किसानों के लिए चेतावनी: ठंड और कोहरे से बढ़ा सरसों में कीटों का प्रकोप, किसान तुरंत करें बचाव
13 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: किसानों के लिए चेतावनी: ठंड और कोहरे से बढ़ा सरसों में कीटों का प्रकोप, किसान तुरंत करें बचाव – देश के अधिकांश राज्यों में सरसों की बुवाई लगभग एक महीने पहले ही हो चुकी है। इस दौरान ठंड और कोहरे जैसे मौसमीय बदलावों के कारण सरसों की फसल पर कई कीट और रोगों का खतरा तेजी से बढ़ा है। इससे किसान अपनी फसल की पैदावार को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं क्योंकि इन कीटों और रोगों से फसल की उपज में काफी कमी आ सकती है और आर्थिक नुकसान बढ़ सकता है।
सफेद रतुआ (व्हाइट रस्ट)
दिसंबर के महीने में सरसों की फसल पर सफेद रतुआ का खतरा ज्यादा रहता है। यह एक फंगल रोग है जो पत्तियों पर सफेद धब्बों के रूप में दिखाई देता है। समय पर पहचान न होने पर यह फसल को गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है।
रोकथाम और बचाव:
जब पत्तियों पर सफेद धब्बे दिखें, तो 600–800 ग्राम मैंकोजेब को 250–300 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। यह छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर 2–3 बार करें।
माहू कीट
हाल के मौसम में अचानक नमी और कोहरे के कारण माहू कीट का प्रकोप बढ़ रहा है। यह छोटे हरे रंग के कीट होते हैं जो फूल और फलियों का रस चूसकर फसल को नुकसान पहुँचाते हैं।
रोकथाम और बचाव:
प्रभावित पौधों को तुरंत तोड़कर नष्ट कर दें। दो प्रतिशत नीम के तेल का स्प्रे करें। मेटासिस्टाक्स या अन्य उपयुक्त कीटनाशकों का समय पर प्रयोग करें।
लाही कीट (एफिड)
लाही कीट छोटे भूरे या काले रंग के कीट होते हैं जो पौधों का रस चूसकर उनकी वृद्धि को रोकते हैं। इससे पत्तियां सिकुड़ जाती हैं और फलियों में दाने नहीं बन पाते।
रोकथाम और बचाव:
प्रति एकड़ खेत में 5–6 पीली स्टिकी ट्रैप लगाएँ। खेत से खरपतवार को समय-समय पर हटाएँ। जब फसल 40–45 दिन की हो और लाही कीट दिखाई दें, तो 200 मिलीलीटर क्लोरोपायरीफॉस 20% EC को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे नियमित रूप से अपनी फसल का निरीक्षण करें और कीट या रोग के शुरुआती लक्षण दिखते ही उचित उपाय अपनाएँ। समय रहते किया गया बचाव पैदावार को सुरक्षित रखने और आर्थिक नुकसान से बचने में मदद करता है।
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