कपास की फसल को गुलाबी सुंडी से बचाने के लिए विशेष सर्तकता जरूरी
01 जुलाई 2024, श्रीगंगानगर: कपास की फसल को गुलाबी सुंडी से बचाने के लिए विशेष सर्तकता जरूरी – कपास की खेती करने वाले किसानों को इस वर्ष गुलाबी सुंडी से विशेष सर्तकता बरतने की सलाह दी गई। पिछले साल गुलाबी सुंडी ने किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया था। कृषि विभाग एवं एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र (सीआईपीएमसी) श्रीगंगानगर द्वारा जारी की गई सिफारिशों पर ध्यान देना आवश्यक है ताकि इस बार नुकसान से बचा जा सके।
सावधान जरूरी
राजस्थान के श्रीगंगानगर स्थित टिड्डी सह एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र के उपनिदेशक डॉ. आर.के. शर्मा ने बताया कि किसानों को विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि जिन किसानों ने अपने खेतों में कपास की टहनियों को जमा कर रखा है, उनमें गुलाबी इल्ली का खतरा अधिक है। इसलिए कपास की टहनियों को छाया में या खेत में जमा न करें। अगर ऐसा करना जरूरी हो तो उन्हें प्लास्टिक शीट से ढक दें या जला दें।
अंतिम कटाई के बाद, खेत में बचे हुए आधे खुले और क्षतिग्रस्त गूलर को नष्ट करने के लिए भेड़, बकरी आदि जैसे जानवरों को खेत में चरने दें। फसल की शुरुआती अवस्था में, गिरे हुए रोसेट फूल, फूल की फली और गुलाबी इल्ली से प्रभावित गूलर को इकट्ठा करके जला दें।
किसानों को नियमित रूप से अपने खेतों की निगरानी करनी चाहिए ताकि गुलाबी सुंडी का समय पर नियंत्रण किया जा सके।
फेरोमोन ट्रैप लगाएं
फसल की बुआई के 40-50 दिन बाद प्रति एकड़ दो फेरोमोन ट्रैप लगाएं तथा प्रतिदिन खेत में जाकर ट्रैप की जांच करें। यदि लगातार तीन दिन तक ट्रैप में 5-8 कीट पाए जाएं तो कीटों से आर्थिक क्षति मानी जाती है। यदि कपास के पौधों पर 100 फूलों में से 5-10 फूल गुलाब की तरह बंद दिखाई दें तथा 20 हरे डोडों को खोलने पर उनमें से 2 में गुलाबी इल्लियां दिखाई दें तो कीट का प्रकोप होने की संभावना है।
कीटनाशक छिडकें
5 मिली नीम तेल या एनएसकेई 5% (50 मिली) + कपड़े धोने का पाउडर (1 ग्राम) प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें या नीम आधारित कीटनाशक 5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। डॉ. शर्मा ने बताया कि यह उपाय तब करना चाहिए जब कपास की फसल 60 दिन की हो जाए।
ट्राइकोग्रामा, लेडी बर्ड बीटल और क्राइसोपरला जैसे मित्र कीटों की सुरक्षा करें ताकि हानिकारक कीटों की संख्या आर्थिक जोखिम स्तर से ऊपर न जाए।
कपास की फसल में रासायनिक प्रबंधन के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5%, क्विनलफॉस 1.50% डीपी, इथियोन 50% ईसी, फेनप्रोपेथ्रिन 10% ईसी या स्पिनेटोरम 11.70% एससी (बॉलवर्म के लिए) का उपयोग करें।
इन सिफारिशों का पालन करने से किसानों को गुलाबी सुंडी से होने वाले नुकसान से बचने और अपनी फसल को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी
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