मिट्टी परीक्षण क्यों, कब और कैसे
मिट्टी परीक्षण क्यों ?
– मिट्टी की पोषक तत्व प्रदाय क्षमता ज्ञात करने एवं जमीन में मिलाये जाने वाले उर्वरकों की उत्तरदायिता ज्ञात करने के लिये ।
– परीक्षण के आधार पर फसल की आवश्यकतानुसार उर्वरकों की उपयुक्त तथा लाभकारी दर निर्धारित करने के लिये ।
– ऐसी भूमि जहां उर्वरकों की आवश्यकता नहीं है वहां पर उर्वरकों का प्रयोग न करके उनकी बचत करना।
– विभिन्न क्षेत्रों के लिये मृदा उर्वरता मानचित्र तैयार करने के लिये।
– फसलों की इष्टतम उपज प्राप्त करने के लिये उनकी आवश्यकतानुसार उर्वरक तथा सुधारक प्रयोग करने हेतु ।
– उर्वरकों की उपयोग क्षमता में वृद्धि करना।
मिट्टी का नमूना कैसे लें ?
– नमूना ऐसी जगह से लिये जाए जो कि उन मिट्टियों का वास्तविक प्रतिनिधित्व कर सके। खेत को उसकी स्थिति (समतल ऊंची नीची ढलान) एवं मिट्टी की किस्म के अनुसार बांट लेते हैं।
– नमूना लेने के लिये लगभग एक हेक्टर क्षेत्र से 15-20 स्थानों का यादृच्छिक (रेन्डम) चयन करते हंै।
– नमूना लेने वाले स्थान से घास-फूंस इत्यादि साफ करने लेते हंै। खुर्र्पी – फावड़े की सहायता से लगभग 15 से. मी. गहरा अंग्रेजी के ‘1Ó आकार का गड्ढा खोदकर किसी भी तरफ से पूरी गहराई तक की मिट्टी की एक समान परत काटकर किसी साफ बाल्टी में एकत्र कर लेते हंै।
– एकत्रित नमूनों को आपस में अच्छी प्रकार से मिला लें एवं छाया से सुखा लें। सुखाने के बाद नमूनो के ढेलों को फोड़कर बारीक बनाकर खरपतवार, पौधों की जड़ों, कंकड़- पत्थर आदि को निकालकर फैंक दें।
– बची हुई मिट्टी को गोल या चौकोर रूप देकर चार भागों में विभाजित करके दो विपरीत दिशा के भाग निकालकर अलग करने का कार्य तब तक करते हैं जब तक कि 500 ग्राम मिट्टी शेष न रह जाये।
– मिट्टी को किसी साफ पॉलीथिन या कपड़े की थैली में भरकर उसमें पहचान के लिए सूचना पत्रक को अंदर डालकर प्रयोगशाला में भेज देनी चाहिये।
मिट्टी का नमूना लेने में आवश्यक सावधानियां
– खाद के गड्ढेे, मेढ़ तथा वृक्षों के नीचे से नमूने नहीं लेने चाहिए।
– अघिक पोषक तत्व शोषित करने वाली फसलों वाले क्षेत्र के नमूने एवं जहां केवल आनाज की फसल ली गई हो तथा डंठल एवं ठूंठ वगैरह खेत में ही छोड़ दिए गए हो, के नमूने अलग – अलग लेने चाहिए।
– ऐसे क्षेत्र जहां अधिकतर समय पानी भरा रहता हो वहां से नमूने एकत्र न करें ।
– मृदा अपरदन के कारण जिस क्षेत्र की ऊपरी सतह कटकर बह गई हो तो उसके नमूने अलग से लेने चाहिए ।
– यदि नमूना लेने वाला क्षेत्र बड़ा हैं तो नमूनों की संख्या क्षेत्र के अनुरूप बढ़ा देनी चाहिए।
– एकत्रित मृदा नमूनों को न तो उर्वरकों के बोरे के पास रखना चाहिये और न ही उन पर सुखाना चाहिए।
– नमूने लेते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि किस क्षेत्र में उर्वरक का प्रयोग किया गया है तथा किसमें नहीं ।
– नमूने का सही रिकॉर्ड रखना चाहिए।
– मिट्टी का नमूना लेते समय धातु के औजार जैसे खुरपी, फावड़ा, घमेला आदि का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।़
– पहले नमूने को प्लास्टिक की थैली में बंद करें, बाद में कपड़े की थैली में रखें।
– नमूना इकट्ठा करते समय हाथ की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाए। अन्यथा सूक्षम तत्वों में स्पर्श दोष का प्रभाव पड़ सकता है। इसके लिए लकड़ी से बने उपकरण से नमूना लिया जाए।
– नमूना गीला होने पर इसे बोरे के बजाए प्लास्टिक की सीट पर छाया में सुखायें ।
नमूना कब लें
यदि सघन कृषि की जा रही हो तो नमूने एक फसल चक्र के पूरा होने पर प्रतिवर्ष लेने चाहिए। अन्यथा तीन वर्ष में एक बार मिट्टी परीक्षण करवाना पर्याप्त रहता है।
नमूना को प्रयोगशाला में कैसे भेजें ? मिट्टी के नमूने के साथ भेजे जाने वाले सूचना पत्र की दो प्रतियां तैयार करके एक प्रति थैले के अन्दर रख कर तथा दूसरी थैली का मुंह बांधने के साथ बंाध देनी चाहिए। सूचना पत्र पर निम्नलिखित जानकारी देना चाहिए –
1. किसान का नाम व पता
2. नमूना एकत्र करने की दिनांक
3. खेत का नंबर या नाम
4. पिछली बोई गई फसल एवं प्रस्तावित फसल का नाम एकत्रित नमूनों की जांच के लिए स्वयं, डाक पार्सल द्वारा या किसी कृषि प्रसार कार्यकर्ता के माध्यम से निकट की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में भेज देना चाहिए।
मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं में मुख्य तत्व एवं सूक्ष्म तत्वों का विश्लेषण शुल्क
मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं में मिट्टी के नमूनों के विश्लेषण हेतु निर्धारित किया गया है। मुख्य तत्वों के विश्लेषण हेतु शुल्क दो रूपये प्रति नमूना एवं सूक्ष्म तत्वों के विश्लेषण हेतु शुल्क नमूना निर्धारित किये गये हैं। जो राज्यों के अनुसार भिन्न है। मिट्टी के नमूने व शुल्क कृषकों से प्राप्त करने हेतु एवं उन्हें रसीद देने तथा उक्त राशि नमूनों की संख्या के अनुसार संबंधित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में जमा कर पावती देने का प्रावधान है।