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टैग नैनो पोटाश और टैग मिनिस्टर धान को बीमारियों से बचाए

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8 सितम्बर 2022, रायपुर टैग नैनो पोटाश और टैग मिनिस्टर धान को बीमारियों से बचाए  – ट्रॉपिकल एग्रोसिस्टम इंडिया प्राइवेट लि. का टैग नैनो पोटाश और टैग मिनिस्टर की जबरदस्त जोड़ी का कमाल देखने के लिए धान की यही अवस्था उपयुक्त और अच्छा समय है। छत्तीसगढ़ में धान की फसल लगभग 40-60 दिनों की अवधि की हो चुकी है, इस अवधि में शीथ ब्लाईट, लीफ ब्लास्ट, नेक ब्लास्ट, नोड ब्लास्ट तथा बालियों में लगने वाली हल्दी गांठ जैसी अनेकों प्रकार की बीमारियां धान की फसल को नुकसान पहुंचाकर धान की फसल का उत्पादन घटा देती है।

ट्रॉपिकल एग्रो का टैग मिनिस्टर जो इन सभी प्रकार की बीमारियों को आने से रोकने के साथ साथ इन सभी बीमारियों को पूर्ण रूप से समाप्त भी कर देता है। जिससे धान की फसल रोग मुक्त होकर उत्पादन में तीन गुना तक की बढ़ोतरी हो जाती है। टैग मिनिस्टर धान की बालियों को लंबा बनाने के साथ-साथ दानों की संख्या को भी बढ़ाता है। और दानों में वजन को बढ़ाने के साथ ही दानों में चमक भी लाने का कार्य करता है। ट्रॉपिकल एग्रो का दूसरा उत्पाद टैग नेनो पोटाश फसल में पोटाश की कमी को दूर करता है। धान की फसल में कम से कम दो बार पोटाश का प्रयोग किया जाना चाहिए। पोटाश सबसे पहले हमारे पौधों को मजबूत बनाने के लिए धान फसल में प्रारम्भ की अवस्था में प्रयोग करना चाहिए। और पोटाश की सबसे अधिक महत्वपूर्ण अवस्था धान की 45-60 दिनों के बीच की अवस्था होती है। यदि पोटाश के प्रयोग के अंदर की कुछ विशेषताओं पर प्रकाश डाला जाए तो पोटाश धान की फसल को मजबूत बनाकर आने वाली घातक बीमारियों के प्रकोप से लडऩे की क्षमता का विकास करता है। और हमारी धान की फसल की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर अनेकों प्रकार के तनाव से भी लडऩे की क्षमता का विकास करता है और फसल को सूखा के प्रति भी सहनशील बनाता है। साथ ही साथ ट्रॉपिकल एग्रो का नैनो पोटाश धान की फसल को मजबूत करके उत्पादन में भारी वृद्धि कराता है।

धान की बालियों में जो पोचापन या बदरा या दानों का खाली रह जाना जैसी समस्या को भी लगभग समाप्त कर दानों को पूर्ण व बराबर मात्रा में बनने व दानों में मजबूती तथा चमक के साथ धान की बालियों को पूर्ण रूप से स्वस्थ व मजबूत बनाता है। ट्रॉपिकल एग्रो का नैनो पोटाश को 500 मिलीलीटर तथा टैग मिनिस्टर को 200 मिलीलीटर की दर से प्रति एकड़ धान की फसल पर 40-60 दिनों के बीच की अवस्था में छिडक़ाव करना चाहिए।

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