फसल की खेती (Crop Cultivation)

प्रदर्शन प्रक्षेत्रों का वैज्ञानिकों द्वारा भ्रमण

26 जून 2021, मंडला ।  प्रदर्शन प्रक्षेत्रों का वैज्ञानिकों द्वारा भ्रमण – कृषि विज्ञान केंद्र मण्डला के वैज्ञानिकों डॉ. विशाल मेश्राम, श्री नीलकमल पंद्रे, डॉ. आर. पी. अहिरवार, डॉ. प्रणय भारती, कु. केतकी धुमकेती एवं कान्हा प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ श्री रंजीत कछवाहा द्वारा ग्राम खिरहनी, बिलगांव आदि के मूंग प्रदर्शनों का भ्रमण किया गया एवं आवश्यक सुझाव प्रदाय किये गये। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा संकुल प्रदर्शन -दलहन एवं भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर (उ.प्र.) के अंतर्गत ग्रीष्म कालीन मूंग का आंवटन किया गया था।

चयनित कृषकों को मूंग का उन्नत किस्म पीडीएम 139 का बीज प्रदाय किया गया था जो कि एक उन्नत प्रजाति है जिसे सम्राट के नाम से भी जाना जाता है और ये 60-65 दिनो में ही पककर तैयार हो जाती है जिससे मानसून आने तक ही कटाई योग्य हो जाने के कारण किसान भाई खरीफ की फसल धान की बुवाई भी समय पर कर सकते हैं।

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केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ.आर.पी. अहिरवार ने बताया कि मूंग एक दाल वाली फसल है जो लेग्यूमिनोसी परिवार में आती है अत: इसमें नत्रजन (यूरिया) की ज्यादा जरूरत नही पड़ती है लेकिन अच्छी पैदावार के लिए 8-10 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम पोटाश की मात्रा प्रति एकड़ की दर से बोवाई के समय देना चाहिए।  गंधक/ सल्फर की कमी वाले क्ष़ेत्रो में गंधक युक्त उर्वरक 10 किलोग्राम प्रति एकड़ बोवाई के पहले या बोवाई के समय आधार खाद के रूप में दें। खेतों में हर तीसरे वर्ष 6-7 क्विंटल गोबर की खाद आखिरी जुताई के समय प्रति एकड़ की दर से डालें तथा बुवाई से पूर्व राइजोबियम एवं ट्राइकोडरमा से बीज उपचार अवश्य करें। जिससे उगरा/उकटा रोग न लग पाए।

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