मसाला फसलों से परिहार को मिला मान-सम्मान
- ( विशेष प्रतिनिधि)
24 दिसंबर 2021, इंदौर । मसाला फसलों से परिहार को मिला मान-सम्मान – खेती में कुछ करने का जूनून हो तो शिक्षा भी आड़े नहीं आती है। इसे साबित किया है,आगर मालवा के उन्नत किसान श्री राधेश्याम परिहार ने। मसाला फसलों से श्री परिहार को न केवल मान-सम्मान मिला, बल्कि स्वयं का उद्योग भी स्थापित कर लिया। मालवा माटी के नाम से पंजीकृत इनके मसाला उत्पाद लोगों में लोकप्रिय हो रहे हैं। यही नहीं ये चिया सीड्स की खेती भी करते हैं, जिसे अब शुष्क फल में शामिल किया गया है। श्री परिहार को राष्ट्रीय स्तर का धरती मित्र आर्गेनिक इंडिया फार्मर अवॉर्ड और महिंद्रा समृद्धि इंडिया एग्री अवॉर्ड के तहत कृषक सम्राट सम्मान भी मिल चुका है।
मिडिल तक शिक्षित श्री परिहार ने कृषक जगत को बताया कि वे अपनी 15 एकड़ जमीन में गत 15 वर्षों से मसाला फसलों की पूर्णत: जैविक खेती करते हैं। इस वर्ष इन्होंने एक-एक एकड़ में हल्दी, अदरक,धनिया,अजवाईन और दो-दो एकड़ में मिर्च और लहसुन लगाई है। इसके अलावा इन्होंने 6 एकड़ में चिया सीड्स भी लगाया है। चार साल पहले इसका 100 ग्राम बीज भाकृअप दिल्ली से लाए थे और प्रयोग के तौर पर लगाया था। अब इसका पर्याप्त बीज हो गया है। श्री परिहार ने कहा कि चिया की फसल खरीफ में जून-जुलाई और रबी में अक्टूबर-नवंबर में लगाई जाती है। एक एकड़ के लिए दो किलो बीज दर पर्याप्त है। इसका उत्पादन एक एकड़ में 7-8 क्विंटल अनुमानित है और इसका दाम 18 हज़ार /क्विंटल तक मिल जाता है। चिया सीड्स में ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, फाइबर, प्रोटीन और कई मिनरल्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इससे मोटापा भी घटता है। ड्राई-फ्रूट्स में अब चिया सीड्स भी शामिल हो गया है। उद्यानिकी फसलों में इन्हें केवीके शाजापुर के वैज्ञानिक डॉ. जीआर अम्बावतिया और डॉ. धाकड़ का मार्गदर्शन मिलता रहता है।
श्री परिहार ने निजी तौर पर ग्राम बिनायगा में परिहार एग्रो हर्बल एंड एग्री बिजनेस के नाम से व्यवसाय शुरू किया है। मालवा माटी के नाम से ट्रेड मार्क का पंजीयन कर मसाला फसलों की ग्रेडिंग, पाउडर और पेस्ट बनाकर बेचा जाता है। इसके लिए मशीनें भी लगाई गई हैं। इनसे 6 जिलों के 540 किसान जुड़े हुए हैं। जिनके उत्पादों को अच्छा मूल्य दिलाने के लिए विविध प्रक्रियाएं बताकर उचित मूल्य दिलाने में मदद की जाती है। ये माह में एक बार किसानों को प्रशिक्षण भी देते हैं। यह स्व विवेक से जुगाड़ तकनीक से किसान हितकारी सस्ते कृषि यंत्र भी बनाते हैं। यही नहीं श्री राधेश्याम परिहार ने पुराने बीजों की प्रजाति को सुरक्षित रखने की पिताजी की परम्परा को 15 सालों से कायम रखा है। इन्होंने अरहर, मक्का,गेहूं, मूंगफली, शतावर, अश्वगंधा, सफ़ेद मूसली और हल्दी बीजों को सुरक्षित रखा है।
श्री परिहार को 2017 में नोएडा में आयोजित जैविक विश्व कुम्भ में राष्ट्रीय स्तर का दो लाख रुपए का धरती मित्र आर्गेनिक इंडिया फार्मर अवॉर्ड तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह के हाथों मिल चुका है, वहीं 2020 में महिंद्रा समृद्धि इंडिया एग्री अवॉर्ड के तहत कृषक सम्राट सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। जिसमें 2 लाख 11 हजार की नकद राशि, शील्ड और प्रशस्ति पत्र दिया गया था।
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