Editorial (संपादकीय)

महाराष्ट्र में भी रिकॉर्ड शक्कर उत्पादन शक्कर उत्पादन होगा एक करोड़ टन

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भारतीय चीनी मिल संघ ने इस साल चीनी उत्पादन 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान जताया है

पुणे। इस साल महाराष्ट्र में चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है लेकिन यह मौका खुशी मनाने का नहीं है। इस साल पेराई सत्र के अंत तक राज्य में चीनी उत्पादन 1 करोड़ टन से अधिक हो जाएगा। यह आंकड़ा देश के कुल चीनी उत्पादन का 40 प्रतिशत है और पिछले साल के मुकाबले 25 प्रतिशत अधिक है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने इस साल चीनी उत्पादन 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया है, जबकि पिछले साल उत्पादन आंकड़ा 2.24 करोड़ टन था। इस्मा के महानिदेशक श्री अविनाश वर्मा कहते हैं, इस साल महाराष्ट्र में चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन होने जा रहा है। महाराष्ट्र में पिछले पांच साल के दौरान गन्ने की कीमतें दूसरे फसलों के मुकाबले काफी बढ़ी हैं। लिहाजा चीनी उत्पादन से कीमतें गिरने के बाद भी किसान फिर गन्ना उपजा रहे हैं।
किसानों के साथ ही चीनी उद्योग के लिए भी यह स्थिति गवारा नहीं है। महाराष्ट्र और देश का चीनी उद्योग इस समय बुरे दौर से गुजर रहा है। मांग के मुकाबले उत्पादन काफी अधिक है। निर्यात कम रहने, कम कीमतें, किसानों का बकाया रकम इस क्षेत्र की प्रमुख मुश्किलें हैं। चीनी मिलें चीनी बेचकर भी उत्पादन लागत नहीं वसूल पा रही हैं जिससे उन्हें किसानों को बकाया रकम देने में खासी दिक्कतें आ रही हैं। महाराष्ट्र में पेराई सत्र 2014-15 में 31 मार्च 2015 तक चीनी मिलों ने 95.14 लाख टन चीनी उत्पादन किया है। कोल्हापुर, सातारा, पुणे और सोलापुर में अब भी 100 लाख टन गन्ने की पेराई होनी है।
महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी फैक्टरी संघ के प्रबंध निदेशक श्री संजय बाबर कहते हैं, अब मामला पेचीदा हो गया है। चीनी मिलों के पास पहले से ही पिछले चार सालों का भंडार है और चीनी कीमतें ऊपर नहीं जा रही हैं। चीनी का बफर उद्योग इस समस्या का समाधान होता। चीनी उद्योग की मदद के लिए राज्य और केंद्र सरकार को अब आगे आना चाहिए। चीनी उद्योग को वित्तीय मदद दी जाने की दरकार है।
राज्य सरकार ने चीनी फैक्टरियों को 2,000 करोड़ रु पये के ब्याज मुक्त ऋण की पेशकश की है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। लिहाजा हम केंद्र सरकार से महाराष्ट्र के चीनी उद्योग के लिए पूर्ण वित्तीय मदद की मांग कर रहे हैं। महाराष्ट्र में करीब 142 चीनी मिलें चल रही थीं, जो वर्ष 2013-14 में 79 थीं। इसके अलावा 36 मिलें बंद रहीं। विपणन वर्ष 2014-15 में अब तक के कुल गन्ना बकाया में 3,000 करोड़ रुपये राज्य की मिलों पर हैं। इस साल बिना बिका स्टॉक बढ़कर 20 लाख टन हो सकता है।

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