मूंगफली फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिशें
30 मई 2024, अजमेर: मूंगफली फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिशें – तबीजी फार्म के ग्राहृय परीक्षण केन्द्र के उप निदेशक कृषि (शस्य) श्री मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि मूंगफली खरीफ की एक प्रमुख तिलहन फसल है, जिसे जून के पहले सप्ताह से दूसरे सप्ताह तक बोया जाता है। मूंगफली की उपज बढ़ाने के लिए उन्नत कृषि क्रियाओं के साथ-साथ कीटों और रोगों से सुरक्षा भी आवश्यक है। प्रमुख कीटों और रोगों में दीमक, सफेद लट, गलकट, टिक्का (पत्ती धब्बा) और विषाणु गुच्छा शामिल हैं, जिनमें से सफेद लट और गलकट (कॉलर रॉट) रोग फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाते हैं।
गलकट रोग
कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने बताया कि गलकट रोग के कारण पौधे मुरझा जाते हैं और उखाड़ने पर उनके कॉलर और जड़ों पर काले फफूंद की वृद्धि दिखाई देती है। इस रोग से बचाव के लिए मृदा उपचार, बीजोपचार और रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग आवश्यक है। किसानों को बुवाई से पहले 2.5 किलो ट्राइकोडर्मा को 500 किलो गोबर में मिलाकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में मिलाने की सलाह दी गई है। साथ ही, बीजोपचार के लिए 3 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5% या 3 ग्राम थाइरम या 2 ग्राम मैन्कोजेब प्रति किलो बीज का उपयोग करने की सिफारिश की गई है। रासायनिक फफूंदनाशी के कम उपयोग के लिए 1.5 ग्राम थाइरम और 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो बीज का उपयोग भी किया जा सकता है।
सफेद लट
कृषि अनुसंधान अधिकारी (कीट) डॉ. दिनेश स्वामी ने बताया कि भूमिगत कीटों के समन्वित प्रबंधन के लिए बुवाई से पूर्व भूमि में 250 किलो नीम की खली प्रति हेक्टेयर डालें और 6.5 मिली इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस प्रति किलो बीज से बीजोपचार करें। साथ ही, ब्यूवेरिया बेसियाना का 0.5 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से बुवाई के 15 दिन बाद डालें। सफेद लट के प्रकोप वाले क्षेत्रों में 6.5 मिली इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस, 2 ग्राम क्लोथायोनिडिन 50 डब्ल्यूडीजी, 3 मिली इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल या 25 मिली क्यूनालफॉस 25 ईसी प्रति किलो बीज का उपयोग करें और बीज को 2 घंटे छाया में सुखाकर बुवाई करें।
बीज उपचार
कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) श्री कमलेश चौधरी ने बताया कि बुवाई से पहले बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने से फसल की पैदावार में वृद्धि होती है। इसके लिए 2.5 लीटर पानी में 300 ग्राम गुड़ को गर्म करके घोल बनाएं और ठंडा होने पर इसमें 600 ग्राम राइजोबियम जीवाणु कल्चर मिलाएं। इस मिश्रण से एक हेक्टेयर क्षेत्र में बोए जाने वाले बीज को अच्छी तरह मिलाकर छाया में सुखाकर तुरंत बुवाई करें। उन्होंने बताया कि फफूंदनाशी और कीटनाशी से बीज उपचारित करने के बाद ही राइजोबियम जीवाणु कल्चर से बीजों को उपचारित करें।