Crop Cultivation (फसल की खेती)

किसान भाई फसल चक्र अपनाकर अधिक लाभ प्राप्त करें

Share

विकल्पी फसल से लाभ कमाएं

25  मई 2021, राजगढ़ किसान भाई फसल चक्र अपनाकर अधिक लाभ प्राप्त करें – उपसंचालक कृषि श्री हरिश मालवीय ने किसान भाईयों से कहा है कि विगत कुछ वर्षों से सोयाबीन की फसल में मौसम एवं कीट व्याधि की समस्या अधिक होने के कारण उत्पादन में प्रतिवर्ष कमी होती जा रही है जिससे किसान भाईयों को लाभ की अपेक्षा हानि का सामना करना पड़ता है। यह भी देखा गया है जिन किसान भाईयों ने सोयाबीन की विकल्पी फसलें जैसे मूंग, उड़द, मक्का, तिल आदि का उपयोग खरीफ सीजन में किया है उन्हे अधिक लाभ प्राप्त हुआ है। उन्होने किसान भाईयों से आग्रह किया है कि वे इस बार खरीफ सीजन में सोयाबीन की विकल्पी फसलों का उपयोग करें। इससे फसल चक्र के सिद्धांतों की पूर्ति हो जाती है एवं कृषकों को अनुकूलतम आय प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगी।

उन्होने किसान भाईयों को सलाह दी है कि सोयाबीन की विकल्पी फसले मूंग एक बहुप्रचलित एवं लोकप्रिय दालों में से एक है। मूंग गर्मी और खरीफ दोनों मौसम की कम समय में पकने वाली एक मुख्य दलहनी फसल है। मूंग की आईपीएम 205-7 (विराट), शिखा, पीडीएम-10, पी.के.व्ही.ए.के.एम.- 4 तथा टी.जे.एम.-3 किस्म का उपयोग सोयाबीन की फसल के रूप में करें। उन्होने कहा कि उड़द की खेती भारत की एक प्रमुख दलहनी फसल है। उड़द की खेती खरीफ और जायद के मौसम में की जा सकती है। उड़द की खेती से भूमि का संरक्षण और उर्वरक एवं अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति भी होती है। उड़द की प्रताप उर्द 31, ग्वालियर- 2, टी-9 तथा प्रताप उर्द- 30 किस्म का उपयोग फसल चक्र में सोयाबीन की विकल्पी फसल के रूप में करें।

उन्होने कहा है कि मक्का एक प्रमुख खाद्य फसल हैं। मक्का की जे.एम. 421, और संकर- गंगा-1, गंगा-4, गंगा-11, जवाहर मक्का-216 तथा पूसा कम्पोजिट-1, 2 व 3, किस्म का उपयोग भी सोयाबीन विकल्पी फसल के लिए की जा सकती है। इसी प्रकार तिल खरीफ ऋतु में उगाये जाने वाली मुख्य तिलहनी फसल है, जिसका हमारे देश में बहुत प्राचीन इतिहास रहा है। तिल की फसल प्राय: गर्म जलवायु में उगायी जाती है। तिल की टी.के.जी.-306, टी.के.जी.-308, जे.टी.-14 (पी.के.डी.एस.-14) तथा जे.टी.-12 (पी.के. डी.एस.-12) किस्म की फसल विकल्पी फसल के रूप में लाभप्रद होगी।

मूंगफली की खेती तिलहनी फसलों की एक अग्रणी फसल है, जो कि हमारे खाने में तेल के रूप में एक अहम स्त्रोत है। मूंगफली की जे.जी.एन.-23, कादिरी-2, कादिरी-3, बी.जी.-1, बी.जी.-2, कुबेर, जी.ए.यू.जी.-1, जी.ए.यू.जी.-10, पी.जी.-1 , टी-28, टी-64, चन्द्रा, चित्रा, कौशल, प्रकाश तथा अम्बर है। इसका उपयोग भी किसान भाई कर सकते है।

इसी प्रकार उन्होने किसान भाईयों को सलाह दी है कि ज्वार कम वर्षा वाले क्षेत्र में अनाज तथा चारा दोनों के लिए बोई जाती हैं। ज्वार जानवरों का महत्वपूर्ण एवं पौष्टिक चारा हैं। ज्वार की आर.व्ही.जी.-1862, सी.एस.एच. 30, सी. एस.एच. 32, सी.एस.एच. 34 तथा सी.एस.व्ही. 20 की फसल का लाभ किसान भाई सोयाबीन की विकल्पी फसल के रूप में ले सकते हैं। 

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *