संपादकीय (Editorial)

दलहन उत्पादन में भारत विश्व में अव्वल

कृषि विवि में दलहनी फसलों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

जबलपुर। विश्व में दलहन उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है। इसमें मध्यप्रदेश का 20 फीसदी योगदान है। फिर भी आवश्यकता पूर्ति हेतु भारत को औसतन 40 लाख टन का आयात विदेशों से करना पड़ता है। इसलिये हमें ऐसी रणनीति बनाने की जरूरत है जिससे हम दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर होकर निर्यात कर सकें। तदाशय के उद्गार भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर के निदेशक डॉं. एन.पी. सिंह ने जनेकृविवि में अन्तर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष के तहत ”दहलनी फसलों की खेती को बढ़ावा एवं बदलते मौसम में उत्पादन बढ़ाने की रणनीति पर आयोजित एक दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किये।
समारोह के अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉं. पी.के. मिश्रा, विशिष्ट अतिथि डॉं. ए.के. तिवारी, निदेशक, दलहन निदेशालय भोपाल ने अपने विचार व्यक्त किए।
इस मौके पर 40 प्रतिभागियों ने पोस्टर प्रदर्शनी में अपने पोस्टर के माध्यम से अरहर, चना, मूंग, मसूर व उड़द आदि दलहनी फसलों के विभिन्न आयामों को प्रदर्शित किया, वहीं प्लांट फिजियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉं. ए.एस. गोंटिया की पुस्तक का विमोचन भी किया गया। पूर्व में अधिष्ठाता डॉं. (श्रीमती) ओम गुप्ता ने स्वागत भाषण एवं संचालक शिक्षण डॉं. धीरेन्द्र खरे ने आयोजन की महत्ता प्रतिपादित की।
कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डॉं. एस.डी. उपाध्याय एवं आभार प्रदर्शन डॉं. ए.एस. गोंटिया ने किया। संगोष्ठी में अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध दलहन वैज्ञानिक डॉं. पी.एम. गौर हैदराबाद, डॉं. एम.पी. सिंह कानपुर, डॉं. आर.के. सांईराम दिल्ली, डॉं. हेमन्त रंजन बनारस, डॉं. पी.एस. बसु उप्र एवं डॉं. एस.के. चतुर्वेदी कानपुर सहित वैज्ञानिक, शिक्षक एवं छात्रगण उपस्थित थे।

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