कम्पनी समाचार (Industry News)

जैन इरिगेशन ने आईसीएआर-सीआईएसएच और एग्री इनोवेट इंडिया के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

02 जनवरी 2025, जलगांव: जैन इरिगेशन ने आईसीएआर-सीआईएसएच और एग्री इनोवेट इंडिया के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए – हाल ही में जैन इरिगेशन जलगांव , भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर), केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी अनुसंधान संस्थान लखनऊ (सीआईएसएच) और एग्री इनोवेट इंडिया, नई दिल्ली  के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

जैन केले के टिशू कल्चर पौधों में फ्यूजेरियम विल्ट रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने की तकनीक के लिए इस समझौते पर सीआईएसएच लखनऊ के निदेशक डॉ. टी दामोदरन, एग्री इनोवेट इंडिया, नई दिल्ली के सीईओ डॉ. प्रवीण मलिक, जैन इरिगेशन सिस्टम्स लि के उपाध्यक्ष डॉ. अनिल पाटिल, उप महानिदेशक डॉ. वी.बी. पटेल ने हस्ताक्षर किए। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के  डॉ. बालकृष्ण यादव, डॉ. के.बी. पाटिल, डॉ. अनिल ढाके और 200 प्रगतिशील केला उत्पादक मौजूद थे।

उल्लेखनीय है कि आईसीएआर -सीआईएसएच, लखनऊ ने टिश्यू कल्चर केले के पौधों के उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान बायो इम्यूनाइजेशन करने के लिए एक तकनीक विकसित की है। इससे प्रतिरोधी पौधे तैयार होंगे जो फ्यूजेरियम विल्ट रोग को नियंत्रित करने में सक्षम होंगे। पौधों के प्राथमिक और द्वितीयक सख्तीकरण के दौरान बायो इम्यूनाइजेशन भी किया जाएगा।

जैन इरिगेशन के संयुक्त प्रबंध निदेशक श्रीअजीत जैन ने कहा, ” भारत में फ्यूजेरियम विल्ट रोग के प्रसार को रोकने के लिए, हमारी नीति देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध नवीनतम तकनीक को अपनाना और केला उत्पादकों को मजबूत और विश्वसनीय पौध का उत्पादन और आपूर्ति करना है। आईसीएआर के साथ यह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता केले को सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” डॉ. वी.बी. पटेल ने कहा, “इस तकनीक से केला उत्पादकों को लाभ होगा,” जबकि डॉ. टी. दामोदरन ने इस बारे में मार्गदर्शन दिया कि यह तकनीक कैसे काम करती है। चूंकि जैन इरिगेशन देश की अग्रणी कंपनी है, इसलिए यह तकनीक और भी अधिक फैलेगी।” डॉ. प्रवीण मलिक ने कहा कि कैसे यह तकनीक केले की खेती को टिकाऊ बना सकती है, जबकि डॉ. के.बी. पाटिल ने कहा कि इस अवधारणा को लागू करके वाहनों के पहियों या मजदूरों के जूते-चप्पलों के माध्यम से इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए सावधानी बरतना आवश्यक है। हर गांव, जिले और राज्य की सीमाओं पर टायर स्नान, पाद स्नान का बायो इम्यूनाइजेशन तकनीक फ्यूजेरियम विल्ट रोग को नियंत्रित करने और रोग प्रबंधन में मदद करेगी।

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