उद्यानिकी (Horticulture)

जानिए कपास के गुप्त रहस्य

क्षेत्र:-
कपास देश के 3 क्षेत्रों और 9 राज्यों में उगाई जाती है।
उत्तरी क्षेत्र: हरियाणा, पंजाब, राजस्थान
मध्य क्ष़ेत्र: गुजरात, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश
दक्षिणी क्षेत्र: कर्नाटक, तमिलनाडू, आन्ध्र प्रदेश
देश में लगभग 96 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में कपास उगाई जाती है।
उत्पादन:-

  • कपास के पौधों में दो तरह की शाखाएं होती हैै:
    सिम्पोडियल – ज्यादा फलदार शाखाएं
    मोनोपोडियल- ज्यादा फल रहित शाखाएं
  • कपास की कलियां पूडी के ऊपर तीन पत्तीनुमा रचना होती है इन्हें ब्रेकटियोल कहते हैं।
  • कपास/नरमा बोने के लगभग 50-60 दिन बाद पूडी आ जाती है।
  • पूडी बनने के 18-20 दिन बाद फूल खिल जाते हैं और एक पौधे पर लगभग 45-90 दिनों तक फूल खिलते रहते हैं।
  • निशेचन होने के बाद सफेद पंखुडिय़ां लाल हो जाती है।
  • निशेचन होने के 50 दिन बाद टिण्डा खिल जाता है।
  • एक टिण्डे में 3 से 5 फाडी होती है और उनमें 24-32 तक बीज होते हैं।
  • कपास के 1000 दानों का भार 70 ग्राम होता है।
  • कपास की एक कलिका को बनाने में 3.4 लीटर पानी लगता है और एक किलो कपास उत्पादन में 7000 से 29000 लीटर पानी लगता है।
  • ड्रिप इरीगेशन द्वारा सिंचाई करने से नरमा मपास में 53 प्रतिशत पानी की बचत होती है तथा उर्वरक साथ देने से 35 प्रतिशत उर्वरक की बचत होती है।

खाद/उर्वरक:- साधारण किस्मों के लिए 35 किलो नाइट्रोजन एवं 12 किलो फास्फोरस प्रति एकड़ की आवश्यकता है परन्तु सभी संकर किस्मों एवं बीटी किस्मों में साधारण किस्मों की अपेक्षा दो गुना उर्वरक यानी 70 किलो नाइट्रोजन तथा 24 किलो फास्फोरस की आवश्यकता होती है अन्यथा जमीन बंजर लगने लगती है।
किस्म विकास :-

  •      कपास में ज्यादा किस्में गोसिपियम हिरसुटम की विकसित की गई।
  •      गोसिपियम हिरसुटम यानी नरमा का सबसे पहली संकर किस्म वर्ष 1970 में गुजरात कृषि विश्वविद्यालय सूरत में डॉ सी. डी. पटेल ने एच-4 का विकास किया।
  •      द्वितीय संकर किस्म कृषि विश्वविद्यालय धारवाड़ – कर्नाटक के डॉ. कटारकी द्वारा वारालक्ष्मी का विकास किया।
  •      देशी कपास की नरबन्ध संकर किस्म एएएच1 विश्व में सर्वप्रथम हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में वर्ष 1999 में विकसित की।
  •     कपास नरमा का एक एकड़ से औसतन एक कुन्टल संकर बीज बन जाता है।

उत्पादन गुणवत्ता:-

  •      नरमा में रुई की मात्रा 33.38: तथा देशी कपास में 38.45 प्रतिशत होती है।
  •     देशी कपास के टिण्डे का वजन 2.5-3 ग्राम तथा नरमा के टिण्डे का भार 2.50 से 5.50 ग्राम होता है।
  •     बिनौले में 12-13 प्रतिशत तेल होता है जो खाने में कम प्रयोग किया जाता है ।
  •     कपास के व्यापार में प्रयोग किया जाने वाला शब्द कैंडी का अर्थ 784 पौंड या 355.62 किलो या 3.5562 क्विंटल है।
  •     कपास के एक बीज पर 30-40 हजार रेशे  होते हैं।
  •     एक किलो चिल्की देशी कपास में लगभग 19 हजार मशीन डीलिटिंग में 17 हजार, तेजाब/गैस डिलिटिंड में 15 हजार, अमेरीकन चिल्की में 18 हजार, मशीन डिलिटिड में 14 हजार बीज होते है।
  •     भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानकों के अनुसार असंकर किस्मों में न्यूनतम अंकुरण 65 प्रतिशत तथा संकर किस्मों में 75 प्रतिशत होता है।
प्रति एकड़ उत्पादन
लाइन पौधों के मध्य दूरी औसत उपज / एकड़ किलो से पौधों की संख्या   प्रति एकड़ प्रति पौधा कपास (ग्राम में) प्रति पौधे टिण्डे की संख्या
4×4 1200 2722 440 110
3×3 1200 4840 250 65
3×2 1000 7260 140 35
2×1.5 1000 14520 70 20

 

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *