Horticulture (उद्यानिकी)

पोषण सुरक्षा में गृह वाटिका की भूमिका

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  • गोविन्द राम चौधरी, मुकेश मण्डीवाल
    वरिष्ठ अनुसंधान अध्ययेता, कृषि अनुसंधान केन्द्र, कृषि विश्वविद्यालय, उम्मेदगंज,
    कोटा (राज.)

7 मई 2022,  पोषण सुरक्षा में गृह वाटिका की भूमिका – सब्जियाँ मानव शरीर के लिए एक अच्छे संतुलित आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि इनमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व, विटामिन, प्रोटीन आदि पाये जाते हैं। वर्तमान में सब्जियों की पूर्ति बाजार से खरीद कर की जा रही है परन्तु बाजार में उपलब्ध सब्जियाँ पुरानी, सड़ी, रसायन युक्त एवं अत्यधिक महंगी होती हैं, जिससे मानव के स्वास्थ्य एवं आर्थिक स्थिति पर विपरित प्रभाव पड़ता है। नियमित ताजी, रसायन मुक्त सब्जियों की उपलब्धता रसोई बगीचा लगाकर की जा सकती है।

रसोई बगीचा क्या है

परिवार की सब्जियों की आवश्यकता पूर्ति हेतु घर के पास की भूमि में मौसम के अनुसार सब्जियां उगाना जिससे वर्षभर ताजा सब्जियां प्राप्त की जा सकती हैं, उस क्षेत्र को रसोई बगीचे के नाम से जाना जाता है।

रसोई बगीचे का प्राथमिक उद्देश्य हर दिन ताजी पौष्टिक सब्जियां, सलाद और हरा धनिया की उपलब्धता हैं, जिससे दैनिक भोजन में विविधता बनी रहे। रसोई बगीचे में विभिन्न प्रकार की जैसे- हरे पत्तों वाली, फली वाली, जड़ वाली व अन्य प्रकार की सब्जियां उगायी जा सकती हैं। रसोई बगीचा पूर्ण रूप से जैविक होता है जिसके उत्पाद स्वाद व पोषक तत्वों की उपलब्धता में बेहतर होते हैं।

रसोई बगीचे की भूमि में घर, परिवार व खेत के अपशिष्ट (गंदा पानी, राख, फलों के छिलके, खराब सब्जियां, गोबर व अन्य) खाद के रूप में उपयोग में लाये जा सकते हैं तथा रसोई बगीचे से परिवार के सदस्यों में सकारात्मकता तथा प्रकृति के साथ लगाव बढ़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों जिनकी श्रम शक्ति कमजोर एवं बाजारों की दूरी अधिक है उनके लिए रसोई बगीचे से पैसे व समय की बचत के साथ-साथ पोषण सुरक्षा भी प्राप्त की जा सकती है।

रसोई बगीचा लगाने के लिए घर के पीछे की खाली जमीन या घर के पास की भूमि का चयन करें। एक औसत परिवार (4-5 सदस्य) के लिए लगभग 150-200 वर्गमीटर भूमि की आवश्यकता होती है। रसोई बगीचे को शहरों में भूमि की कमी के चलते गमलों एवं छत पर भी लगाया जा सकता है।

भारतीय आर्युविज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के द्वारा मनुष्य शरीर के लिए सब्जियों की दैनिक मात्रा 300 ग्राम/व्यक्ति निर्धारित की गई है। जिसमें 125 ग्राम हरे पत्तेदार, 100 ग्राम कंदीय एवं 75 ग्राम अन्य सब्जियाँ शामिल हंै। दुर्भाग्यपूर्ण वर्तमान में भारत में प्रति व्यक्ति द्वारा 145 ग्राम सब्जी को ही खाया जा रहा है। जिसका मुख्य कारण मंहगाई, बाजार से दूरी एवं जागरूकता की कमी हैं।

इसे आप और हम मिलकर घर में ही रसोई बगीचा लगाकर प्रति व्यक्ति सब्जी की उपलब्धता को बढ़ा सकते हैं।

रसोई बगीचे की आवश्यकता

  • पोषक तत्वों से युक्त सब्जियों की उपलब्धता के लिए।
  • सब्जियों के लगातार बढ़ते मूल्य से बचने के लिए।
  • बाजार दूरी से समय खर्च को बचाने के लिए।
  • दैनिक भोजन में विविधता के लिए।
  • घर के पास हरियाली से पर्यावरण सुरक्षा के लिए।

बहुवर्षीय पौधों को बगीचे में एक तरफ लगायें ताकि यह दूसरी सब्जियों से पोषक तत्वों के लिए प्रतिस्पर्धा न करें। बगीचे के चारों तरफ पगडंडी से जुड़े हुए रास्तों एवं मध्य वाली पगडंडी पर मध्यम अवधि वाली हरी पत्ती वाली सब्जियाँ जैसे धनिया, पालक, मैथी, पुदीना आदि को उगाये जिससे उपलब्ध भूमि का सुनिश्चित उपयोग हो सके। रसोई बगीचे मे विदेशी सब्जियाँ जैसे ब्रोकली, गांठगोभी एवं सेलरी आदि तथा साथ ही कुछ फल वृक्ष जिन्हें सब्जियों में शामिल किया जा सके जैसे कटहल, आ़ंवला, सेंजना, करोंदा, कैरी (अपरिपक्व आम) आदि भी उगाकर बगीचे एवं खाने की रोनक बढ़ा सकते हैंं।

रसोई बगीचा के फायदे

  • रसाई बगीचा लगाकर मनपसंद, पूर्ण जैविक, पोषक तत्वों युक्त सब्जियां अपने ही घर में प्राप्त कर सकते हैं जिससे पोषण सुरक्षा बनी रहेगी।
  • रसोई बगीचा लगाने से बाजार की सड़ी-गली, रसायन युक्त व महंगी सब्जियों की खरीददारी से बचा जा सकता है। जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति बनी रहेगी तथा बाजार जाने-आने व खरीदारी के समय की भी बचत होगी।
  • रसोई बगीचे से पर्यावरण सुरक्षा भी बनी रहेगी।
  • रसोई बगीचा में हम अलग-अलग प्रकार की सब्जियाँ व फूलों को लगाकर हमारे घर के आसपास के वातावरण को शुद्ध एवं खुशनुमा बनाये रख सकते हंै।
  • रसोई बगीचा लगाकर हम रचनात्मक शौक भी पूरा कर सकते हैं इससे हमारा मनोरंजन, व्यायाम व दिमाग अच्छा बना रहेगा।
रसोई बगीचा के लिए जागरूकता की आवश्यकता

आजकल सब्जियों में लगातार कीटनाशकों के प्रयोग से मानव शरीर मे अनेक बीमारियां हो रही है तथा बढ़ते प्रदूषण व महंगी सब्जियों से बचने के लिए रसोई बगीचा आज की आवश्कता बन गया है। रसोई बगीचा को बढ़ावा देकर हर मनुष्य की पोषण सुरक्षा व खर्च में कमी कर स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ा सकते है। अपने घर पर ही अपशिष्ट पदार्थो का उपयोग करके ताजा जैविक सब्जियाँ पैदा करने के साथ-साथ वातावरण को भी स्वच्छ रख सकते हंै। रसोई बगीचा के बढ़ावे हेतु युवाओं को आगे आने की आवश्यकता है। जो घर के सभी लोगों को जागरूक करेे एवं बीज उपलब्धता करवाएं।

अत: ऊपर वर्णित विवरणों से यह पता चलता है की आज के इस बदलते वातावरण व जीवन शैली में रसोई बगीचा मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण घटक है एवं इसकी महत्वता को समझने तथा बढ़ावा देने के लिए जागरूकता की आवश्कता है।

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