगाना पड़े ना ही सड़क पर उतर कर पुलिस के डंडे खाने पड़े।

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