सोयाबीन में घास खरपतवार और कीटों का प्रभावी नियंत्रण पर किसानों के अनुभव
17 अगस्त 2024, इंदौर: सोयाबीन में घास खरपतवार और कीटों का प्रभावी नियंत्रण पर किसानों के अनुभव – राष्ट्रीय कृषि अखबार कृषक जगत और यूपीएल एसएएस लि.के संयुक्त तत्वावधान में कृषक जगत सत्र खरीफ 2024 के अंतर्गत ‘ सोयाबीन में घास खरपतवार और कीटों का प्रभावी नियंत्रण ‘ विषय पर गत दिनों ऑन लाइन वेबिनार आयोजित किया गया। जिसके प्रमुख वक्ता श्री अभिजीत जगदाले, पोर्टफोलियो लीड- हर्बीसाइड्स, श्री विशाल शर्मा, क्रॉप मैनेजर – तिलहन और कपास तथा श्री सचिन धर्मे, स्टेट मार्केटिंग हेड – मध्य प्रदेश (यूपीएल एसएएस लि.) थे। इस वेबिनार में मध्यप्रदेश के छतरपुर ,हरदा, रतलाम ,सागर और उज्जैन जिले के किसानों ने अपने अनुभव साझा किए। कृषकों से संवाद कराने में टेरेटरी मैनेजर श्री प्रदीप तिवारी (छतरपुर ), श्री अमित द्विवेदी ( हरदा ), श्री आनंद यादव (रतलाम), श्री प्रवीण इंगले (सागर ) और शिव कुमार तोमर ( उज्जैन ) का महत्वपूर्ण योगदान रहा। वेबिनार का संचालन कृषक जगत के संचालक श्री सचिन बोंद्रिया ने किया।
नई तकनीक के खरपतवार नाशक का इस्तेमाल करें – आरंभ में श्री अभिजीत जगदाले ने कहा कि कई किसानों ने संकरी पत्ती के खरपतवारों के लिए सेंचुरियन का प्रयोग कर उन्हें नियंत्रित किया है। श्री सचिन धर्में ने कहा कि किसानों को सोयाबीन के लिए नई तकनीक के खरपतवार नाशक का इस्तेमाल करना चाहिए, तभी उन्हें लाभ होगा। कई किसान पुराने कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं, जिससे उन्हें अनुकूल नतीजा नहीं मिलता है। जो किसान नई तकनीक का प्रयोग करते हैं ,वे अपनी फसल का नुकसान नहीं होने देते हैं।आज के इस वेबिनार में मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों के किसान यूपीएल के खरपतवार नाशक उत्पाद सेंचुरियन के लिए अपने अनुभव साझा करेंगे।
किसानों के अनुभव –
ग्राम टिंडनी पोस्ट नौगांव जिला छतरपुर के किसान श्री आनंद रावत ने बताया कि वह सेंचुरियन का प्रयोग लगातार 3 साल से अपनी सोयाबीन मूंगफली और उड़द फसल में कर रहे हैं। इससे संकरी पत्ती वाले खरपतवारों लठारा , सांवा, बट्टा आदि में बहुत अच्छा लाभ हुआ है। पहले अन्य कंपनियों के खरपतवारनाशक डालते थे, लेकिन उसके उतने अच्छे नतीजे नहीं मिले थे। संकरी पत्ती के खरपतवारों में सेंचुरियन के प्रयोग से वे संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि पतली पत्ती वाले बट्टा घास का निदान नहीं हो पाया है। वक्ता ने कहा कि टाइमिंग, डोज और स्प्रे के तरीकों के अंतर के कारण ऐसा होता है।
सोयाबीन फसल में सेंचुरियन के प्रयोग की प्रेरणा – ग्राम बारंगा जिला हरदा के श्री कपिल बिश्नोई विगत 3 सालों से सेंचुरियन का प्रयोग कर रहे हैं। इस साल 30 एकड़ में सोयाबीन लगाई है। 40 दिन की फसल हो चुकी है। जुलाई के अंत में सेंचुरियन डाला था खरपतवार बहुत बड़ा हो गया था, जो अब पूरी तरह जल गया है। इसके परिणाम अच्छे मिले हैं। बारिश होने से निंदाई ही नहीं हो पा रही थी। सेंचुरियन डालने से मजदूरी की भी बचत हुई है। यूपीएल के अधिकारी खेतों में प्रदर्शन करने आते थे , उनसे सेंचुरियन की प्रेरणा मिली। इसके पूर्व अन्य कंपनी के खरपतवार नाशक डाले थे, लेकिन उसके नतीजे इतने अच्छे नहीं मिले। श्री धर्मे ने सलाह दी कि जब खरपतवार 2 से 3 पत्ती की अवस्था में रहे तभी सेंचुरियन का प्रयोग कर लेना चाहिए। श्री जगदाले ने किसान श्री बिश्नोई से पूछा कि सेंचुरियन की प्रति एकड़ कितनी मात्रा उपयोग करते हो ? तो बताया गया कि 200 मि ली /एकड़ मात्रा 500 लीटर पानी के साथ करते हैं। श्री जगदाले ने कहा कि सेंचुरियन की 200 मि ली / एकड़ मात्रा निर्धारित है, जिसके लिए 150 -200 लीटर /एकड़ पानी पर्याप्त है । दवाई और पानी की मात्रा ठीक रखें। श्री जगदाले ने स्पष्ट किया कि कम्पनी सिर्फ सोयाबीन फसल में सेंचुरियन का प्रयोग करने हेतु प्रेरित करती है। कुछ किसान अन्य फसल में भी इसका प्रयोग करते हैं। हम सिर्फ सोयाबीन फसल के लिए ही इसका अनुमोदन करते हैं। एक अन्य किसान श्री हरिदास वैष्णव बिश्नोई ने भी अपने अनुभव साझा किए। इन्होंने 60 एकड़ में सोयाबीन लगाई है। जब से इन्हें सेंचुरियन के अच्छे परिणाम मिले हैं तब से ये दूसरे खरपतवार नाशक का प्रयोग नहीं करते हैं। श्री बिश्नोईने बताया कि वह खरपतवार में स्प्रे के लिए ट्रैक्टर पंप का इस्तेमाल करते हैं ,जिसमें एक सिंगल गन आती है उससे स्प्रे करते हैं । 500 लीटर पानी से एक टंकी भर जाती है जिससे चार एकड़ में छिड़काव हो जाता है। श्री अभिजीत ने कहा कि आपको 200 मि ली सेंचुरियन की चार बोतल (अर्थात 800 मिली ली )का इस्तेमाल करना चाहिए ,तभी आपको सटीक परिणाम मिलेंगे।
पूरे गांव में सेंचुरियन का प्रयोग – मुलथान तहसील बदनावर जिला धार के उन्नत कृषक श्री कुलदीप पाटीदार ने 70 एकड़ की सोयाबीन फसल में सेंचुरियन का प्रयोग किया। इसके उन्हें अच्छे नतीजे मिले। श्री पाटीदार ने कहा कि स्थानीय भाषा में जिसे हामा चारा कहते हैं ,वह पूरी तरह खत्म हो गया। सोयाबीन की फसल की वृद्धि भी अच्छी है। हमारे पूरे गांव में सेंचुरियन का ही प्रयोग किया जाता है। गत वर्ष इसका डेमो प्रयोग के बाद इसका इस साल प्रयोग किया है । श्री विशाल शर्मा ने पूछा कि आगामी रबी फसल पर कई खरपतवारनाशक का विपरीत प्रभाव पड़ता है। आपके यहां तो ऐसा कुछ नहीं हुआ। श्री पाटीदार ने कहा कि ऐसी कोई शिकायत नहीं आई।
सेंचुरियन से 4 से 5 क्विंटल का अतिरिक्त उत्पादन मिला – ग्राम ढाना नरयावली तहसील एवं जिला सागर के अग्रणी किसान श्री अशोक सिंह ठाकुर ने गत वर्ष और इस वर्ष इन्होंने 70 एकड़ में लगाई सोयाबीन में सेंचुरियन का प्रयोग किया है । पिछले साल भी इन्हें 10 से 11 क्विंटल प्रति एकड़ का उत्पादन मिला, जबकि ,इसके पहले औसत 5 से 7 क्विंटल का ही उत्पादन मिलता था। इन्हें 4 से 5 क्विंटल की उत्पादन में अतिरिक्त वृद्धि हुई। गांव में सबसे अच्छी उपज इनके यहां ही हुई। श्री विशाल शर्मा ने पूछा कि बाद की फसलों में इसका कोई दुष्प्रभाव तो नहीं हुआ तो श्री सिंह ने बताया कि बाद में रबी में चना और मैक्सिकन गेहूं बोया था। अच्छे रिजल्ट मिले। रबी फसल में किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं दिखा।अन्य किसानों को भी फायदा हुआ। श्री शर्मा ने आश्वस्त किया कि सेंचुरियन वर्तमान एवं आगामी फसल के साथ ही मिट्टी के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित है।
सोयाबीन फसल का प्रत्यक्ष प्रदर्शन –ग्राम धुलेटिया जिला उज्जैन के किसान श्री राजेश चौधरी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि सोयाबीन की फसल 40 से 45 दिन की हो गई है । खरपतवार पर नियंत्रण होने से फसल की वृद्धि भी अच्छी है। संकरी पत्ती का चारा पूरी तरह खत्म हो गया है। श्री चौधरी के खेत में टेरेटरी मैनेजर श्री तोमर द्वारा फसल का प्रत्यक्ष प्रदर्शन किया गया। फसल उम्दा और खरपतवार रहित पाई गई। श्री चौधरी ने बताया कि पहले वह अन्य कंपनियों का खरपतवार नाशक इस्तेमाल करते थे ,लेकिन उसके उतने अच्छे नतीजे नहीं मिले थे। सेंचुरियन का डेमो देखने के बाद इसका प्रयोग किया। मैं इससे संतुष्ट हूँ। ग्राम ढाबला दित्ता के अन्य किसान श्री संजय शर्मा ने भी अपने अनुभव में बताया कि सेंचुरियन का प्रयोग करने से संकरी पत्ती के खरपतवारों में अच्छा लाभ हुआ। 8 दिन में ही समस्या का समाधान हो गया ,लेकिन बोकना खरपतवार का समाधान नहीं हुआ। श्री शर्मा ने बताया कि बोकना के लिए कंपनी का अनुसंधान जारी है। जल्द ही कम्पनी द्वारा इसका कोई समाधान पेश किया जाएगा।
40 दिन की सोयाबीन फसल पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत – इस मौके पर श्री शर्मा ने कहा कि 40 दिन की सोयाबीन फसल की अभी महत्वपूर्ण अवस्था है। यहां से पौधे की उत्पादन प्रक्रिया निर्धारित होती है। पौधा , फूल और फली की ओर आगे बढ़ेगा। खरपतवार पौधे के भोजन से प्रतिस्पर्धा करते हैं और पौधे को मिलने वाले पोषक तत्व स्वयं ग्रहण करते हैं, इससे फसल कमजोर हो जाती है। फूल गिरने लगते हैं और फलियां कम बनती है । जिससे उत्पादन कम मिलता है। इन दिनों विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इस अवस्था में फसल में मिठास पैदा हो जाती है जिससे वह कीट / फफूंदी को आकर्षित करते हैं। इसके अलावा तापमान के उतार -चढ़ाव आदि का भी उत्पादन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इस समय विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है। श्री शर्मा ने कहा कि इन दिनों फसल पर कीट /व्याधि का हमला होने से फूल /फली झड़ने की संभावना रहती है। जिन किसानों की सोयाबीन की फसल 40 -45 दिन की हो चुकी है, उन्हें अपनी फसल को सेमीलूपर , हेयरकेटर पीलर , सुंडी, फंगस, पत्तियों पर काले धब्बे और अजैविक तनाव आदि से बचाने के लिए यूपीएल उत्पाद फफूंदीनाशक अवांसर ग्लो 600 ग्राम , कीटनाशक एटाब्रोन 800 मि ली और मकेरीना 250 मि ली / एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए। इससे आने वाली बीमारियों एवं कीटों से निजात मिलेगी। फूल नहीं झड़ेंगे तो फलियां अच्छी बनेंगी, जिससे सोयाबीन का उत्पादन भी अच्छा होगा।
प्रश्नोत्तरी –
सेंचुरियन का अनुमोदन खरपतवार की अवस्था के साथ – हरदा के श्री करण पटेल ने पूछा कि सोयाबीन की 40 से 45 दिन की फसल में सेंचुरियन का प्रयोग कर सकते हैं क्या ?श्री शर्मा ने जवाब दिया कि हाँ कर सकते हैं। यहां इसके दो पहलू हैं। पहला सोयाबीन में फूल और फल वाली अवस्था महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में किसानों को यह भय रहता है कि इसका फसल पर कोई दुष्प्रभाव तो नहीं होगा ? श्री शर्मा ने कहा कि सेंचुरियन का इस्तेमाल करने से ना तो फसल पीली पड़ेगी और न ही फूल झड़ेंगे। 3 से 6 पत्ती की अवस्था में सेंचुरियन का उपयोग करना सही रहता है। श्री शर्मा ने स्पष्ट किया कि सेंचुरियन का अनुमोदन फसल की अवस्था के साथ नहीं, बल्कि खरपतवार की अवस्था के साथ है। इसका फसल पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। श्री करण पटेल ने कहा कि हरदा जिले में चौड़ी पत्ती के खरपतवारों की समस्या ज्यादा है। मोथा नहीं जाता है। मोथा के लिए कोई उपाय बताएं। श्री शर्मा ने कहा कि मोथा तीन तिकोनी पत्ती वाला खरपतवार है। जिसके लिए विशेष खरपतवारनाशक की ज़रूरत होती है। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए कम्पनी उत्पाद आइरिस अच्छा विकल्प है। काचरी की समस्या को सिर्फ आइरिस ही नियंत्रित करता है। बाज़ार में इसके लिए उपलब्ध अन्य सभी उत्पादों की तुलना में मप्र के किसानों द्वारा आइरिस का प्रयोग सर्वाधिक किया जाता है। मोथा के लिए नया उत्पाद लाने के लिए यूपीएल वचनबद्ध है।
सेंचुरियन का मोड ऑफ एक्शन – मंदसौर के श्री सुशील पाटीदार ने पूछा कि सेंचुरियन का मोड ऑफ एक्शन क्या है ? पानी की मात्रा कम या ज़्यादा होने पर क्या प्रतिक्रिया होगी। श्री विशाल शर्मा ने बताया कि सेंचुरियन पौधे में मेरीस्टेमेटिक टिशु लेयर बनाता है। यदि इसके पौधे की बीच वाली पत्ती को खींचेंगे तो उसमें एक लेयर स्पष्ट दिखाई देगी। सेंचुरियन चौड़ी और संकरी पत्ती के खरपतवारों पर अच्छा नियंत्रण करता है। इसके लिए कम्पनी द्वारा 200 मि ली सेंचुरियन / एकड़ को 150 से 200 लीटर पानी की मात्रा के साथ प्रयोग करने का अनुमोदन किया गया है। इसका ही पालन करना चाहिए।
कृषि ज्ञान प्रतियोगिता – श्री शर्मा ने पहला सवाल किया कि अजैविक तनाव के लिए कंपनी के उस उत्पाद नाम बताएं जिसकी 250 मिली लीटर प्रति एकड़ मात्रा का अनुमोदन किया गया है ? इसका सही जवाब श्री विनोद चौहान खरगोन ने दिया कि वह उत्पाद मॅकेरीना है । यह एक मेटाबॉलिक एक्टिव कंपाउंड है। दूसरा प्रश्न पूछा गया कि सेंचुरियन का अनुमोदन खरपतवार की किस अवस्था के लिए किया गया है ? श्री दीपक जाधव ग्राम काटकोटा तहसील देपालपुर जिला इंदौर ने सही जवाब दिया कि 2 से 6 पत्ती वाले खरपतवारों के लिए सेंचुरियन का अनुमोदन किया गया है। यहां श्री शर्मा ने स्पष्ट किया कि किसान खरपतवार के नाश के लिए सेंचुरियन को अंतिम विकल्प नहीं, बल्कि इसे प्रथम विकल्प के रूप में इस्तेमाल करें। इससे फसल स्वस्थ रहेगी और उत्पादन भी अच्छा प्राप्त होगा। दोनों विजेताओं को कम्पनी द्वारा पुरस्कार देने की घोषणा की गई।
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