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सवाना सीड्स के भारत में 10 वर्ष पूरे

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14 अक्टूबर 2020, नई दिल्ली। सवाना सीड्स के भारत में 10 वर्ष पूरे देश में धान के किसान के जीवन में सुगमता और खुशहाली लाने के उद्देश्य से स्थापित सवाना सीड्स लि. ने भारत में अपने 10 वर्ष पूर्ण कर ग्यारहवें वर्ष में प्रवेश किया है। इस अवसर पर कंपनी द्वारा दीर्घकालीन खाद्य सुरक्षा हेतु धान के उत्पादन में अनुवांशिक और कृषि वैज्ञानिक विकास विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया। श्री अश्वनी कुमार, संयुक्त सचिव (बीज व प्रबंधन) कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, इस वेबिनार के मुख्य अतिथि थे। वेबिनार की अध्यक्षता विस्वा भारती के भूतपूर्व उपकुलपति, भूतपूर्व डीडीजी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और बायोटेक व रिसर्च प्रोफेसर डॉ. एस.के. दत्ता ने की। वेबिनार में विषय विशेषज्ञों ने प्रमुख वक्ताओं के रूप में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर चुनौतियों, संभावनाओं एवं भविष्य की बदलती परिस्थितियों पर अपने विचार रखे।

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इस वेबिनार के दो मुख्य उद्देश्य थे-

पहला उद्देश्य – राष्ट्रीय स्तर पर किस तरह हम धान का औसत उत्पादन स्तर अभी 3.8 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 5 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर तक ला सकते हैं।

दूसरा उद्देश्य- कृषि विज्ञान में क्या सुधार किये जाय जिससे ‘कम लागत में ज्यादा’ उत्पादन हो और चावल उत्पादन में दीर्घकालीन प्रयोगों द्वारा किसान की आय को बढ़ावा मिले।

इस वेबिनार में भारतीय बीज उद्योग संघ के चेयरमैन डॉ. एम. रामासामी, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. ए.के. सिंह, सीआईएम एमवायटी, इंडिया में एशिया व उत्तर अफ्रीका के योजना प्रमुख और वैज्ञानिक डॉ. एम.एल. जाट, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. एम.एस. भुल्लर, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के प्रमुख वैज्ञानिक एवं यूनिवर्सिटी प्रोफेसर डॉ. एन.के. सिंह ने धान के उत्पादन को बढ़ाने के क्षेत्र में किये जा रहे नवीनतम प्रयासों, नई तकनीकों की जानकारी दी और भविष्य की चुनौतियों और संभावनाओं पर अपने विचार रखें।

इस चर्चा में यह निकल कर आया की सार्वजनिक शोध संस्थान और निजी कम्पनियां एक ही दिशा में कार्य कर रहे हैं और सभी के मिलकर कार्य करने से धान के उत्पादन को बढ़ाने की संभावनाओं को मूर्त रूप दिया जा सकेगा। धान की सीधी बुवाई, खरपतवार नियंत्रण की नयी तकनीक, बीमारियों के लिए प्रतिरोधक और अधिक उत्पादन वाली नयी किस्मों का विकास आदि विभिन्न विषयों पर जानकारी का आदान प्रदान हुआ।
इस वेबिनार में प्रख्यात धान वैज्ञानिकों की पैनल भारतीय कृषि परिषद के भूतपूर्व उप महानिदेशक एवं भारत में हाइब्रिड के प्रणेता डॉ. इ.ऐ. सिद्दीक, पद्मश्री डॉ. वी.पी. सिंह जो कि बासमती धान की अनुवांशिकी अनुसंधान में अपने कार्यों के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं और पूर्वी भारत में धान की प्रमुख प्रजातियों के जनक एवं ओडीशा कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय के मानद प्रोफेसर डॉ. सत्य रंजनदास शामिल थे। इन्होंने अपने वर्षों के अनुभव, अनुसंधान व धान की कृषि विज्ञान अनुवांशिकी आदि विभिन्न विधाओं पर अपने ज्ञान से इस मंच को लाभान्वित किया। सवाना की ओर से इनके अथक प्रयासों और योगदान को विशेष प्रशस्ति देकर सम्मानित भी किया गया। उल्लेखनीय है कि धान विश्व की आधी से ज्यादा आबादी का प्रमुख भोजन ोत है और पूरी दुनिया में खेती योग्य भूमि में से 9 प्रतिशत भूमि पर धान की खेती की जाती है।

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