Horticulture (उद्यानिकी)

3जी कटिंग के द्वारा बढ़ाएं लौकी की पैदावार

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  • सौरभ , अभिषेक तायडे, किरण कुमार
    सब्जी विज्ञान विभाग (उद्यानिकी)
    राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर (म.प्र.)

1 नवंबर  2021, 3जी कटिंग के द्वारा बढ़ाएं लौकी की पैदावार – 3जी कटिंग के द्वारा कुकुर्बिटेसियस सब्जियों में उपज दोगुनी करने की एक क्रांतिकारी तकनीक है जिसमें रसायनिक कीटनाशकों के अंधाधुन उपयोग के कारण परागण के लिए उपयोगी लाभकारी कीट तेजी से कम हो रहे हैं। नतीजतन, कुकुरबिटेसी फसलों में बहुत खराब परागण होता है। कम फल सेट की समस्या बढ़ती जा रही है और अगर फल सेट होते है तो बहुत छोटे फल विकसित होते हैं जो मादा पौधे में ही खराब हो जाते हैं। इन सभी समस्यायों से निदान पाने के लिए 3जी कटिंग तकनीक का विकास किया गया है।

3जी कटिंग क्या है?

3जी कटिंग कृषि में एक ऐसा शक्तिशाली टूलकिट है जिसका उपयोग भूमि के प्रति इकाई क्षेत्र में इष्टतम उत्पादन करने के लिए किया जा सकता है। 3जी किसी भी फसल में केवल तीसरी (तीसरी पीढ़ी) को संदर्भित करता है यानी पहली और दूसरी पीढ़ी की शाखाओं को छोडक़र तीसरी (तृतीयक) शाखा के विकास को बढ़ावा देना। बीज के अंकुरण के साथ केवल एक मुख्य शाखा बढ़ती रहती है जिसे परिभाषित किया गया है पहली (पहली पीढ़ी)। यदि यह पहली शाखा दूसरी शाखा देती है तो इसे दूसरी (दूसरी पीढ़ी) के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसके अलावा जब यह दूसरी पीढ़ी की शाखा दूसरी शाखा देती है, तो इसे तीसरी (तीसरी पीढ़ी) कहा जाता है।

3जी कटिंग के द्वारा एक ही पौधे से अधिक फल प्राप्त करने के लिए मुख्य तने एवं शाखाओं की कटाई की जाती है। इस विधि का प्रयोग लौकी के अलावा कद्दू, तोरई, करेला, खीरा, तरबूज, सफेद पेठा, करेला, टमाटर भिंडी, बैंगन, मिर्च, अंगूर आदि सब्जियों में भी किया जाता है। इस तकनीक की मदद से लौकी के एक पौधे से 100 से भी अधिक फल प्राप्त किए जा सकते हैं।

शोध अध्ययनों के अनुसार, पहली और दूसरी पीढ़ी की शाखाओं में मादा के बजाय अधिकांश नर फूल होते हैं, जिससे शाखा में 14:1 (नर:मादा) फूलों का अनुपात बहुत कम होता है जो हमें अधिक फूलों का झूठा भ्रम पैदा करता है लेकिन बहुत कम होता है। इस प्रकार, तीसरी पीढ़ी की शाखाएँ अधिकांश मादा फूलों से भर जाती हैं। इस स्थिति में उचित परागण के अनुसार प्रति शाखा और अंत में प्रति पौधा अधिक फल देता है जो अंतत: प्रति शाखा या प्रति पौधे उच्च उत्पादन उपज की ओर जाता है। मुख्य उद्देश्य दूसरी पीढ़ी की बजाय तीसरी पीढ़ी की शाखा रखने पर केंद्रित होना चाहिए।

3जी कटिंग का उद्देश्य

3जी कटिंग का मुख्य उद्देश्य पौधे में नर और मादा फूलों का उचित अनुपात बनाए रखना है जिससे इष्टतम उत्पादन प्राप्त किया जा सके और फसल उत्पादन में अधिक वृद्धि हो रही है।

3जी कटिंग का उपयुक्त समय
  • बीज की रोपाई के बाद पौधों में 10 से 12 पत्तियां आने पर 3जी कटिंग की जा सकती है।
  • मुख्य तने की लंबाई करीब 60 सेंमी होने पर पौधों में 3जी कटिंग कर सकते हैं।
3जी कटिंग का सही तरीका
  •  3जी कटिंग के लिए कम से कम 20 से 30 दिन पुराने पौधे का चयन करें।
  • जड़ से निकलने वाले मुख्य तने में भूमि की सतह से लेकर 7-8 पत्तियों के बीच यदि छोटी शाखाएं निकल रही हैं तो उन्हें काट कर अलग करें।
  • मुख्य तने में 10 से 12 पत्तियां आने के बाद तने के ऊपरी भाग को काट कर अलग करें। ऐसा करने से पौधे की लम्बाई रुकेगी और पौधों में नई शाखाएं आएंगी।
  • मुख्य तने के ऊपरी भाग की कटाई के बाद निकलने वाली शाखाओं की भी कटाई की जाती है।
  • मुख्य तने के ऊपरी भाग से निकलने वाली दो शाखाओं के अलावा अन्य सभी छोटी शाखाओं को काट कर अलग करें।
  • कुछ दिनों बाद मुख्य तने से निकलने वाली दोनों शाखाओं में भी कई शाखाएं निकलेंगी। इनमें कुछ शाखाओं को छोडक़र अन्य सभी शाखाओं को काट कर अलग करें।
विशेष ध्यान
  •  सुनिश्चित करें कि पौधे की निचली 4-5 पत्तियों पर कोई शाखा यानि द्वितीयक शाखाएं न हों।
  • दूसरी पीढ़ी की शाखाओं के शीर्ष भाग को 12 पत्तियों की अवस्था में यानि 12वीं पत्ती के ठीक ऊपर काटें।
  • जब पौधे की ऊंचाई 7-8 फीट तक पहुंच जाए तो मुख्य शाखा के शीर्ष भाग को काट देना चाहिए।
  • 3जी कटिंग कुकुरबिट फसलों में इंटरकल्चर या कटिंग की बहुत नई और अभिनव तकनीक है वास्तव में यह तकनीक लाभ कमाने की दृष्टि से किसानों के लिए बहुत ही लाभकारी और उपयोगी है।
3जी कटिंग के फायदे
  • 3जी कटिंग से किसानों को छोटे भूमि क्षेत्र में प्रति पौधा उत्पादन व उपज बढ़ाने में मदद मिलती है।
  • प्रति पौधे मादा फूलों की संख्या अधिक होने से फलों के सेट की संख्या अधिक होगी।
  • फलों के सेट की गुणवत्ता उच्च कोटि की होगी और फलों का आकार बढ़ जाएगा।
  • इस तकनीक को अपनाने वाले किसी भी किसान द्वारा उसी भूमि के टुकड़े से अधिक आय उत्पन्न की जाती है।
  • यह लौकी, खरबूजे, कद्दू, ककड़ी के पौधों के उचित प्रशिक्षण में मदद करता है ताकि प्रत्येक बेल को प्रकाश संश्लेषण और पौधों के विकास और विकास के लिए आवश्यक मात्रा में सूर्य का प्रकाश प्राप्त हो सके।
  • इसी प्रकार, इन फसलों में बेहतर प्रशिक्षण प्रूनिंग के कारण विशेष देखभाल की स्थिति में एक ही फसल के पौधे से दीर्घकालिक उत्पादन संभव है।
    लौकी के लिंग रूपांतरण में पादप वृद्धि नियामकों का समुचित अनुप्रयोग
  • सभी कुकुर्बिटेसियस बहुत ही अधिक पर-परागित फसलें होती हैं (कीटों के माध्यम से पर-परागित)
  • परवल और कुंदरू को छोडक़र अधिकांश कुकुर्बिटेसिस एकलिंगी प्रकृति का होता है।
  • कुछ फसलों (खरबूजे) में कई उभयलिंगी और एंड्रोमोनिक किस्में भी उपलब्ध हैं।
  • कुकुर्बिटेसियस पौधे आमतौर पर एकलिंगी होते हैं यानी एक ही पौधे पर नर और मादा फूल अलग-अलग स्थान में होते हैं।
  • लौकी का फूल सफेद रंग का होता है।नर फूल पहले खिलते हैं और बाद में मादा फूल।
  • मादा व नर फूल का अनुपात 2:1 या 3:1 होता है।
  • आमतौर पर नर फूलों की संख्या अधिक होती हैं और मादा फूलों की संख्या से नर फूलों की संख्या का अनुपात पौधे की उम्र के साथ बढ़ता जाता है।
  • कम उर्वरता, उच्च तापमान, लंबी प्रकाश अवधि सभी नर फूलों की संख्या की बढ़ोतरी करते हैं जबकि अधिक उर्वरता, निम्न तापमान, कम प्रकाश अवधि सभी मादा फूलों की संख्या की बढ़ोतरी करते हैं ।
  • पादप नियामक और पोषक तत्व दोनों ही उचित मात्रा में सेक्स को संशोधित करते हैं।
  • GA (10 ppm) या एथरेल (100-150 ppm) या NAA (100 ppm) या TIBA (50 ppm) या MH(400 ppm) + (100 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर) या बोरॉन (3-4 ppm) या मोलिब्डेनम या कैल्शियम (20 ppm) के साथ दो स्प्रे, पहली 2 पत्ती अवस्था में, दूसरी 4 पत्ती अवस्था में छिडक़ाव करने से नर फूलों की संख्या में कमी और मादा फूलों की संख्या, फल सेट और अंतिम उपज में वृद्धि होती है।
  • AgNO3 या STS 400 ppm) का फूल आने से पहले की अवस्था में छिडक़ाव करने से नर फूलों की संख्या में वृद्धि होती है।
    द्य संकर बीज उत्पादन के लिए मादा जनक की नर फूल कलियों को फूल खिलने से पहले पिंच (अलग करना) किया जाता है।

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