फसल की खेती (Crop Cultivation)

खरीफ में मूंग, उड़द और चंवला की पैदावार बढ़ाने के लिए अपनाएं ये ज़मीनी उपाय

30 जून 2025, अजमेर: खरीफ में मूंग, उड़द और चंवला की पैदावार बढ़ाने के लिए अपनाएं ये ज़मीनी उपाय – खरीफ सीजन में मूंग, उड़द, चंवला और मोठ जैसी दलहनी फसलों की बेहतर उपज के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाना अब पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है। कृषि विज्ञान केंद्र तबीजी फार्म के विशेषज्ञों ने किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों का पालन करने की सलाह दी है, जिससे न केवल फसल की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बेहतर होगी।

बीज और मिट्टी का उपचार है जरूरी

कृषि अनुसंधान अधिकारी उपवन शंकर गुप्ता के मुताबिक, दलहनी फसलें जैसे मूंग और उड़द वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर करती हैं, जिससे जमीन की ताकत बढ़ती है। इसलिए इन्हें फसल चक्र में शामिल करना फायदेमंद रहता है। उन्होंने कहा कि बीजोपचार और मृदा उपचार सस्ते, सरल और असरदार तरीके हैं जिनसे बीमारियों और कीटों से बचा जा सकता है।

डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने जानकारी दी कि मूंग के बीजों को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम और 5 ग्राम थायोमैथोक्जाम प्रति किलो बीज, उड़द के बीजों को 2-3 ग्राम कार्बेन्डाजिम मिश्रण, और चंवला के बीजों को ट्राइकोडर्मा या टेबुकोनाजोल से उपचारित करना चाहिए।

राइजोबियम कल्चर से बीज उपचार कैसे करें?

बीजों पर राइजोबियम कल्चर की परत चढ़ाने के लिए एक लीटर पानी में 125 ग्राम गुड़ घोलें, फिर ठंडा होने पर उसमें 600 ग्राम राइजोबियम मिलाएं। इस घोल से बीजों को अच्छी तरह मिलाएं ताकि हर बीज पर समान परत आ जाए, फिर छांव में सुखाकर बुवाई करें।

मिट्टी जांच के बाद ही करें खाद-उर्वरक का प्रयोग

कृषि अनुसंधान अधिकारी डॉ. कमलेश चौधरी ने सलाह दी कि बिना मृदा जांच के खाद या उर्वरक डालना नुकसानदेह हो सकता है। उन्होंने कहा कि एक हैक्टेयर खेत में 32 किलो यूरिया और 250 किलो एसएसपी या 87 किलो डीएपी की मात्रा कतारों में डालनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण को नजरअंदाज न करें

फसल की शुरुआती अवस्था में खरपतवार नियंत्रण बेहद जरूरी है। रामकरण जाट के अनुसार, मूंग और चंवला में बुवाई से पहले पेन्डीमिथालीन और ईमीजाथापर का छिड़काव असरदार रहता है। इसके साथ ही 20-25 दिन बाद निराई-गुड़ाई जरूरी है।

बीज दर पर भी रखें ध्यान

ज्यादा या कम बीज डालने से उत्पादन प्रभावित होता है। मूंग और चंवला के लिए 15-20 किलो बीज प्रति हैक्टेयर, जबकि उड़द के लिए 12-15 किलो बीज प्रति हैक्टेयर की सिफारिश की गई है।

जड़ गलन रोकने के लिए ट्राइकोडर्मा से करें मिट्टी उपचार

सुरेन्द्र सिंह ताकर ने बताया कि बुवाई से 15 दिन पहले 2.5 किलो ट्राइकोडर्मा को 100 किलो सड़ी गोबर खाद में मिलाकर छायादार स्थान पर रखें। इसके बाद इसे खेत में समान रूप से बिखेरें।

खरीफ की दलहनी फसलों से अच्छा उत्पादन पाने के लिए किसानों को पारंपरिक तौर-तरीकों के साथ-साथ वैज्ञानिक सलाहों को भी अपनाना चाहिए। उन्नत बीजोपचार, मिट्टी की सही देखभाल और संतुलित उर्वरक उपयोग से न सिर्फ पैदावार बढ़ेगी, बल्कि खेत की मिट्टी भी लंबे समय तक उपजाऊ बनी रहेगी।

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