उद्यानिकी (Horticulture)

मिर्च की खेती ऐसे करें-पाएं अधिक उत्पादन

18 जून 2022, मिर्च की खेती ऐसे करें-पाएं अधिक उत्पादन –

जलवायु – मिर्च की सफल खेती के लिये गर्म एवं आद्र्र जलवायु सर्वोत्तम। 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान मिर्च की खेती के लिये उपयुक्त माना गया है। 625 से 750 मिली मीटर वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र मिर्च खेती के लिये उत्तम माने गये हैं। मृदा की पीएच 6 से 7.5 मिर्च के लिये सर्वोत्तम है।

Advertisement
Advertisement
खेत की तैयारी
  • गर्मियों में एक गहरी जुताई करें। इससे खेत के अंदर हानिकारक कवक व जीवाणु के अंडे गहरी जुताई से ऊपर आ जायेंगे और वातावरण के अधिक तापमान से नष्टï हो जायेंगे।
  • गहरी जुताई के बाद दो बार कल्टीवेटर अथवा हैरो चलायें।
  • खेत को समतल करने के लिये एक बार पाटा चलायें। बीज की मात्रा व दर-बीज की मात्रा 400-500 ग्राम प्रति हे., हाईब्रिड जातियों के लिये 200-250 ग्राम प्रति हेक्टेयर.
जातियां

पूसा ज्वाला, पूसा सदाबहार, जवाहर मिर्च 218, एनपी 46 ए, कल्याण फुड, चंचल, अर्का मोहिनी, अर्का बसंत, भारत इत्यादि।

बुवाई समय

मिर्च की बुवाई सामान्यत: जून महीने से लेकर सितम्बर के महीने तक की जाती है। अधिक पैदावार लेने के लिये सर्वोत्तम समय जुलाई-अगस्त है। अगस्त माह में की गई बुवाई से मिर्च के पौधे अधिक फैलाव, अधिक ऊंचाई व जल्दी फूल आते हैं।

Advertisement8
Advertisement
बुवाई विधि

मिर्च की फसल को सामान्यत: किसान प्रवाहित सिंचाई में लगाते हंै लेकिन मिर्च की फसल को ड्रिप इरिगेशन पद्धति से लगाकर किसान प्रति हेक्टेयर अधिक उपज ले सकता है।

Advertisement8
Advertisement
नर्सरी
  • मिर्च नर्सरी की क्यारी की लम्बाई 3 मीटर, चौड़ाई 1 मीटर व ऊंचाई 0.2 मी. की क्यारी बनायें।
  • नर्सरी क्यारी के अंदर उचित मात्रा में गोबर की खाद मिलाएं।
  • 2-3 दिन बाद नर्सरी क्यारी की सिंचाई करें जिससे खाद व दवा जमीन में अच्छी तरह मिल जाये।
  • नर्सरी में लाइन से लाइन की दूरी 5 सेमी रखें। जिससे बीज का ज्यादा अंकुरण होगा तथा नर्सरी में खरपतवार व रोग कम आयेंगे।
  • क्यारी को चावल के भूसे से ढक दें जिससे अंकुरण जल्दी होगा।
  • क्यारी को प्रतिदिन हल्की सिंचाई दें।
नर्सरी में पादप संरक्षण
  • नर्सरी रोपण के 15 दिन बाद 1 ग्राम थायोमिथाक्सम, 3 ग्राम रिडोमिल एक लीटर पानी में मिलाकर पौधे में ड्रेसिंग करें जिससे मिर्च की नर्सरी में फैलने वाली डेम्पिंग ऑफ और जड़ सडऩ व रस चूसने वाले कीड़ों से निजात मिलेगी।
  • यह प्रक्रिया नर्सरी के अंदर दोबारा 25 दिन व 35-40 दिन पर अवश्य करें।
खाद व रसायनिक उर्वरक

उर्वरकों का उपयोग मृदा जांच के अनुसार करें. यदि मृदा जांच न हो सके तो उस स्थिति में प्रति हेक्टेयर इस प्रकार उर्वरक डालें।

साधारण विधि

सामान्य विधि से मिर्च की फसल में 30 टन प्रति हेक्टेयर गोबर खाद आखिरी बुवाई के समय खेत में दें।

ड्रिप पद्धति से

ड्रिप पद्धति से मिर्च की फसल लगाकर किसान रसायनिक उर्वरक का बेहतर ढंग से उपयोग ले सकता है। तथा प्रति हेक्टेयर साधारण विधि से 30-35′ उर्वरक कम लगता है। ड्रिप पद्धति से बुवाई के समय 130 किलोग्राम यूरिया, 500 किलो सिंगल सुपर फास्फेट, 160 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश, 15-20 किलो सल्फर व 10 किग्रा माइक्रोन्यूट्रेंट प्रति हेक्टेयर दें।

ड्रिप इरिगेशन पद्धति से मिर्च लगाने के फायदे
  • 50-60 प्रतिशत पानी की बचत होती है जिससे किसान कम पानी होने पर भी आसानी से मिर्च की खेती कर सकता है।
  • रोग व रस चूसने वाले कीड़ों का प्रभाव कम होता है तथा ड्रिप पद्धति से दवाओं का उचित उपयोग होने से रोग व रस चूसने वाले कीड़ों से फसल को आसानी से बचाया जा सकता है।
  • ड्रिप पद्धति से उर्वरक देकर अधिक उपज ले सकते हंै इससे 30-35 प्रतिशत तक उर्वरक खर्च बचता है।
  • ड्रिप पद्धति से मिर्च की फसल में कम मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है।

महत्वपूर्ण खबर: सुमिल के दो नए उत्पाद ट्रिओन जेडएफएस और ब्लैक बेल्ट लांच

Advertisement8
Advertisement
Advertisements
Advertisement5
Advertisement