Editorial (संपादकीय)

खरपतवार से मुक्त रखें गन्ना

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गन्ने के कुछ ऐसे खरपतवार जो गन्ने में दिन-दूना रात चौगुना बढ़ते हैं। जितना भी कृषि कार्य नियंत्रण हेतु करें पर घटने का नाम नहीं लेते। बीज, कन्द, वानस्पतिक भागों व अन्य तरीकों से फैलते हैं। इन ‘बज्जर’ खरपतवारों में कुछ का वर्णन व नियंत्रण उपाय यहां दिया जा रहा है।

दूब (साईनोडान डेक्टीलान)
जमीन पर छितरवां फैलने वाला यह बहुवर्षीय खरपतवार मध्यप्रदेश ही नहीं पूरी दुनिया में नियंत्रण हेतु सिरदर्द बना हुआ है। इसका बीज, जड़ों, पौधों के अन्य भागों द्वारा तेजी से विभिन्न जलवायु एवं वातावरण में फैलता हैं।
हाथ से नियंत्रण करना बहुत महंगा सौदा है। कृषि कार्य इसके वानस्पतिक भागों को टुकड़े के माध्यम से नियंत्रण के बजाय और अधिक फैलाने में मदद करता है। इसलिए हल आदि चलाने के उपरांत जितना हो सके खरपतवारों के भागों को बीनकर नष्ट करें।
डेलापान 1 किलो/हे. या टी.सी.ए. 2 किलो/हे. के 2 या 3 छिड़काव काफी प्रभावी रहे हैं। ग्लाफोसेट 4 से 5 किलो/हे. का केवल खरपतवार पर स्प्रे नोजल पर हुड बांधकर छिड़काव करने से नियंत्रण में काफी सफलता मिली है।

मोथा (साईप्रस रोटेन्डस) –
यह भी एक बहुवर्षीय खरपतवार है जो जड़ों के कन्दों के माध्यम से फैलता है। इसका जालनुमा फैलाव बहुत ही शीघ्र फैलाव करता है एवं विविध जलवायु में यथावत रहता है। इसे निंदाई या मशीनों आदि से नियंत्रण करना कठिन है क्योंकि इसकी जड़ों में अनेक गठान व कन्द होते हैं। जिसमें श्रेष्ठ अंकुरण क्षमता होती है। इसके नियंत्रण हेतु आन्तरिक प्रवाह एवं हार्मोन गुण वाले खरपतवारनाशक जैसे 2,4 डी बहुत कामयाब सिद्ध हुए हंै। इसके 2 किलो/हे. के 3-4 छिड़काव प्रभावी है। ई.पी.टी.सी. का 3.5 किलो/हे. नींदानाशक को भूमि में छिड़क कर मिलाने से मोथा अंकुरण में कठिनाई होती है। गर्मी में गहरी जुताई व पलवार मोथा को रोकने में सहायक है।

गाजरघास (पारथेनियम हिस्टोफोरस)- गाजर घास सालाना खरपतवार है जो इसके द्वारा उत्पादित असंख्य बीजों से फैलता है। साठ के दशक में गेहूं के साथ भारत में प्रवेश करने वाला यह खरपतवार यत्र-तत्र सर्वत्र फैल रहा है। नियंत्रण के लिये इसके पहले यह फूल पर आये इसको नष्ट करे। गाजरघास की छोटी अवस्था में 2,4 डी 1 किलो/हे+3′ यूरिया का छिड़काव करें। मेट्रीबुजीन (सेनकार) 0.5 किलो सक्रिय तत्व/हे. भी बहुत प्रभावी पाया गया है।

स्ट्राइगा-
यह भी एक सालाना परजीवी खरपतवार है जो गन्ने के साथ ज्वार, बाजरा आदि पर भी असर करता है। यह अपनी जड़े गन्ने की जड़ों में डालकर जीवन क्रिया पूर्ण करता है। यह गन्ने के खेतों में छोटे-बड़े टापों में दिखाई पड़ता है। अधिक प्रकोप होने पर गन्ने की फसल को बहुत नुकसान होता हैं।
इसको नियंत्रित करने हेतु 2,4-डी (एमाईन साल्ट) 1 किलो/हे. के मान से प्रकोपित स्थानों पर फूल अवस्था के बहुत पहले छिड़काव करें। ट्रेप क्राप ज्वार, बाजरा आदि पर स्ट्राईगा को आने दें एवं नष्ट करें।

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