गरेरा के जैविक आंवले जबलपुर तक जाते हैं
13 अगस्त 2020, दतिया। गरेरा के जैविक आंवले जबलपुर तक जाते हैं – लॉकडाउन कई लोगों के लिए आर्थिक परेशानी का सबब बना। लेकिन जशरथ सिंह यादव ने मुश्किलों के बावजूद इसे अवसर में बदल डाला। दतिया जिले के ग्राम गरेरा के रहने वाले जशरथ ने लॉकडाउन में देखा कि कई लोग बेरोजगार हो गए, तो उन्होंने अपने खेतों में दूसरों को काम देने और खेती की उपज से कमाई करने की ठानी।
जैविक खेती से जुडे जशरथ सिंह ने लॉकडाउन में भी खेती बाड़ी का काम जारी रखा और कई लोगों को अपने खेतों में काम दिया। जशरथ ने केंचुआ और गोबर से बने जैविक खाद का उपयोग कर फसलों की उपज इनती बढ़ा ली कि लॉकडाउन भी उन्हें डिगा नहीं पाया। जशरथ मुख्य रूप से गेहूँ, चना, सब्जी-भाजी, फल, नेपियर घास की फसल लेते हैं। जैविक खाद का उपयोग कर जशरथ ने खुद को समृद्वशाली किसानों की जमात में शामिल कर लिया है।
वह महज दसवीं पास हैं। उनकी आर्थिक स्थिति कुछ साल पहले तक अच्छी नहीं थी। उनके पास दो हेक्टेयर खेत था। रासायनिक खादों का इस्तेमाल करने के कारण मिट्टी खराब हो गई थी। उपज घटती चली गई और आर्थिक बोझ बढ़ता गया। उसी वक्त आत्मा परियोजना ने जैविक खाद बनाने के लिए उन्हें पांच हजार रूपये का अनुदान और तकनीकी मार्गदर्शन दिया। उन्होंने एक ही खेत में गेहॅू, चना, दलहन, फल, सब्जी, दूध, गोबर गैस, जैविक खाद का उत्पादन शुरू कर एक असंभव मिशन को संभव बना दिया।
जैविक खाद का उपयोग कर उन्होंने फसल का उत्पादन चार गुना तक बढ़ा लिया। जैविक खाद और अच्छी क्वालिटी के कारण उनके खेत का उगा आंवला जबलपुर और झांसी तक जाता है। उनके खेत के अमरूद, नीबू झांसी के बाजार में बिकते हैं।
लॉकडाउन में उन्होंने खुद को काम से जोड़ा और अन्य लोगों को भी रोजगार से जोड़ दिया। उन्होंने अपने खेत में उगा खीरा, टमाटर, लौकी, तोरई, करेला, कद्दू, हरीमिर्च, धनिया दतिया समेत, झांसी, दिनारा के बाजारों में बेचकर 80 हजार रूपये की कमाई की। गर्मी में हरेचारे की कमी रहती है, लेकिन उन्होंने नेपियर घास से भी अच्छी खासी कमाई कर ली। इसमें अधिक प्रोटीन होने की वजह से लोगों ने अपने मवेशियों के लिए खरीदा। उन्होंने जैविक खाद की बिक्री से भी कमाई की।