फसल की खेती (Crop Cultivation)

पाले और शीतलहर से फसलों की सुरक्षा: किसान अपनाएं ये प्रभावी उपाय

03 जनवरी 2025, बूंदी: पाले और शीतलहर से फसलों की सुरक्षा: किसान अपनाएं ये प्रभावी उपाय – राजस्थान में शीतलहर और पाले की चेतावनी को देखते हुए किसानों को अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने की सलाह दी गई है। उद्यान विभाग के उप निदेशक राधेश्याम मीणा ने बताया कि पाले से फसलों को बचाने के लिए कई प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं।

पाले से बचाव के प्रमुख उपाय

  1. खेत में सिंचाई करें: जब पाले की संभावना हो, तो खेत में सिंचाई करना एक प्रभावी उपाय है। सिंचाई से मिट्टी में नमी बनी रहती है, जिससे तापमान अचानक नहीं गिरता। वैज्ञानिकों के अनुसार, सिंचाई से मिट्टी का तापमान 0.5 से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है, जिससे फसल को पाले से बचाने में मदद मिलती है।
  2. गंधक का छिड़काव: पाले के दिनों में फसलों पर 0.2% घुलनशील गंधक या 0.1% गंधक का तेजाब 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए। यह उपाय फसलों को दो सप्ताह तक सुरक्षित रखता है। यदि शीतलहर जारी रहती है, तो 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव दोहराया जा सकता है।
  3. धुएं का उपयोग: जिस रात पाले की संभावना हो, उस रात खेतों की उत्तर-पश्चिम दिशा में कचरा या सूखी घास जलाकर धुआं किया जा सकता है। यह विधि तापमान को 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाने में मदद करती है और फसलों को पाले से बचाने का एक पारंपरिक और प्रभावी तरीका है।
  4. फसल ढकने की तकनीक: पौधशालाओं और छोटे बगीचों में फसल को टाट, पॉलिथीन या भूसे से ढककर ठंड से बचाया जा सकता है। नर्सरी और किचन गार्डन में हवा से बचाव के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा में टाट लगाएं। दिन में टाट को हटाकर पौधों को सूर्य की रोशनी मिलनी चाहिए।
  5. दीर्घकालीन उपाय: खेतों की उत्तर-पश्चिमी मेड़ों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शीशम, खेजड़ी, शहतूत, बबूल, और जामुन लगाना दीर्घकालीन उपाय है। ये पेड़ ठंडी हवाओं और पाले से फसलों को सुरक्षित रखने में सहायक होते हैं।

रोगों से बचाव के उपाय

  1. धनिया का स्टेम गाल (लोंगिया) रोग: धनिया के तनों पर गांठें बनना और डोडी का सिकुड़ना इस रोग के लक्षण हैं। इसे रोकने के लिए 45, 60 और 75-90 दिन की फसल पर 2 मि.ली. हेक्साकोनाजोल या प्रोपिकोनाजोल प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
  2. मेथी और लहसुन में तुलासिता रोग: मेथी में पत्तियों के नीचे भूरे कवक और ऊपर पीले धब्बे दिखना तथा लहसुन में बैंगनी धब्बे बनना तुलासिता रोग के लक्षण हैं। इसके नियंत्रण के लिए 0.2% मैंकोजेब का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
  3. टमाटर का झुलसा रोग:टमाटर की पत्तियों पर झुलसा रोग के लक्षण दिखाई देने पर मैंकोजेब 63% और कार्बेन्डाजिम 12% का 2 ग्राम/लीटर घोल बनाकर छिड़काव करें। रोग की शुरुआत में और 15 दिन बाद छिड़काव दोहराएं।

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