Editorial (संपादकीय)

खेत – खलिहान से भण्डारण तक

Share

25 मार्च 2021, भोपाल । खेत – खलिहान से भण्डारण तक – प्रकृति के उलटफेर अतिरेक के बावजूद रबी फसलों के उत्पादन पर कोई विशेष असर नहीं होगा। अतिरेक की सीमा सीमित है और लहलहाती फसलों का क्षेत्र अपार आंकड़े, सर्वेक्षण बताते हैं कि इस वर्ष भी रबी के राजा गेहूं का रिकार्ड तोड़ उत्पादन होगा। इसमें अब संदेह नहीं होना चाहिए। खेत से भंडारण की यात्रा छोटी दिखती है। परन्तु है लम्बी, छोटी-मोटी भूल जो बूंद-बूंद के समान दिखाई पड़ती है। कुल मिलाकर अरबों-खरबों के आंकड़ों में दिखाई पड़ती है। इस कारण कृषकों को अब और भी सर्तकता से कार्य करना होगा। वर्षों पहले शासन द्वारा कराई गई, कटी फसलों की ढुलाई, गहाई तथा भण्डारण के दौरान होने वाली क्षति का सर्वेक्षण डॉ. पान्से कमेटी के द्वारा कराया गया था जिसके अनुसार कटाई से भण्डारण के बीच 11 से 12 प्रतिशत तक की क्षति आंकी गई थी। चार के दशक से पहले की रिपोर्ट के बाद कोई पुख्ता सर्वेक्षण तो किया नहीं जा सका फिर भी कटाई के दौरान खेत में छूटी बालियां खलिहान में चूहों के आतंक से होने वाली हानि से कोई इनकार नहीं कर सकता है। समय चक्र बदलता गया जो कटाई-गहाई, उड़ावनी भण्डारण में चैत-बैशाख तथा कुछ हिस्सा जेठ का भी लग जाता था। अब तीन माह से सिकुड़ कर तीन दिन पर आ गया है। कृषि में मशीनीकरण से एक नई क्रांति और तीनों प्रमुख कार्य कटाई, गहाई, उड़ावनी तथा बोरों में भण्डारण एक साथ होने लगा। इस तरह श्रम, समय और प्रकृति की चुनौतियों का सामना करने में हम सफल हो गये। ये बात किसी से भी छुपी नहीं है। कृषि में यंत्रों की भागीदारी एक चमत्कार की तरह ही माना जाना होगा।

कृषकों को चाहिए कि अलग-अलग जिन्स की कटाई, गहाई अलग-अलग करें यथा सम्भव कुछ नये बारदानों का उपयोग आने वाले समय में बुआई हेतु बीज रखने के लिये किया जाना चाहिए। पुराने बारदानों की धुलाई, सुखाई बहुत अच्छी तरह की जाये। अनाज भरने के लिये बनाये पुराने बंडों की साफ-सफाई पूर्ण सतर्कता से की जाये तथा जब दाना अच्छी तरह से सूख जाये तभी बंडों में भरा जाये। खेतों में पड़ी बालियों की चुनौती की प्रथा आज भी है जिसे ‘शीलाÓ बिनाई कहा जाता है। यथा सम्भव साथ-साथ कराया जाये। कम्बाईन से करें गेहूं में रोटावेटर ताकि खेतों में बचा अवशेष भूमि में मिलता रहे यथा सम्भव यदि जल उपलब्ध हो तो हल्की सिंचाई करके खेत बखर लिया जाये। इस बीच थोड़े घने क्षेत्र में मूंग, उड़द लगाना अतिरिक्त आय के साधन को बढ़ाने के लिये जरूरी होगा जितनी जल्दी मूंग, उड़द लग पायेगी उतनी ही जल्दी खरीफ के लिये खेत खाली हो जायेंगे। अन्न भण्डारण एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। कीट, रोग, चूहों से कड़ी सुरक्षा के उपाय बराबर अपनाये जाये ताकि एक-एक दाना बरबाद ना हो पाये। कृषि का यह उपसंहार तभी सुखद होगा जब पूर्ण चौकसी से भण्डारण क्रिया पूरी की जा सके ताकि आने वाले साल में स्वस्थ बीज बुआई के लिये मिल सके। कृषि एक निरंतरता है आज देश की 70 प्रतिशत आबादी जिस पर आधारित है इसे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी मानें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *