कम्पनी समाचार (Industry News)

मित्सुबिशी, बायर और शेल का साथ: धान किसानों के लिए नई राह बना रहा द गुड राइस एलायंस

19 अक्टूबर 2024, मुंबई: मित्सुबिशी, बायर और शेल का साथ: धान किसानों के लिए नई राह बना रहा द गुड राइस एलायंस – द गुड राइस एलायंस (TGRA), जिसे पहले सस्टेनेबल राइस कार्बन प्रोग्राम के नाम से जाना जाता था, भारत में धान की खेती को अधिक टिकाऊ बनाने के प्रयास में अब तक 10,000 से अधिक किसानों को शामिल कर चुका है। इस पहल के तहत 25,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि कवर की गई है और सालाना लगभग 1,00,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड (tCO2e) के बराबर मीथेन उत्सर्जन में कमी लाने का लक्ष्य है।

अब TGRA इस कार्यक्रम का विस्तार करते हुए 8,500 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को कवर करने की योजना बना रहा है। इस पहल में ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन की वैज्ञानिक माप में सुधार और किसानों के लिए सहायता तंत्र को और मजबूत बनाने पर ध्यान दिया जाएगा। कार्यक्रम की अगली रणनीति पिछले दो वर्षों के अनुभवों के आधार पर तय की जाएगी। फिलहाल, यह पहल आंध्र प्रदेश, बिहार, हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में सक्रिय है।

इस एलायंस में बायर, जेनज़ीरो, शेल एनर्जी इंडिया और मित्सुबिशी कॉरपोरेशन जैसे प्रमुख भागीदार शामिल हैं। बायर कृषि और स्वास्थ्य सेवाओं में अपनी विशेषज्ञता के साथ इस पहल का नेतृत्व कर रहा है। जेनज़ीरो, जो टेमासेक की डिकार्बोनाइजेशन फोकस्ड निवेश प्लेटफॉर्म है, शेल एनर्जी इंडिया और मित्सुबिशी भी प्राकृतिक समाधानों और उत्सर्जन में कमी के लिए सहयोग कर रहे हैं।

कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाना है, बल्कि किसानों के खेती खर्च को भी कम करना है। पहले वर्ष में, देशभर के छह स्थानों पर ग्रीनहाउस गैस माप का अध्ययन किया गया।

“कार्बन मार्केट में भारत की भूमिका बढ़ेगी”

रिपोर्ट्स के अनुसार, 2030 तक कार्बन ऑफसेट की वैश्विक मांग 330 मिलियन से लेकर 1.5 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड तक पहुंच सकती है। भारत में कार्बन ऑफसेट प्लेटफॉर्म बाजार के 28% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ने और 2033 तक 68.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का बाजार बनने का अनुमान है।

किसानों की मदद के लिए सशक्त प्रबंधन प्रणाली

TGRA ने कार्यक्रम की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम , किसान प्रशिक्षण और सहायता प्रणाली, और मॉनिटरिंग, रिपोर्टिंग और वेरिफिकेशन तंत्र तैयार किया है। हर प्लॉट की हर महीने तीन बार निगरानी की जाती है ताकि वास्तविक उत्सर्जन कटौती सुनिश्चित की जा सके।

बायर साउथ एशिया के अध्यक्ष साइमन वीबुश ने कहा, “हम कम संसाधनों में अधिक उत्पादन और पारिस्थितिक संतुलन बहाल करने की दिशा में काम कर रहे हैं। TGRA में हम टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देते हुए किसानों के लिए ठोस लाभ लाने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे सहयोगी प्रयासों से पर्यावरण-अनुकूल खेती का तेजी से विस्तार होगा और छोटे किसानों के जीवनस्तर में सुधार होगा।”

बायर की इंडिया कार्बन इनिशिएटिव के प्रमुख, सुहास जोशी ने कहा, “कार्बन मार्केट्स पर बढ़ती निगरानी के बीच, उच्च-गुणवत्ता वाले प्रोजेक्ट्स की आवश्यकता महसूस की जा रही है। TGRA में हम गुणवत्ता प्रबंधन के बुनियादी सिद्धांतों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उत्सर्जन में कटौती के साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो।”

धान की खेती से दुनिया के लगभग 11% मीथेन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है, जो एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है और इसकी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता CO2 से 27 गुना अधिक है। दुनिया की 15% कृषि भूमि पर धान की खेती की जाती है, जो 150 मिलियन हेक्टेयर से भी अधिक है। TGRA ने टिकाऊ खेती के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप काम करने और किसानों के लिए अधिक लाभकारी समाधान देने का संकल्प लिया है।

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