क्रॉप केयर फेडरेशन की 61वीं वार्षिक बैठक
कृषि रसायन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर उद्योग और शासन ने की चर्चा
02 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: क्रॉप केयर फेडरेशन की 61वीं वार्षिक बैठक – क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीसीएफआई) की 61वीं एजीएम गत 27 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित की गई. कृषि रसायन उद्योग के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में सीसीएफआई के सदस्य और कृषि मंत्रालय के प्रमुख अधिकारी शामिल हुए, जिससे कृषि रसायन क्षेत्र के लिए हुई चर्चाओं का महत्व स्पष्ट हुआ।
सीसीएफआई के चेयरमैन, श्री दीपक शाह ने विभिन्न नोडल मंत्रालयों द्वारा कृषि रसायनों के लिए व्यावसायिक वातावरण को सरल बनाने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, “हम कृषि उत्पादन में दूसरे स्थान पर हैं। अब 93% कीटनाशक जेनेरिक हैं, जबकि केवल 7% पेटेंट हैं, क्योंकि नए रसायन किसानों के लिए बहुत महंगे है।” उन्होंने विभाग की पंजीकरण प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता पर भी बल दिया ताकि किसान समुदाय को इसका लाभ मिल सके।
लंबित मुद्दे हल होंगे
श्री फैज़ अहमद किदवई, अतिरिक्त सचिव कृषि मंत्रालय ने सीसीएफआई के व्यापक फील्डवर्क की प्रशंसा की और लंबित मुद्दों को हल करने के लिए कृषि रसायन समुदाय के साथ करीबी सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। कृषि आयुक्त, डॉ. पी.के. सिंह ने विभिन्न फसल खंडों में कटाई के बाद के अंतराल (पीएचआई) के दिशानिर्देशों के विकास और पालन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सीसीएफआई को किसानों के साथ अपने सदस्यों के काम की सफलता की कहानियों को संकलित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया ताकि वैज्ञानिकों, शासकीय अधिकारियों और उपभोक्ताओं के बीच विश्वसनीयता और सकारात्मक धारणा को बढ़ावा दिया जा सके।
सेंट्रल इन्सेक्टिसाइडस बोर्ड की सचिव, डॉ. अर्चना सिन्हा ने उद्योग को आश्वासन दिया कि पंजीकरण प्रक्रियाओं को तेज किया जाएगा और आवेदकों से पूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत करने का आग्रह किया ताकि अनुमोदन तेजी से हो सके।इसके पूर्व सीसीएफआई की कार्यकारी निदेशक, सुश्री निर्मला परहरवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए फेडरेशन की फसलों के नुकसान को कम करने में अहम भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “इस प्रमुख क्षेत्र को अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार का आवश्यक समर्थन मिलना चाहिए, जो भारत के कृषि विकास के लिए आवश्यक है।”
अमेरिका से बेहतर भारत
उपाध्यक्ष, श्री राजेश अग्रवाल ने बढ़ती खाद्य मांग को पूरा करने में भारत की उपलब्धियों की सराहना की और बफर स्टॉक्स बनाए रखने की भी सराहना की। उन्होंने भारतीय कृषि उत्पादों की उच्च गुणवत्ता का उल्लेख किया और बताया कि अखिल भारतीय नेटवर्क प्रोजेक्ट के आंकड़ों के अनुसार, “पिछले नौ वर्षों में केवल 2.82% नमूनों में अधिकतम अवशेष सीमा (एमआरएल) से अधिक कीटनाशक अवशेष पाए गए, जबकि 97.2% सुरक्षित सीमाओं के भीतर हैं। यह परिद्रश्य अमेरिका और यूरोप जैसे देशों की तुलना में कहीं बेहतर है।”
श्री अग्रवाल ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में कृषि रसायन क्षेत्र को शामिल करने की भी अपील की। उन्होंने बताया कि भारत में निर्माण लागत आयात की तुलना में 60-70% कम है, जिससे गुणवत्ता वैश्विक मानकों के अनुरूप रहते हुए 152 से अधिक देशों में निर्यात संभव हो सका है।
दुर्भावनापूर्ण प्रचार बंद हो
अपने वर्चुअल संबोधन के दौरान, सीसीएफआई के मानद चेयरमैन श्री आर.डी. श्रॉफ ने भारतीय कृषि रसायन उद्योग के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण प्रचार को रोकने के लिए सरकारी हस्तक्षेप का आग्रह किया, जिसे अक्सर विदेशी वित्तपोषित एनजीओ द्वारा संचालित किया जाता है। उन्होंने ग्रीनपीस जैसे संगठनों के खिलाफ कानूनी जीत का जिक्र किया, जिन्होंने रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को रोकने का असफल प्रयास किया था।
सीनियर पॉलिसी एडवाइजर, श्री पी. गणेशन ने डेटा विशिष्टता की अवधारणा पर एक श्वेत पत्र भी प्रसारित किया गया।सीनियर साइंटिफिक एडवाइजर, डॉ. जे.सी. मजूमदार ने कृषि रसायन उद्योग की तकनीकी समस्याओं पर चर्चा की और चल रहे कानूनी मामलों पर अपडेट दिए।
किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम
एजीएम में किसानों के प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों पर आधारित एक डोजियर का विमोचन किया गया , जिसे सीसीएफआई के वरिष्ठ सलाहकार, श्री हरीश मेहता द्वारा संपादित किया गया। इस 90-पृष्ठीय संकलन में देशभर के 80 स्थानों पर हुए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विवरण दिया गया। इन कार्यक्रमों में रिकॉर्ड डेढ़ लाख व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट मुफ्त में वितरित किए गए ।
कीटनाशक अवशेषों पर अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजना की प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर डॉ. वंदना त्रिपाठी ने खाद्यान्न, सब्जियों, फलों, दूध और मसालों में अवशेषों के लिए नमूना परीक्षण बढ़ाने की योजना की घोषणा की, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं का विश्वास और बढ़ाना है। किसान नेता डॉ. कृष्णबीर चौधरी ने कृषि रसायन उद्योग और कृषक समुदाय दोनों का समर्थन करने वाली नीतियों की पैरवी की।
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