फसल की खेती (Crop Cultivation)

धान में समय पर निंदाई जरूरी

धान में समय पर निंदाई जरूरी

धान में समय पर निंदाई जरूरी – धान की खेती कृषक छिड़काव, कतार एवं रोपा विधि से करते है। छिड़काव एवं कतार विधि से बुवाई वाली फसलों में खरपतवारों की ज्यादा समस्या रहती है। कृषकों के पास धान की निंदाई हेतु अपने परिवार के सदस्य या श्रमिकों की उपलब्ध होने पर कोविड-19 महामारी बीमारी से बचाव के उपायों को अपनाते हुये दो बार निंदाई का कार्य करें। पहली निंदाई बीज बुवाई के 15 से 20 दिन तथा दूसरी निंदाई 35 से 40 दिन में करना चाहिये।

निंदाई करते समय कृषक मुंह पर मास्क या गमछा अवश्य लगायें और आपस में दो गज की दूरी बनाकर निंदाई करें और श्रमिकों की उपलब्धता न होने पर नींदानाशक दवाओं का प्रयोग करें। धान की सीधी बुवाई में खरपतवारों की प्रमुख समस्या रहती है।

ये खरपतवार धान के अंकुरण के समय ही उग आते है इसलिये धान बुवाई के 2-3 दिन के अन्दर अंकुरण के पूर्व प्रेटीलाक्लोर 50 ई.सी. 600 मि.ली. या पाइरोजो सल्फ्यूरॉन 10 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. 80 ग्राम चौड़ी एवं सकरी पत्ती वाले नींदा हेतु या सकरी पत्ती नींदा हेतु पेण्डामिथालीन 30 ई.सी. मात्रा 1.25 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से 200 ली. पानी में घोल बनाकर फ्लैट फेन नोजल से छिड़काव करें। धान की खड़ी फसल में रोपाई या सीधी बुवाई के 15 से 20 दिन के बाद में नींदा नियंत्रण हेतु छिड़काव करें। सकरी पत्ती वाले प्रमुख खरपतवार (नींदा)-सांवा, दूबघास, मोथा, कोदो और चौड़ी पत्ती वाले हजारदाना, सफेद मुर्ग, बनमकोय, महकुआ, पत्थर चट्टा, कनकता एवं बड़ी दूधी प्रमुख नींदा हैं।

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