मानसून में सोयाबीन फसल पर एन्थ्राक्नोज रोग का खतरा – राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर की सलाह
28 जुलाई 2025, नई दिल्ली: मानसून में सोयाबीन फसल पर एन्थ्राक्नोज रोग का खतरा – राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर की सलाह – देश के कई हिस्सों में हो रही लगातार बारिश के कारण सोयाबीन फसल में एन्थ्राक्नोज रोग फैलने की संभावना बढ़ गई है। यह एक खतरनाक फफूंदजनित रोग है, जो फसल की उपज और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। इसको देखते हुए, ICAR – राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सलाह जारी की है।
एन्थ्राक्नोज रोग की पहचान कैसे करें
इस रोग के लक्षणों में पत्तियों, फली और तनों पर गहरे, धंसे हुए धब्बे दिखाई देते हैं। इससे पत्तियां झड़ने लगती हैं और फली सड़ जाती है, जिससे बीज का विकास प्रभावित होता है। यह रोग विशेष रूप से नमी और बारिश में तेजी से फैलता है।
संस्थान द्वारा अनुशंसित फफूंदनाशक छिड़काव
जैसे ही रोग के लक्षण दिखाई दें, तुरंत नीचे में से किसी एक दवा का छिड़काव करें:टेबुकोनाजोल 25.9% EC – 625 मिली/हेक्टेयरटेबुकोनाजोल 38.39% SC – 625 मिली/हेक्टेयरटेबुकोनाजोल 10% + सल्फर 65% WG – 1.25 किग्रा/हेक्टेयरकार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP – 1.25 किग्रा/हेक्टेयरइन दवाओं से एन्थ्राक्नोज रोग को रोका जा सकता है और फसल की रक्षा की जा सकती है।
छिड़काव के सुझाव
फसल के पत्तों और फली पर समान रूप से छिड़काव करें।साफ पानी और सही माप वाला स्प्रेयर उपयोग करें।बारिश या तेज हवा में छिड़काव न करें।7–10 दिन बाद फसल की पुन: जांच करें।
राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर ने किसानों से अपील की है कि वे एन्थ्राक्नोज रोग की निगरानी करें और समय पर नियंत्रण उपाय अपनाएं। सही समय पर की गई कार्रवाई से उत्पादन को हानि से बचाया जा सकता है और फसल को स्वस्थ रखा जा सकता है।
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