संपादकीय (Editorial)

देश के 82 प्रतिशत ग्रामीण परिवार पेयजल से वंचित

  • डॉ. चन्दर सोनाने

6 जून 2022, देश के 82 प्रतिशत ग्रामीण परिवार पेयजल से वंचित – देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। किन्तु देश के आजाद होने के 75 साल गुजर जाने के बाद आज भी देश और मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचलों के अनेक गाँवों में गंभीर जल संकट छाया हुआ है। देश और मध्यप्रदेश में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल सुविधा की लंबी चौड़ी बातें की जाती हैं, किन्तु जमीनी हकीकत इससे अलग है। विशेषकर ग्रामीण अंचलों में पीने के पानी की हालत बदहाल है। कई ग्रामीणजन पानी की जुगत में हमेशा लगे रहते हैं और उन्हें पीने के पानी के लिए रोज जद्दोजहद करनी ही पड़ती है।

यूं तो कहने के लिए मध्यप्रदेश में तीन साल पहले ही साल 2019 में विधानसभा में एक कानून बना था। उस कानून के अनुसार मध्यप्रदेश के नागरिकों को पानी का अधिकार दिया गया। मध्यप्रदेश विधानसभा में उस समय प्रस्तुत बजट में पानी का अधिकार अधिनियम के लिए एक हजार करोड़ के बजट का प्रावधान भी किया गया था। इसके तहत हर एक नागरिक को रोजाना 55 लीटर पानी प्राप्त करने का अधिकार हो गया। किन्तु, वास्तव में प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में ग्रामीणजनों को पीने के पानी के लिए रोज परेशान होना पड़ता है।

Advertisement
Advertisement

मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की गंभीर स्थिति के लिए यहाँ एक उदाहरण देना उचित रहेगा। मध्यप्रदेश के पशुपालन मंत्री और बड़वानी के ही विधायक श्री प्रेम सिंह पटेल के विधानसभा क्षेत्र में ग्रामीण आदिवासीजन इस भरी गर्मी में दिन-रात पानी की जुगत में ही लगे रहते हैं। मध्यप्रदेश के इसी आदिवासी जिले बड़वानी के अंर्तगत जनपद पंचायत पाटी की ग्राम पंचायत हरला के ग्राम लाइझापी में आदिवासी महिलाएँ दो-तीन किलोमीटर दूर से पानी लाने को आज भी मजबूर है। इस गाँव के सभी आदिवासी परिवार के अधिकतर सदस्य अपना काम धंधा छोडक़र पानी की जुगत में ही लगे रहते हैं। गाँव का जल संकट ऐसा कि इस गाँव की करीब 10 बहुएँ जब अपने ससुराल से मायके गई तो पानी के संकट के कारण लौटकर ही नहीं आई। औेर तो औेर कुंवारों की तो शामत ही आ गई। इस गाँव में पीने के पानी के अनेक सालों से आ रहे संकट के कारण अब यहाँ के कुवारें युवकों की शादी ही नहीं हो पा रही है। मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचलों में अनेक गाँव ऐसे हंै, जो फलियों में बंटें हुए हैं। इन फलियों में बंटे गांवों में राज्य सरकार की नल जल योजना पहुँचना अभी सपना ही है। उन्हें रोज पीने के पानी के लिए मिलों दूर, जहाँ कहीं पानी मिल जाए, वहीं से सिर पर रखकर लाना पड़ता है। राज्य सरकार अपने प्रदेश में पेयजल सुविधा के बारे में जो भी बड़ी-बड़ी बातें करती है, उसका असर सिर्फ शहरों में ही दिखाई देता है।

देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा 15 अगस्त 2019 को देश के ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी के लिए जल जीवन मिशन योजना आरंभ की गई। इसके माध्यम से ग्रामीण परिवारों को पानी की सुविधा घर-घर में उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस योजना में ही यह स्पष्ट किया गया है कि अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले 50 प्रतिशत से अधिक ऐसे परिवार हैं, जिन्हें पानी की समस्या से रोजाना जूझना पड़ता है। पीने का पानी प्राप्त करने के लिए उन्हें कई किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है। इस योजना के अंर्तगत अभी तक 18.33 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को पानी का कनेक्शन दे दिया गया है। यानी कि वर्तमान में 17.87 करोड़ ग्रामीण परिवार ऐसे हैं, जिनके घर में पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इनमें से अभी तक 3.27 करोड़ परिवारों को घर-घर पानी की कनेक्शन सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। इसका मतलब यह है कि अभी भी देश के ग्रामीण क्षेत्रों के 14.60 करोड़ परिवार रोजाना पीने के पानी के लिए अनेक किलोमीटर दूर पैदल जाकर पानी लाने के लिए अभिशप्त हैं। इस जल जीवन मिशन योजना में यह भी कहा गया है कि सन् 2024 तक देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले सभी परिवारों तक उनके घरों में पीने के पानी का कनेक्शन पहुँचा दिया जाएगा। किन्तु सोचने की बात यह है कि 15 अगस्त 2019 को इस योजना के आरंभ होने की दिनांक से करीब तीन साल बाद केवल 18.33 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को ही पानी का कनेक्शन दिया जा सका है। यानी अभी भी 81.67 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को पेयजल की सुविधा मुहैया नहीं हो पाई है।

Advertisement8
Advertisement

देश और प्रदेश की पेयजल हालत को देखते हुए केन्द्र सरकार को चाहिए कि वे सर्वोच्च प्राथमिकता पर शहरों ओैर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पीने का पानी मुहैया कराने के लिए अल्पकालीन और दीर्घकालिन योजनाएँ बनाएँ। और इस योजना का ठोस क्रियान्वयन भी समय पर किया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। देश के ग्रामीण अंचलों में विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में पेयजल की अत्यन्त गंभीर समस्या है। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों और आदिवासी अंचलों में पीने के पानी के लिए अलग से विशेष योजनाएँ बनाकर उन्हें पीने को पानी मुहैया कराना ही चाहिए। आजादी का अमृत महोत्सव तभी सार्थक सिद्ध होगा, जब हम शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सभी को पर्याप्त पीने का पानी उपलब्ध करा देंगे।

Advertisement8
Advertisement

महत्वपूर्ण खबर: ड्रोन तकनीक किसानों को सशक्त बनाएगी : श्री मोदी

Advertisements
Advertisement5
Advertisement