Editorial (संपादकीय)

कपास उत्पादन बढऩे का कयास

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कितना सही साबित होगा

इंदौर। प्रदेश के प्रमुख कपास उत्पादक जिले खरगोन,खंडवा, धार, बड़वानी आदि में इस बार कपास की फसल अति वृष्टि के कारण प्रभावित हुई है। किसानों की मानें तो कपास की फसल में 50 फीसदी से अधिक नुकसान हुआ है। जबकि इस साल खरगोन जिले में कपास का रकबा 44 हजार हेक्टर बढ़ा है, तो उत्पादन भी बढ़ेगा। लेकिन ऐसे विपरीत हालातों में कपास का उत्पादन बढऩे का कयास कितना सही साबित होगा यह तो वक्त ही बताएगा।

कृषक जगत के नागझिरी प्रतिनिधि श्री राजीव कुशवाह के अनुसार इस वर्ष निमाड़ अंचल में कपास की फसल की हालत खराब है। भारी जमीन वाले खेतों में जल जमाव होने से कपास के पौधे सूक्ष्म पोषक तत्वों के अभाव में पीले पड़कर नीचे गिर रहे हैं। क्षेत्र के किसान श्री संजय चौधरी नागझिरी, श्री नरेंद्र कुशवाह, श्री सुनील पटेल बडग़ांव और श्री शिवराम कुशवाह घुगरियाखेड़ी ने कृषक जगत को बताया कि ज्यादा बारिश होने से कपास की फसल को 50 प्रतिशत से अधिक का नुकसान हुआ है। इससे उत्पादन कम होने से लागत खर्च भी नहीं निकलेगा। किसानों ने मुआवजे की मांग की है। अब तो किसान बारिश रुकने की गुहार लगा रहे हैं, जबकि मौसम विभाग ने अभी मानसून के और सक्रिय रहने के संकेत दिए हैं। बारिश के बीच गत बुधवार को खरगोन की आनंद नगर स्थित कपास मंडी में नए कपास की खरीदी का मुहूर्त किया गया। भाव 5325 रुपए प्रति क्विंटल रहा। जो कपास के समर्थन मूल्य 5550 रु. प्रति क्विंटल से कम रहा। सीसीआई ने पहले दिन खरीदी नहीं की। हालांकि इस साल भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने कपास के मूल्य में 100 रुपए/क्विंटल की वृद्धि की है। पिछले साल 5450 रु. का भाव था। व्यापारियों के अनुसार कपास की सफेदी 76 के बजाय 68 प्रतिशत रही, वहीं कपास के रेशे की लम्बाई में भी 3 मिमी. की कमी रही। माल गीला और कम सफेद होने से भावों में गिरावट रही। इससे किसान निराश हुए। मंडी में कपास बेचने आए चितावद के श्री मुकेश मुछाल ने कहा कि 20 एकड़ में बोई कपास की फसल में अब तक सिर्फ 8 क्विंटल उत्पादन हुआ है। बिलखेड़ा के श्री विजयेंद्र सिंह चौहान के यहां 40 एकड़ में लगाई  कपास की फसल से सिर्फ 14 क्विंटल उत्पादन मिला है,जिससे सिर्फ मजदूरों का खर्च ही निकला है। जबकि कोठाबुजुर्ग के श्री राजेश कुमावत को ज्यादा बारिश से अपनी कपास की फसल 40 प्रतिशत ही शेष नजर आ रही है। किसानों को अब रबी की फसल से आस है, लेकिन रबी के लिए बीज और खाद के लिए राशि कहाँ से लाएं। किसान आर्थिक सहायता के लिए सरकार का मुंह ताक रहे हैं।

श्री एम.एल. चौहान कृषि उप संचालक, खरगोन ने कृषक जगत को बताया कि अति वृष्टि से हुई फसलों की  हानि के सर्वे के लिए अधिकृत बीमा कम्पनी इफको टोकियो के अलावा राजस्व, कृषि और पंचायत विभाग के कर्मचारी सर्वे में लगे हुए हैं। हानि को लेकर जब तक सर्वे रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक उत्पादन घटने अथवा बढऩे पर कुछ नहीं कहा जा सकता है।

उधर, भारतीय कपास निगम इंदौर के महाप्रबंधक श्री अर्जुन दवे ने कृषक जगत को बताया कि कपास खरीदी के 19  केंद्र खोलना प्रस्तावित हैं, इनमें से 14 केंद्र निश्चित हो गए हैं, जिनके जिनिंग, प्रेसिंग के टेंडर हो चुके हैं। सीसीआई के संभाग में खरगोन, धार, बड़वानी, खंडवा, बुरहानपुर जिलों के अलावा छिंदवाड़ा जिला भी शामिल है। ज्यादा वर्षा से कपास की फसल विलम्ब से आ सकती है। लेकिन उत्पादन पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

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