गांधीनगर आलू सम्मेलन में वेरडीज़ियन लाइफ साइंसेज़ ने दिखाए टिकाऊ खेती के समाधान
18 सितम्बर 2025, गांधीनगर: गांधीनगर आलू सम्मेलन में वेरडीज़ियन लाइफ साइंसेज़ ने दिखाए टिकाऊ खेती के समाधान – वैश्विक स्तर पर कृषि क्षेत्र में उत्पादन और टिकाऊपन के बीच संतुलन बनाने की चुनौती लगातार बढ़ रही है। ऐसे समय में गांधीनगर में आयोजित आलू सम्मेलन (Potato Conclave) ने किसानों को यह दिखाया कि विज्ञान-आधारित तकनीकें किस प्रकार दोनों लक्ष्यों को साथ लेकर चल सकती हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन वेरडीज़ियन लाइफ साइंसेज़ ने किया, जिसमें 100 से अधिक प्रगतिशील डीलरों, किसानों और व्यावसायिक साझेदारों ने भाग लिया।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है और वैश्विक खाद्य मांग पूरी करने में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन उर्वरकों जैसे डीएपी और यूरिया की कमी और बढ़ती लागत किसानों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसी पृष्ठभूमि में वेरडीज़ियन ने अपने पोषक तत्व प्रबंधन उत्पाद – स्टेरिक पी, अवेल® और एन-चार्ज™ जी – प्रस्तुत किए। ये तकनीकें पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने, खाद के उपयोग को अधिक प्रभावी बनाने और बेहतर लाभ सुनिश्चित करने में सहायक बताई गईं।
सम्मेलन में वेरडीज़ियन लाइफ साइंसेज़ (अमेरिका) के इंटरनेशनल एग्रोनॉमी निदेशक डॉ. माइक कैनेडी और एशिया रीजन के प्रबंध निदेशक श्री आर.के. गोयल ने अपने विचार साझा किए। डॉ. कैनेडी ने बताया कि उन्नत कृषि तकनीकें किस तरह पैदावार को बढ़ा सकती हैं जबकि पर्यावरणीय प्रभाव को कम कर सकती हैं। श्री गोयल ने भारतीय किसानों के लिए वेरडीज़ियन के समाधान की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और कहा कि ये तकनीकें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टिकाऊ खेती की दिशा में चल रहे प्रयासों से जुड़ी हुई हैं।
कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण पहलू किसानों के अनुभव थे, जिन्होंने पहले ही इन तकनीकों को अपनाया है। उन्होंने स्वस्थ फसल, बेहतर पैदावार और उर्वरक उपयोग में दक्षता जैसी उपलब्धियों का उल्लेख किया।
गांधीनगर का यह सम्मेलन इस बात को रेखांकित करता है कि आधुनिक पोषण तकनीकें पारंपरिक तरीकों की कमियों को दूर कर सकती हैं और किसानों को टिकाऊ व लाभकारी खेती की ओर ले जा सकती हैं। भारत जैसे देशों के लिए, जहाँ आलू न केवल घरेलू उपभोग बल्कि निर्यात अर्थव्यवस्था का भी हिस्सा है, ऐसे समाधान वैश्विक स्तर पर भी प्रभाव डाल सकते हैं।
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